Indore Lok Sabha Seat History: इंदौर लोकसभा सीट पर 35 साल से बीजेपी का दबदबा रहा है. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस 2024 के चुनाव में हार का सिलसिला तोड़ना चाहती है. 2019 में बीजेपी के शंकर लालवानी ने कांग्रेस के पंकज संघवी को हराया था.
Trending Photos
MP Lok Sabha Elections 2024: 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं. जिसको लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां लगी हुई हैं. इंदौर सीट की बात करें तो यह भारतीय जनता पार्टी का मजबूत गढ़ है. बीजेपी ने यहां लगातार 9 लोकसभा चुनाव जीते हैं. जबकि, कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ा है. बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार शंकर लालवानी ने कांग्रेस के पंकज संघवी को 5 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था, तो आइए समझते हैं इंदौर लोकसभा सीट का समीकरण...
इंदौर लोकसभा सीट की विधानसभा सीटों की स्थिति
सीट का नाम | विधायक | पार्टी |
---|---|---|
देपालपुर | मनोज पटेल | BJP |
इंदौर-1 | कैलाश विजयवर्गीय | BJP |
इंदौर-2 | रमेश मेंदोला | BJP |
इंदौर-3 | गोलू शुक्ला | BJP |
इंदौर-4 | मालिनी गौड़ | BJP |
इंदौर-5 | महेंद्र हरड़िया | BJP |
राऊ | मधु वर्मा | BJP |
सांवेर (एससी) | तुलसीराम सिलावट | BJP |
इंदौर लोकसभा सीट में कौन सी विधानसभा सीटें हैं?
इंदौर लोकसभा सीट में देपालपुर, इंदौर-1, इंदौर-2, इंदौर-3, इंदौर-4, इंदौर-5, राऊ और सांवेर विधानसभा सीटें शामिल हैं.
इंदौर में कुल कितने मतदाता हैं?
श्रेणी | मतदाता संख्या |
---|---|
एससी मतदाता | 3,93,922 |
एसटी मतदाता | 1,11,225 |
ग्रामीण मतदाता | 4,86,610 |
शहरी मतदाता | 18,30,581 |
कुल मतदाता | 23,22,338 |
इंदौर लोकसभा सीट का समीकरण
धर्म/ जाति | कुल जनसंख्या का प्रतिशत |
---|---|
बौद्ध | 0.36% |
ईसाई | 0.58% |
जैन | 2.19% |
मुस्लिम | 12.67% |
एससी | 17% |
एसटी | 4.8% |
सिख | 0.78% |
2014 आम चुनाव का रिजल्ट
पार्टी | उम्मीदवार | वोट | वोट % |
---|---|---|---|
BJP | सुमित्रा महाजन | 854,972 | 64.93 |
कांग्रेस | सत्यनारायण पटेल | 3,88,071 | 29.47 |
AAP | अनिल त्रिवेदी | 35,169 | 2.67 |
2019 आम चुनाव का रिजल्ट
पार्टी | उम्मीदवार | वोट | वोट % |
---|---|---|---|
BJP | शंकर लालवानी | 1,068,569 | 65.59 |
कांग्रेस | पंकज संघवी | 520,815 | 31.97 |
BSP | दीपचंद अहीरवाल | 8,666 | 0.53 |
इंदौर लोकसभा सीट का इतिहास
कभी कांग्रेस का गढ़ रही इंदौर लोकसभा सीट पर बीते 35 सालों से भाजपा का कब्जा है. कांग्रेस ने इन सालों में कई प्रयोग किए. युवा से लेकर अनुभवी उम्मीदवारों को मौका दिया, लेकिन जीत नहीं मिली. बता दें कि कांग्रेस को इंदौर सीट पर लगातार 9 बार हार मिली है. इस सीट से वरिष्ठ भाजपा नेत्री और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने रिकॉर्ड चुनाव जीते हैं. इंदौर लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो पहले दो चुनावों में पूरे देश की तरह इंदौर में भी कांग्रेस का दबदबा रहा था. 1952 में कांग्रेस प्रत्याशी नंदलाल जोशी को जीत मिली. जबकि, 1957 में कांग्रेस प्रत्याशी खादीवाला कन्हैयालाल ने चुनाव जीता था. 1957 के चुनाव में कन्हैयालाल ने जनसंघ के किशोरीलाल को हराया था.
