Bharat Bandh: SC-ST आरक्षण में सब कैटेगराइजेशन को लेकर देश भर में सुप्रीम कोर्ट के फैसला का विरोध हो रहा है. इसे लेकर आज 21 अगस्त को 'भारत बंद' बुलाया गया है. MP में BSP और जयस ने इसका समर्थन किया है. ऐसे में बंद को लेकर चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात है.
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Bharat Bandh Today Effect in Madhya Pradesh: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति यानी SC-ST के आरक्षण में सब कैटेगराइजेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसला का पूरे देश में विरोध हो रहा है. इस विरोध के चलते आज बुधवार को दलित और आदिवासी संगठनों ने भारत बंद बुलाया है. मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (BSP) और जयस ने इस बंद का समर्थन किया है. इस बंद के आह्वान को लेकर प्रदेश में पुलिस अलर्ट मोड पर है. खासकर ग्वालियर-चंबल में तो स्कूलों में छुट्टी भी घोषित कर दी गई है.
एमपी में भारत बंद का असर
बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने पूरे प्रदेश में आज बंद का समर्थन किया है. इसके अलावा जयस भी एमपी में भारत बंद का समर्थन कर रही है. इस बंद को लेकर प्रशासन विशेष एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं. वहीं, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र छोड़ किसी भी जिले में प्रशासन की ओर से स्कूल-कॉलेज बंद के कोई आदेश जारी नहीं हुए हैं. इस दौरान परिवहन प्रभावित रहेगा. साथ ही कई इलाकों में दुकानें भी बंद रह सकती हैं.
ग्वालियर-चंबल में कड़े इंतजाम
मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में प्रशासन ने बंद को लेकर कड़े इंतजाम किए हैं. दरअसल, पिछली बार बंद के दौरान इस इलाके में काफी हिंसा हुई थी. ऐसे में एहतियातन अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है. साथ ही निगरानी के लिए ड्रोन कैमरा भी इस्तेमाल किया जाएगा.
सोशल मीडिया पर निगरानी
प्रशासन ने बंद के दौरान सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म पर निगरानी रखने की तैयारी कर ली है. सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वालों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा.
'सुप्रीम कोर्ट का फैसला जन भावनाओं के खिलाफ'
बसपा प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल ने कहा कि, समाज के वंचित, शोषित और पीड़ित वर्ग जो आज भी समाज में भेदभाव, छुआछूत और गरीबी, बदहाली की जिंदगी जी रहा है. बाबा साहब के संविधान की बदौलत लोगों के जीवन में सुधार आ रहा है. कोर्ट का फैसला जन भावनाओं और उन दलित, आदिवासियों के खिलाफ है, जो आज भी समाज की मुख्य धारा से दूर हैं.
क्या है भारत बंद की वजह
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिनों पहले SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा-'सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं. कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं. उदाहरण के लिए - सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले. ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं. इन लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है. ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है.'
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