छात्र नेता से सूबे के मुख्यमंत्री तक...ऐसा रहा डॉ. मोहन यादव का संघर्ष से सत्ता का सफर...
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छात्र नेता से सूबे के मुख्यमंत्री तक...ऐसा रहा डॉ. मोहन यादव का संघर्ष से सत्ता का सफर...

CM Mohan Yadav: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति की शुरुआत करने वाले डॉ. मोहन यादव का मुख्यमंत्री पद का सफर संघर्ष से भरा रहा है. जानिए सीएम के राजनीतिक जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें. 

सीएम मोहन का संघर्ष से सत्ता का सफर...

CM Mohan Birthday: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव होली के साथ-साथ अपना जन्मदिन भी मना रहे हैं. सत्ता संभालने के बाद वह तेजी से काम में जुटे हैं, अब तक उनके लिए गए कई फैसले अक्सर चर्चा में रहते हैं. लेकिन छात्र राजनीति से मुख्यमंत्री पद तक का सफर डॉ. मोहन यादव के लिए आसान नहीं रहा है. सीएम मोहन के जन्मदिन पर हम उनके राजनीतिक जीवन में हुए उतार-चढ़ाव से लेकर प्रदेश की सबसे अहम जिम्मेदारी संभालने के बारे में बता रहे हैं.  

RSS और ABVP से शुरू की थी राजनीति 

मुख्यमंत्री मोहन यादव RSS की पाठशाला से निकले हुए नेता रहे हैं. बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन से आने वाले डॉ. मोहन यादव छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिए हो गए थे. आरएसएस में काम करते हुए उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से 1984 से की थी, ABVP से राजनीति की शुरुआत करने की वजह से सीएम मोहन की छवि शुरुआत में ही सड़क पर संघर्ष करने वाले नेता की बन गई थी, जिसके चलते उन्हें 1986 में ही ABVP का प्रमुख बना दिया गया था, पार्टी की सभी जिम्मेदारियां बखूबी निभाने के चलते वह जल्द ही पार्टी संगठन की नजर में आ गए थे. 

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2003 में लौटाया टिकट 2023 में बने मुख्यमंत्री 

ABVP के प्रदेश मंत्री, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मंत्री जैसे अहम पदों की जिम्मेदारियां संभालते हुए डॉ. मोहन यादव उज्जैन समेत पूरे मालवा में बीजेपी के उभरते हुए नेता बन रहे थे. 2003 में प्रदेशभर में जब भगवालहर चल रही थी, तब बीजेपी ने उन्हें उज्जैन जिले की बड़नगर विधानसभा सीट से टिकट दिया था, लेकिन जब किसी दूसरे नेता का नाम सामने आया तो उन्होंने तत्काल संगठन की बात को मानकर टिकट लौटा दिया. उनका यह फैसला उनके करियर में बड़ा साबित हुआ, जिसके बाद संगठन में उनकी छवि एक मजबूत नेता की बनी. ऐसे में जब 2023 में मुख्यमंत्री पद की बारी आई तो बीजेपी के संगठन ने तमाम दिग्गजों को दरकिनार करते हुए डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी. 

2013 में पहली बार MLA, 2020 में मंत्री 

डॉ. मोहन यादव को पार्टी ने जो जिम्मेदारी सौंपी वह हर बार उस जिम्मेदारी पर खरे उतरे. ऐसे में 2013 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा, यहां भी सीएम मोहन सब पर भारी पड़े और उन्होंने बीजेपी को बड़ी जीत दिलाई. अब तक उनका काम और नाम पार्टी हाईकमान तक पहुंच गया था. 2018 के विधानसभा चुनाव में वह एक बार फिर इसी सीट से चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की. ऐसे में 2020 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया. 

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पार्टी ने सौंपी सबसे बड़ी जिम्मेदारी

मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया. लेकिन इस बार पार्टी ने प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन का मन बना लिया था. ऐसे में नए मुख्यमंत्री के रेस में कई दिग्गज नेता शामिल थे. लेकिन पार्टी ने दमाम दिग्गजों को दरकिनार करते हुए डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी. खास बात यह है कि विधायक दल की बैठक से कुछ मिनट पहले विधायकों के फोटो सेशन में वह दिग्गजों से काफी दूर तीसरी लाइन में बैठे थे. लेकिन जब मुख्यमंत्री पद के लिए उनका नाम सामने आया तो वह फ्रंड पर थे. विधायक दल ने सर्वसम्मति से उन्हें अपना नेता चुना और उन्होंने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली, जिसके बाद से अब तक का उनका सीएम पद का सफर एक तेजतर्रार मुख्यमंत्री के तौर पर नजर आया है, जो तेजी से हर फैसला करने के लिए अपनी पहचान राज्य में बनाते जा रहे हैं. 

कुश्ती के शौकीन तलवारबाजी में माहिर 

बाबा महाकाल के भक्त सीएम मोहन यादव की गिनती प्रदेश के सबसे फिट राजनेताओं में होती है. वह कुश्ती के शौकीन हैं और राज्य कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी हैं. खास बात यह है कि तलवारबाजी और लट्ठबाजी में भी उनका कोई जवाब नहीं है, इसलिए उनकी गिनती फिट नेताओं में होती है, इसके अलावा साइकिलिंग और मॉर्निंग वॉक भी उनकी हॉबी मानी जाती है. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह अपनी सेहत के प्रति हमेशा सजग नजर आते हैं. 

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सीएम मोहन की शिक्षा और परिवार 

सीएम मोहन न केवल अपनी फिटनेस के प्रति सजग हैं बल्कि पढ़ाई-लिखाई के मामले में वह अपना एक अलग स्थान रखते हैं. सीएम मोहन आज की तारीख में मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे नेताओं में से एक हैं, उन्होंने BSC, LLB, MA (राजनीतिक विज्ञान) की डिग्रियां ली हैं, इसके अलावा उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट में MBA भी किया है, जबकि मुख्यमंत्री PHD होल्डर भी हैं. जिससे उनके ज्ञान का अंदाजा लगाया जा सकता है. वहीं बात अगर उनके पारिवारिक जीवन की जाए तो 25 मार्च 1965 को उज्जैन में पिता पूनमचंद और मां लीलाबाई के घर जन्में सीएम मोहन के परिवार में पत्नी सीमा यादव, दो बेटे अभिमन्यु और वैभव यादव हैं और एक बेटी डॉ. आकांक्षा यादव हैं. 

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बाबा महाकाल के भक्त हैं CM मोहन 

मुख्यमंत्री पद के लिए जैसे ही सीएम मोहन यादव के नाम का ऐलान हुआ तो उन्होंने सबसे पहले उज्जैन पहुंचकर बाबा महाकाल का दर्शन और पूजा पाठ करके ही सीएम पद की जिम्मेदारी संभाली थी. सीएम बनने के बाद डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि वह पार्टी के छोटे से कार्यकर्ता हैं और उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसे वह पूरी सजगता के साथ निभाएंगे. मध्य प्रदेश को देश का दिल कहा जाता है, जिसे संभावनाओं प्रदेश भी कहा जाता है. ऐसे में बतौर मुख्यमंत्री उनके पास एक बड़ी जिम्मेदारी हैं, जिसे वह बखूबी निभा रहे हैं.  

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