Khargone ancient temple: आज महाशिवरात्रि के महापर्व पर हम आपको खरगोन जिले में स्थित ऐसे प्राचीन मंदिर की कहानी बता रहे हैं, जहां पर रावण को 6 महीने कैद किया गया था.
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राकेश जायसवाल/खरगोनः शिवालयों की नगरी खरगोन (khargone) जिले की पवित्र एवम पर्यटन नगर महेश्वर, यहां प्राचीन प्रसिद्ध राजराजेश्वर मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, अहिल्येश्वर महादेव मंदिर, बाणेश्वर महादेव मंदिर के शताब्दीयों पुराने इतिहास है. यहां हर मंदिर की अपनी अलग विशेषता है. आज महाशिवरात्रि (mahashivratri) के महापर्व पर इन मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की तांता लगा हुआ है.
खंडवा जिले में स्थित राज राजेश्वर मंदिर में शिवरात्रि पर दर्शन का खासा महत्व है. यहां 11 दीपक अखंड ज्योत के रूप में शताब्दियों से जल रहे है. हवा आधी कोई भी आपदा इन दीपकों को नहीं बुझा सकी है. दीपक की अखंड ज्योत के लिए श्रद्धालु यहां शुद्ध घी का दान करते है.
शिवरात्रि पर्व की आठ दिन पहले से तैयारिया होती हैं. आज शिवरात्रि पर यहां निमाड़ मालवा अंचल से श्रद्धालु का जन सैलाब उमड़ा है. पर्यटक भी बड़ी सख्या में पहुंचे हैं. दर्शन कर पूजा अर्चना कर रहे हैं. महेश्वर नगरी की धार्मिक महत्ता है. रामायण काल से पहले का इतिहास है. रावण को यहां के सोमवंशी राजा राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन ने अपनी भुजाओं में कैद कर लिया था. रावण को छह माह बंदी बनाकर रखा था. आज भी रावण को जिस स्थान पर कैद किया वह स्थान यहां पर है.
होलकर वंश की महारानी मातेश्वरी अहिल्या देवी भी भगवान भोलेनाथ की अन्नीय भक्त थी. मां नर्मदा तट पर शिवायल शिव छतरिया प्राचीन काशीविश्वनाथ मंदिर उन्हीं के द्वारा बनाए गए उनकी स्मृति में अहिलेश्वर मंदिर की बनावट देखते ही बनती है. राजशाही बैठक के साथ मंदिर दर्शन का महत्व है. आज भी होलकर एवम सिंधिया वंशज यहां जरूर दर्शन करते है. आज महाशिवरात्रि के महापर्व पर इन सभी शिवालयों में भक्तों का जन सैलाब उमड़ा.
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