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राहुल मिश्रा/भोपाल: मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने तेरह मामलों में संज्ञान लिया है. आयोग के माननीय सदस्य मनोहर ममतानी ने संज्ञान लेकर संबंधित विभागाधिकारियों से समय-सीमा में जवाब मांगा है. जिसमें भोपाल की एक छात्रा से छेड़छाड़ के मामला, बच्चों की फीस से जुड़ा मामला और हाल ही में हुई एक बच्ची की मौत के मामले में जवाब मांग है. आइये जानते हैं.. आयोग ने किन मामलों में जवाब मांगा है.
छेड़छाड़ का मामला
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने राजधानी भोपाल के उस मामले में संज्ञान लिया है, जिसमें एक आरोपी 10वीं कक्षा की छात्रा के साथ छेड़खानी कर उसे एक साल से परेशान कर रहा था. आरोपी के डर से छात्रा ने स्कूल जाना बंद कर दिया था. किशोरी ने उसे चेतावनी दी थी कि वह पुलिस में एफआईआर करा देगी. फिर भी उसने अपनी हरकत बंद नहीं की तो किशोरी अपनी दादी के साथ थाने पहुंची. पुलिस मामला दर्जकर आरोपी की तलाश कर रही है. मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने पुलिस कमिश्नर, भोपाल से 15 दिन में जवाब मांगा है.
पीने के पानी का मामला
इसी तरह भोपाल शहर से लगे ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में ही पीने के पानी के इंतजाम नहीं हैं. बच्चे और टीचर गांव से पानी लाते हैं. चौदह साल बाद भी न तो बोरवेल की सुविधा मिली न नल कनेक्षन की. स्कूल परिसर में शिक्षकों ने 'मां की बगिया' बनवाई है. इस वाटिका में सब्जी, फूल आदि के पौधे लगवाये तो गये हैं, लेकिन पानी की कमी के चलते ये सूख जाते हैं. शिक्षक बाल्टी से पानी भरकर लाते हैं. ये हालात हैं, रतनपुर गांव में. जहां यह सरकारी मिडिल स्कूल 2008 में खोला गया था. यहां 95 बच्चे पढ़ते है. दुर्भाग्य की बात यह है कि परिसर में बच्चों के लिए पीने का पानी ही नहीं है. वे अपने घरों से पानी लेकर आते हैं. मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने कमिश्नर, भोपाल से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है. आयोग ने कहा है कि जल पाने के मौलिक अधिकार की प्राप्ति में हो रहे विलम्ब के सभी मामलों में कार्यवाही करें और तदुपरांत प्रतिवेदन दें.
दीवार गिरने के मामला
भोपाल के ही कलियासोत डैम के तेरह शटर के पास चंदनपुरा में बीते शुक्रवार शाम फार्म हाउस की अलंगे से बनी दीवार गिरने से दो मजदूर दब गये थे. वहां मौजूद अन्य मजदूर उन्हें निकालकर अस्पताल लेकर पहुंचे, वहां डाक्टर ने प्राथमिक जांच में ही उन्हें मृत घोषित कर दिया था. सूचना पर पहुंची पुलिस ने मृतकों के शव जय प्रकाश अस्पताल से हमीदिया मर्चूरी में रखवा दिये. मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने कलेक्टर भोपाल से 15 दिन में जवाब मांगा है. आयोग ने कहा है कि मृतकों के परिजनों को देय मुआवजा राशि के संबंध में कार्यवाही करें और तदुपरांत प्रतिवेदन दें.
