Tiger Death in Bandhavgarh: बांधवगढ़ में एक और फीमेल बाघ की मौत हो गई. जिसके बाद पार्क प्रबंधन पर लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं. बता दें कि लगातार बाघों की मौत हो रही है और एक साल के अंदर इतने बाघों (Bandhavgarh Tiger Death List) ने दम तोड़ा है.
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अरुण त्रिपाठी/ उमरिया: टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश (Tiger State) के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (Bandhavgarh Tiger Reserve Park) में लगातार बाघों की मौत हो रही है, एक बार फिर एक बाघिन की मौत हो गई है, ये कोई पहली मौत नहीं है बांधवगढ़ में बाघों की मौत का सिलसिला लगातार चलता आ रहा है और साल 2023 से लेकर अब तक 17 बाघों ने दम तोड़ा है. जिसके बाद पार्क प्रबंधन सवालों के घेरे में हैं. जानिए कब- कब हुई बाघों की मौत.
फिर हुई मौत
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लगातार बाघों की मौत की खबर आती रहती है. एक बार फिर एक मादा बाघ की मौत हुई. बता दें कि मानपुर बफर परिक्षेत्र के अंतर्गत पटपरहा के किलहारी बीट पर गस्ती दल की टीम को एक बाघिन का शव मिला, बाघिन की उम्र दो साल बताई जा रही है. मौत के बाद हुई जांच में पता चला है कि दूसरे बाघ से हुई टैरीटीरी फाइट में बाघ की जान गई है. एक और मौत के बाद लगातार पार्क प्रबंधन पर सवाल खड़े हो रहे हैं. बता दें कि इस साल 17 बाघों की मौत हुई है.
कब - कब हुई मौत
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में साल 2023 से लेकर अब तक 17 बाघों की मौत हो चुकी है. बता दें कि 3 मार्च 2023 को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पार्क में पहली मौत हुई थी. इसके बाद 1 अप्रैल को एक बाघ की जान गई, 3 एक अप्रैल को एक और बाघ ने दम तोड़ा था. इसके बाद 7 मई को एक और बाघ की मौत हुई थी, फिर 18 मई को एक बाघ की जान गई थी, 21 जुलाई को एक बाघ की मौत हुई थी. 9 अगर और 16 अगस्त को एक बाघ की जान गई थी, ऐसे ही 15 अक्टूबर, 20 अक्टूबर को भी बाघ की मौत हुई थी. दिसंबर महीने में भी एक बाघ ने दम तोड़ा था और अब फिर एक बाघ की जान गई है. एक साल के अंदर इस पार्क में 17 बाघों की मौत हो गई है.
टाइगर स्टेट
पिछले साल जुलाई में जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश बाघों के मामले में पूरे देश भर में टॅाप पर था. यहां पर सर्वाधिक बाघ पाए गए थे. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की बात करें तो रिपोर्ट में इस पार्क में बाघों की संख्या 150 से ज्यादा थी. जब रिपोर्ट आई तो इस पार्क का भी नाम देश भर में छाया रहा, लेकिन यहां पर हो रही बाघों की मौत प्रबंधन को कटघरे में खड़ा करती है. ऐसे में अब देखने वाली बात होगी की आने वाले दिनों में किस तरह से प्रबंधन बाघों की मौत का सिलसिला रोकता है