MP के इस जगह पर लगता है भूतों का मेला, नजारा देखकर कांप जाएगी रूह
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MP के इस जगह पर लगता है भूतों का मेला, नजारा देखकर कांप जाएगी रूह

Bhooton Ka Mela: मध्य प्रदेश के छितवाड़ा में भूतों का मेला लगता है. यहां तांत्रिक पेड़ में कील गाड़कर भूत-प्रेत भगाते हैं. जिसके बाद मुर्गे और बकरे की बलि दी जाती है. जानिए मेले की खासियत.

MP के इस जगह पर लगता है भूतों का मेला, नजारा देखकर कांप जाएगी रूह

Bhooton Ka Mela: आपने अपने लाइफ में कई तरह के मेले देखे होंगे, कभी कभी जानवरों का तो कभी विज्ञान के अजुबों का, लेकिन आज हम आपको जिस मेले के बारे में बता रहे हैं, इसे शायद ही आपने देखा या सूना होगा. क्योंकि, आज हम जिस मेले की बात कर रहे हैं, वो मध्य प्रदेश के छिदवाड़ा जिले में लगता है. इस मेले को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां यहां तंत्र-मंत्र के ज़रिए भूत-प्रेत भगाए जाते हैं.  इसे भूतों का मेला कहा जाता है. इस मेले का अजीबोगरीब नजारा देखने दूर दूर से लोग आते हैं.

दरअसल, भूतों का यह मेला  शहर से 60 किलोमीटर दूर नवेगांव पंचायत के ग्राम खमराताल में हर साल देखने मिलता है. लोगों का ऐसा दावा है कि मालन माई के दरबार में कदम रखते ही लोग अचानक नांचने लगते हैं. इसके बाद इस मेले में मौजूद  तांत्रिक तंत्र-मंत्र की शक्ति से भूतों को निकालने का दावा करते हैं. जिसके बाद अजीब हरकतें करने वाला व्यक्ति शांत हो जाता है. यह मेला हर साल दीपावली के 11 दिन बाद देव उठनी ग्यारस के दिन शुरू होता है, जो कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है. इसे भूतों के मेले से जाना जाता है.

मुर्गे और बकरे की दी जाती है बलि

इस मेले में ओझा पडिहार तंत्र मंत्र से भूतों को भगाने के लिए प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति को अनेकों यातनाएं देते है. भूत प्रेत को शरीर छोडने के लिए मुर्गे और बकरे की बली भी दी जाती है. सैकड़ों वर्ष पुराने वटवृक्ष को धागा बांधा जाता है. फिर इस पेड़ पर कील ठोंकी जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस पेड़ पर ही शरीर से निकाले गए भूत को कील ठोंककर बांध दिया जाता है.

मालन माई की होती है पूजा अर्चना 

इस मेले के दौरान वहां स्थित मालन माई की पूजा की जाती है. शाम ढलने के बाद भूत-प्रेत से ग्रसित व्यक्तियों को तालाब में स्नान कराया जाता है. इसके बाद मां मालन के दरबार में पूजा के लिए लाया जाता है. फिल ढोल बाजे के साथ तालाब के दूसरी तरफ पीपल के पेड़ पर प्रेतात्माओं का आव्हान किया जाता है. इसी स्थान के पास मुर्गा- बकरा की बलि दी जाती है.

रिपोर्ट - प्रमोद शर्मा भोपाल

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