MP में 2020 से खाली है विधानसभा उपाध्यक्ष का पद, कांग्रेस का लेटर, कमलनाथ सरकार से जुड़ा है मामला
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MP में 2020 से खाली है विधानसभा उपाध्यक्ष का पद, कांग्रेस का लेटर, कमलनाथ सरकार से जुड़ा है मामला

MP Politics: मध्य प्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष का पद 2020 के बाद से ही खाली है. ऐसे में कांग्रेस ने एक बार फिर इस पद की मांग की है. 

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मध्य प्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष के पद को लेकर एक बार फिर सियासत तेज होती दिख रही है. कांग्रेस ने एक बार फिर से इस पद पर हक जताया है. उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को लेटर लिखकर उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने की मांग की है. उन्होंने पत्र की एक कॉपी सीएम मोहन यादव, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय को भी भेजी है. हेमंत कटारे का कहना है कि संसदीय परंपरा के मुताबिक विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाता है, इसलिए यह पद कांग्रेस को देना चाहिए. 

मध्य प्रदेश में 4 साल से खाली है विधानसभा उपाध्यक्ष का पद 

मध्य प्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष का पद 2020 के बाद यानि पिछले चार से साल से ही खाली है.  जबकि 2023 में नई सरकार के बनने के बाद भी इस पद पर किसी भी विधायक की तैनाती नहीं की गई है. कटारे ने अपने पत्र में लिखा 'भारतीय संविधान के अनुच्छेद 178 में प्रदेश विधान सभाओं में स्पीकर सहित डिप्टी स्पीकर के पद का उल्लेख है, मध्य प्रदेश में नियमानुसार विधान सभा के द्वितीय सत्र तक उपाध्यक्ष पद की पूर्ति की जानी चाहिए थी, लेकिन पिछले चार सालों में इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं हुई है.' 

कमलनाथ सरकार के वक्त का है मामला

दरअसल, मध्य प्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष पद का मुद्दा कमलनाथ सरकार के वक्त से जुड़ा है. मध्य प्रदेश की राजनीति में आमतौर पर यह परंपरा चली आ रही थी कि विधानसभा अध्यक्ष का पद सत्ता पक्ष के पास होता था तो विपक्ष का पद कांग्रेस को दिया जाता था, लेकिन 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जब विधानसभा अध्यक्ष पद का मुद्दा आया तो कांग्रेस के एनपी प्रजापति के विरोध में बीजेपी ने विजय शाह को उतार दिया था, हालांकि बहुमत होने की वजह से अध्यक्ष का पद कांग्रेस को मिला, लेकिन इस घटनाक्रम से सूबे की राजनीति बदल गई, बाद में जब विधानसभा उपाध्यक्ष पद की बारी आई तो कांग्रेस ने यह पद अपने पास ही रखा और तत्कालीन कांग्रेस विधायक हिना कांवरे को विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाया. इस तरह अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों ही पद कांग्रेस के पास चले गए और यह विपक्ष को यह पद देने की परंपरा टूट गई. 

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बाद में 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने से कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई और राज्य में फिर से बीजेपी की सरकार बनी, लेकिन इस बार बीजेपी ने विधानसभा उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस को नहीं दिया, जबकि इस पद पर किसी और की भी तैनाती नहीं हो पाई. इसके बाद से ही यह पद अब तक खाली है. 2023 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा के अध्यक्ष बने, लेकिन उपाध्यक्ष का पद अभी भी खाली है. 

हेमंत कटारे ने लोकसभा का भी दिया हवाला 

हेमंत कटारे ने यह पद विपक्ष के लिए मांगा है, इसके लिए उन्होंने लोकसभा का भी हवाला दिया है. उनका कहना है कि मध्य प्रदेश में विधायी कार्य को लोकतांत्रिक व स्वच्द विधायी परंपरा के मुताबिक उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने की परंपरा रही है. लोकसभा में भी इसका निर्वाहन होता आया है, जहां 18 में से 10 बार विपक्षी दल को उपाध्यक्ष का पद दिया गया है. ऐसे में इस परंपरा के मुताबिक मध्य प्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस को मिलना चाहिए. 

मध्य प्रदेश में भी अब तक विधानसभा के 18 उपाध्यक्ष रह चुके हैं, प्रदेश में अधिकतर समय विपक्ष को ही यह पद दिया जाता है. 2003 से लेकर 2018 तक मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार रही इस दौरान विपक्ष को विधानसभा उपाध्यक्ष का पद दिया जाता रहा था, लेकिन इस बार अभी तक इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं हुई है. ऐसे में हेमंत कटारे के बयान के लेटर के बाद यह मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया है. 

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