एजुकेशन बोर्ड में फीस का मामला
एमपी एजुकेशन बोर्ड के स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिये 2000 रूपये लेट फीस के साथ परीक्षा फॉर्म जमा करने का बीते रविवार को अंतिम दिन था. आनंद नगर स्थित सरकारी स्कूल के 582 विद्यार्थियों की फीस अंतिम दिन भी जमा नहीं हो सकी. ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूल प्राचार्य एसके उपाध्याय की तलाश करते हुए बावड़ियाकलां स्थित उनके घर पहुंचे, तो वहां ताला लगा मिला. इससे बच्चों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है. मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने संचालक, स्कूल शिक्षा संचालनालय, मप्र शासन भोपाल से 15 दिन में जवाब मांगा है. आयोग ने यह भी कहा है? कि प्रभावित विद्यार्थियों के परीक्षा में शामिल हो सकने के लिये शासन द्वारा की जा रही कार्यवाही एवं संभावना सहित कियोस्क संचालक के विरूद्ध कार्यवाही, कियोस्क स्थापना की शर्तें, राज्य शासन की किस संस्था/ विभाग द्वारा कियोस्क संचालन की अनुमति दी जाती है?, यह सभी जानकारियां भी प्रतिवेदन में दी जायें.
खेल मैदान का मामला
आयोग ने रायसेन जिले के गैरतगंज तहसील में जनपद सीईओ पूनम दुबे की मनमानी वाली उस मीडिया रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया है कि जिस मैदान में बच्चे खेलते थे, सीईओ ने उस पर ट्रेक्टर से बखर चलवा दिया. मैदान में बच्चों के खेलने से उनके काम में खलल पड़ता था. सीईओ की इस हरकत के बाद पुलिस ने भी कसर नहीं छोड़ी. मैदान में खेलने पहुंचे बच्चों में से एक को थाने उठा लाई. हालांकि लोगों के दबाव में उसे छोड़ना पड़ा. मामला प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और स्थानीय विधायक के संज्ञान में भी डाला गया. कलेक्टर मामले में जांचकर कार्यवाही का दावा कर रहे हैं. मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं सीईओ जिला पंचायत, रायसेन से प्रकरण की जांच कराकर खेल मैदान की उचित व्यवस्था एवं की गई, कार्यवाही के संबंध में 15 दिन में जवाब मांगा है.
बच्ची के शव का मामला
आयोग ने रायसेन जिले के सलामतपुर थाने के अंतर्गत मुड़ियाखेड़ा गांव में तीन दिन से लापता 11 साल की नाबालिग बच्ची का शव बीते रविवार को घोड़ा पछाड़ नदी में मिलने की खबर पर भी संज्ञान लिया है. खबर के अनुसार पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया. पुलिस अधीक्षक ने दो टीमें बनाकर बच्ची की तलाश करने के निर्देष दिये थे. मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने कलेक्टर रायसेन से मृत बालिका के परिजनों को देय मुआवजा राशि के संबंध में कार्यवाही करने और एक माह में प्रतिवेदन देने को कहा है.
नसबंदी से जुड़ा मामला
सागर जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, बण्डा में नसबंदी ऑपरेशन के बाद दूसरे दिन ही महिला की मौत हो गई. मौत पर परिजनों ने ऑपरेशन में लापरवाही का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने बण्डा मुख्य मार्ग में चक्काजाम कर दिया. पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे. परिजनों को जांचकर दोषियों पर कार्यवाही का आश्वासन देकर जाम खुलवाया. मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सागर से एक माह में जवाब मांगा है.
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
दमोह जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, तेंदूखेड़ा में बीते शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की लाचार व्यवस्थाओं की दर्दनाक तस्वीरें सामने आई हैं. जिसमें पहले एक जरूरतमंद को अस्पताल तक पति के लिए लाने वाहन नहीं मिलता है, तो वह हाथठेले पर अपने पीड़ित पति को लेटाकर अस्पताल लेकर आ जाती है. हद तो तब हो जाती है, जब अस्पताल में स्ट्रेचर तक की व्यवस्था नहीं हो पाती है. ऐसे में मजबूर परिजन हाथठेले को ही अस्पताल के अंदर ले जाने मजबूर हो जाते हैं. मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, दमोह से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है. आयोग ने सीएमएचओ से यह भी पूछा हैं? कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तेंदूखेड़ा में कुल कितने वॉर्ड ब्याय पदस्थ हैं? कुल कितने स्ट्रेचर मरीजों को अस्पताल के अंदर ले जाने के लिये उपलब्ध हैं? इस मामले में मरीज को हाथठेले में ही अस्पताल के अंदर ले जाने की ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई? दोषियों पर क्या कार्यवाही की गई? यह सभी जानकारियां भी प्रतिवेदन में. दी जायें.
