जाको राखे साइयां, मार सके न कोय...विदिशा की ये घटना किसी चमत्कार से कम नहीं!
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जाको राखे साइयां, मार सके न कोय...विदिशा की ये घटना किसी चमत्कार से कम नहीं!

जाको राखे साइयां मार सके न कोय, यह कहावत चर्चित तो थी ही, लेकिन इस वस्तविकता सिरोंज के वार्ड क्रमांक 21 अयोध्या बस्ती में देखने को मिली. जहां एक कच्चा मकान धराशाई हो गया, लेकिन उसमें सहने वाले सभी लोग सलामत निकल आए.

जाको राखे साइयां, मार सके न कोय...विदिशा की ये घटना किसी चमत्कार से कम नहीं!

दीपेश शाह/विदिशा: वो कहते हैं न 'जाको राखे साइयां मार सके न कोय' ये पंक्ति मध्य प्रदेश के विदिशा दिले में सच होकर सामने आई है. दरअसल विदिशा जिले के सिरोंज में एक मकान धराशाई हो गया और इसके नीचे घर में मौजूद महिला समेत, एक बुजुर्ग और बच्चे आ गए. ईश्वर की कृपा रही कि उन्हें सिर्फ मामूली चोंटे आई हैं.

मकान के अंदर थे बच्चे, महिला और बुजुर्ग
मकान पूरा धरासाही हो गया, जब यह मकान गिरा तो उस समय घर के अन्दर चार मासूम बच्चे और 65 वर्षीय एक बुजुर्ग व्यक्ति सहित एक महिला थी. घर के पुरूष सुबह ही मजदूरी करने निकल गए थे. इसी बीच मकान का गिरना हुआ. मकान गिरने के बाद मोहल्ले के लोगों ने आकर घर के निचे दबे हुए बच्चो और बुजुर्ग को बाहर निकाला. गनीमत रही की किसी को कोई गहरी चोट नहीं आई.

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समाज सेवकों ने की मदद
घटना के बाद समाज सेविका बिलकिस ने घायल लोगों को अपने निजी वाहन से उपचार के लिए शासकीय अस्पताल पहुंचाया. इसके साथ ही उन्होंने परिवार को ढाढ़स बंधाया कि समाज उनके साथ हैं.

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पीड़ित ने तहसील दार को दिया आवेदन
अयोध्या बस्ती निवासी खालिद खां ने तहसील कार्यालय पहुंचकर तहसीलदार को आवेदन देते हुए बताया कि मैं एक गरीब मजदूर हूं, मेरा मकान पिछली माह पूर्व हुई बारिश से ही कई जगह पर दरारें आ गई थी. आर्थिक तंगी के कारण में अपने मकान की मरम्मत नहीं कर सका. शुक्रवार को 11 बजे के आसपास अचानक मेरा मकान भरभरा कर गिर गया.

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प्रशासन से की मुआवजे की मांग
खालिद खां के अनुसार, जिस समय मकान गिरा वो मजदूरी के लिए गए हुए थे. घटना के बाद मोहल्ले वालो की मदद से परिवार के सदस्यों की जान बच सकी. उन्होंने तहसीलदार को दिए आवेदन के माध्यम से मुआवजे के मांग की है. उन्होंने निवेदन किया है कि जल्द से जल्द सर्वे कराकर उचित मुआवजा दिया जाए, जिससे उनके परिवार को छत मिल सके.

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