इंदौर में नाबालिग से छेड़छाड़ के आरोप में जेल में बंद था युवक, 5 साल बाद बड़ा खुलासा
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इंदौर में नाबालिग से छेड़छाड़ के आरोप में जेल में बंद था युवक, 5 साल बाद बड़ा खुलासा

इंदौर Indore में पांच साल पहले एक लड़की ने युवक पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. लेकिन अब इस मामले में बड़ा खुलासा हुआ है, जिसे सुनकर सब हैरान रह गए. 

 

इंदौर में नाबालिग से छेड़छाड़ के आरोप में जेल में बंद था युवक, 5 साल बाद बड़ा खुलासा

शताब्दी शर्मा/इंदौर। इंदौर Indore से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. पांच साल पहले शहर में एक नाबालिग लड़की ने एक युवक पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. जिसके चलते युवक को जेल भेज दिया गया था. लेकिन अब इस मामले में पांच साल बाद बड़ा खुलासा हुआ है. क्योंकि जब मामले की चालान डायरी जब कोर्ट में पेश की गई तो पूरे मामले की सच्चाई सामने आई. 

युवक पर झूठा केस दर्ज कराया था
कोर्ट में पेश कई गई चालन डायरी में जिस स्कूल का जिक्र था, वहां वो क्लास थी ही नहीं थी जिसमें नाबालिग पढ़ती थी. ऐसे में जब लड़की से पूछताछ की गई तो पूरे मामले की सच्चाई सामने आई. लड़की ने बताया कि पांच साल पहले उसने यह सब अपने मामा के कहने पर किया था. जहां जांच में यह पूरा मामला झूठा पाया गया. 

2017 का था मामला 
दरअसल, 9 अप्रैल 2017 को नौवीं क्लास में पढ़ने वाली नाबालिग छात्रा ने पुलिस में बंशी माध्वानी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज कराया था. नाबालिक ने पुलिस को बताया था कि एक कपड़े कि दुकान पर बंशी ने उस से जान पहचान की थी, इसके बाद वह उसे परेशान करने लगा नाबालिक की शिकायत पर पुलिस ने बंशी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. जिसके बाद से ही यह मामला चल रह था.

मामा के कहने पर दर्ज कराया था मामला 
अब जब पुलिस ने कोर्ट में इस मामले की केस डायरी पेश की तो सामने आया कि छात्रा ने खुद को जिस स्कूल में जाना बताया था, वह स्कूल तो सिर्फ आठवीं तक है, जबकि नाबालिग ने खुद को 9वीं की छात्रा बताया था. इस पर जब पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि उसने अपने मुंह बोले मामा के कहने पर झूठा केस दर्ज कराया था.  लड़की ने बताया कि उसके मामा पर उसकी मामी ने घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराया था, जिसमें बंशी उसकी कानूनी मदद कर रहा था. इसी का बदला लेने के लिए नाबालिक के मामा ने उससे झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई थी. 

मामला सामने आने के बाद युवक को मामले में बरी किया गया है. वहीं कोर्ट ने इस तरह के मामलों में पॉक्सो एक्ट का सीधे-सीधे दुरुपयोग बताया है. क्योंकि पुलिस की जांच पड़ताल और स्कूल के दस्तावेजों से यह बात स्पष्ट हो गई है कि छात्रा 8वीं में ही पढ़ती थी और यह पूरा मामला फर्जी था. 

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