Chhattisgarh Nagar Nigam Chunav: बिलासपुर जिला निवार्चन कार्यालय में मेयर व पार्षद पद के लिए जमा किये गए नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी चल रही है. स्क्रूटनी के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद नायक ने अपने वकील के जरिये भाजपा की प्रत्याशी पूजा विधानी के जाति को लेकर आपत्ति जताई. जैसे ही प्रमोद के वकील ने आपत्ति दर्ज कराई भाजपाई हंगामा मचाने लगा.
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Chhattisgarh Election 2025: बिलासपुर नगर निगम से भाजपा महापौर प्रत्याशी पूजा विधानी जाति के झमेले में फंस गई हैं. कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद नायक ने अपने वकील के जरिये जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई है. वहीं कांग्रेस ने भी प्रेस वार्ता कर इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग रखी है.
जिला निवार्चन कार्यालय में मेयर व पार्षद पद के लिए जमा किये गए नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी चल रही है. स्क्रूटनी के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद नायक ने अपने वकील के जरिये भाजपा की प्रत्याशी पूजा विधानी के जाति को लेकर आपत्ति जताई. जैसे ही प्रमोद के वकील ने आपत्ति दर्ज कराई भाजपाई हंगामा मचाने लगा. इस बीच जिला निर्वाचन अधिकारी ने व्यवस्था बनाते हुए कहा कि अगर आपत्ति दर्ज कराई गई है तो नियमानुसार निराकरण किया जाएगा.
इसके साथ ही आरओ ने भाजपा प्रत्याशी को नोटिस जारी कर ओबीसी जाति के सम्बंध में दस्तावेज पेश करने का निर्देश देते हुए सुनवाई के लिए शाम पांच बजे का समय तय कर दिया है. वही इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, विधायक और जिला अध्यक्ष ने प्रेस वार्ता कर जानकारी देते हुए कहा कि अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो कानूनी कार्यवाही भी पार्टी करेगी.
क्या है आपत्ति की वजह
कांग्रेस से महापौर प्रत्याशी प्रमोद नायक ने अपने वकील के जरिये पेश आपत्ति में कहा है कि पूजा विधानी तेलुगु समाज से आती हैं. नामांकन पत्र में उन्होंने खुद को उड़िया बताया है. पूजा विधानी का असली नाम एल पद्मजा है. अशोक विधानी से शादी के बाद उनका नाम पूजा विधानी पड़ा. एक पद्मजा को तेलगु समाज का समझा जाता था पर उड़िया समाज का होने और ओबीसी वर्ग से होने का उन्होंने नामांकन भरा है. कांग्रेस प्रत्याशी की आपत्ति को जिला निर्वाचन अधिकारी ने स्वीकार कर पूजा विधानी से ओबीसी समुदाय का होने का प्रमाण और दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया है.
भाजपा प्रत्याशी को पेश करना होगा स्पष्टीकरण
अब भाजपा की उम्मीदवार के द्वारा अपने प्रमाण पत्र को लेकर जिला निर्वाचन कार्यालय में स्पष्टीकरण दिया जाएगा. इसके बाद स्पष्ट होगा कि जाति प्रमाण पत्र को लेकर उठ रहे सवाल पर विराम लगता है या फिर या मामला और आगे तक जाएगा.