बच्ची की मौत का मामला
आयोग ने दमोह जिले के बटियागढ़ थानांतर्गत बरकाईन गांव में खेत में बनी एक झोपड़ी में अचानक आग लगने से उसमें सो रही ढाई वर्षीय एक मासूम बालिका की घटनास्थल पर ही मौत हो जाने के मामले में भी संज्ञान लिया है. घटना के अनुसार बटियागढ़ थाना के अंतगर्त बरकाईन गांव में हल्ले भाई लोधी झोपड़ी बनाकर रहता था. अचानक उसकी झोपड़ी में आग लग गई. जिससे झोपड़ी में रखी खाद्य सामग्री, उसकी बाईक और उसमें सो रही ढाई साल की बच्ची प्रियांशी लोधी की मौत हो गई. मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, दमोह से एक माह में जवाब मांगा है.
हाईटेंशन लाइन का मामला
छतरपुर जिले की खजुराहो नगर परिषद के समीपस्थ ग्राम खर्रोही में विद्युत विभाग की लापरवाही के चलते हाईटेंशन लाईन का तार टूटने से एक महिला सहित पांच दो लोगों के घायल हो जाने की घटना पर भी आयोग ने संज्ञान लिया है. इसमें एक की हालत गंभीर होने से उसे जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया है. मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी), मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में जवाब मांगा है. आयोग ने यह भी पूछा है? कि क्या पीड़ितों को मुआवजा राशि देने की कार्यवाही भी गई है? यह जानकारी भी प्रतिवेदन में दी जाये.
सिलेंडर फटने की अफवाह का मामला
आयोग ने जिला अस्पताल शिवपुरी के पीआईसीयू वार्ड में बीते रविवार की रात आठ बजे ऑक्सीजन सिलेंडर फटने की अफवाह के बाद भगदड़ की स्थिति निर्मित होने की घटना पर संज्ञान लिया है. घटना के अनुसार ग्वालियर रेफर किये गये एक गंभीर बच्चे को लेने आई एंबुलेंस के चालक और महिला गार्ड जब सिलेंडर को ले जाने की कोशिश कर रहे थे. उसी समय गलत प्रक्रिया से उसका फ्लो मीटर फटा था. आवाज आते ही सभी के साथ ऑक्सीजन पर भर्ती गंभीर बच्चे को लेकर भागी. लगभग आधा घंटा तक बच्चा बिना आक्सीजन के रहा, इससे उसकी मौत हो गई. मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, शिवपुरी से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में तथ्यात्मक जवाब मांगा है.
पुलिस हिरासत में मौत का मामला
आयोग ने गुना जिले में पुलिस हिरासत में एक आरोपी की मौत हो जाने के मामले में भी संज्ञान लिया है. बीते सोमवार की रात बड़ी संख्या में आरोपी के परिजनों और अन्य लोगों ने अस्पताल के गेट पर मृतक का शव रखा और पुलिस के खिलाफ देर तक नारेबाजी की मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, गुना से प्रकरण की जांच कराकर सभी सुसंगत दस्तावेजों सहित एक माह में तथ्यात्मक प्रतिवेदन मांगा है.
पानी से बीमार हुए लोग
आयोग ने इंदौर जिले के बेटमा के समीप उत्तरसी गांव में बीमारी फैलने और दो से तीन दिन में 35 ग्रामीणों के बीमार हो जाने की घटना पर संज्ञान लिया है. घटना के मुताबिक पेयजल में कोई जहरीला केमिकल मिल जाने के कारण इसे पीने से ही सभी ग्रामीणों की तबीयत खराब हुई. मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने क्षेत्रीय संचालक, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, इंदौर तथा कलेक्टर इंदौर से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है. आयोग ने यह भी कहा है कि ग्रामीणों को उपलब्ध पेयजल की गुणवत्ता एवं इसे उपयोग योग्य होना सुनिश्चित करें और इस आशय में की गई कार्यवाही की जानकारी भी प्रतिवेदन में दी जाये.