इंदौर के निर्दलीय सांसद
1962 के लोकसभा चुनाव में इंदौर सीट पर बड़ा उलटफेर हुआ. निर्दलीय प्रत्याशी होमी एफ.दाजी ने जीत हासिल की. चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के रामसिंहभाई करणसिंह को धूल चटाई थी. अब आप सोच रहे होंगे कि निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतने वाले होमी एफ.दाजी कौन थे? तो आपको बता दें कि होमी एफ. दाजी उस समय प्रदेश के जाने-माने कम्युनिस्ट नेता थे. उन्होंने श्रमिकों और हाशिए पर रहने वालों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई. उन्होंने 1952 में राजनीति में एंट्री की थी. 1957 में वे एमपी विधानसभा के सदस्य बने और 1962 में इंदौर से लोकसभा के लिए चुने गए. लोकसभा चुनाव में उन्होंने रामसिंहभाई करणसिंह को मात दी थी. ये मुकाबला बहुत ही ज्यादा दिलचस्प था. होमी एफ.दाजी को 95,682 वोट मिले थे. जबकि, उनके प्रतिद्वंद्वी रामसिंहभाई ने 89,389 वोट हासिल किए थे. करीबी मुकाबले में दाजी ने बाजी मार ली थी.
कांग्रेस की आखिरी जीत और बीजेपी युग
1989 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत खास था क्योंकि यह इंदौर में उसकी पहली जीत थी. बता दें कि 1989 में बीजेपी ने पहली बार सुमित्रा महाजन को टिकट दिया था. जहां उनके सामने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी थे. सेठी इस सीट से सांसद थे. खास बात यह है कि इस चुनाव में बीजेपी नेत्री ने प्रकाशचंद्र सेठी को हराकर यह सीट कांग्रेस से छीन ली. जिसके बाद कांग्रेस की यहां कभी वापसी नहीं हुई. प्रकाशचंद्र सेठी की बात करें तो उनकी गिनती उस समय के कद्दावर नेताओं में होती थी. वह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री (1972-1975) और भारत के गृह मंत्री (1982-1984) रहे हैं. प्रकाश चंद सेठी चार बार इंदौर के सांसद भी रहे, उन्होंने 1967, 1971, 1980 और 1984 में जीत हासिल की. उन्होंने एच. दाजी (आईएनडी), सत्यभान सिंघल (जनसंघ), शील कुमार निगम (जेएनपी), और राजेंद्र नीलकंठ धारकर ( बीजेपी) को मात दी थी. हालांकि, उनके सामने सुमित्रा महाजन ने शानदार जीत हासिल की. इस चुनाव में सुमित्रा महाजन ने एक लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी. खास बात ये थी कि ये उनकी रिकॉर्ड जीत थी. उस समय यह पिछले सभी चुनावों में जीत का सबसे बड़ा अंतर था.
इंदौर यानी सुमित्रा महाजन
इसके बाद सुमित्रा महाजन की जीत का सिलसिला जारी रहा. उन्होंने 1991 में ललित जैन, 1996 में मधुकर वर्मा, 1998 में पंकज संघवी, 1999 में महेश जोशी और 2004 में रामेश्वर पटेल को हराया. हालांकि, 2009 के लोकसभा चुनाव में यह सीट फंस गई थी. इस चुनाव में महाजन ने यह सीट 11 हजार वोटों से जीती थी. जो उनकी सबसे कम वोटों के अंतर से जीत थी. इस चुनाव में महाजन को चुनौती देने वाले कांग्रेस उम्मीदवार सत्यनारायण पटेल थे. इसलिए 2014 में भी कांग्रेस ने उन्हें लगातार दूसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन मोदी लहर और ताई के कॉम्बिनेशन सामने सत्यनारायण पटेल कहां टिक पाते. महाजन ने यह चुनाव 4 लाख 66 हजार वोटों से जीता था.
2014 में लगातार 8 जीत के बाद 'ताई' के नाम से मशहूर सुमित्रा महाजन को लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया था. खास बात यह थी कि वह लोकसभा अध्यक्ष बनने वाली वो भारत की दूसरी और MP से पहली महिला थीं. वह 8 बार लोकसभा चुनाव जीतने वाली पहली महिला भी हैं. आपको बता दें कि सुमित्रा महाजन ने एक ही संसदीय सीट से लगातार 8 बार सांसद का चुनाव जीतकर रिकॉर्ड बनाया था. देश में कोई भी उम्मीदवार एक सीट से लगातार चुनाव नहीं जीता है.
शंकर लालवानी ने भी बनाए रिकॉर्ड
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सुमित्रा महाजन की जगह शंकर लालवानी को टिकट दिया. हालांकि, यहां पार्टी का उम्मीदवार बदला लेकिन बीजेपी ने फिर जीत हासिल की. शंकर लालवानी ने भी यहां रिकॉर्ड जीत हासिल की. आपको बता दें कि पिछले चुनाव में उन्होंने अब तक हुए सभी चुनावों में सबसे बड़े अंतर से जीत हासिल की थी. वहीं ,पूरे मध्य प्रदेश की सभी सीटों पर उनकी जीत का अंतर सबसे ज्यादा था.
इंदौर इसलिए है बीजेपी का मजबूत गढ़
इंदौर सीट बीजेपी का बेहद मजबूत किला बन गई है. पार्टी यहां लगातार जीत रही है.गौर करने वाली बात यह भी है कि यहां पार्टी की जीत का अंतर भी शानदार रहता है. खास बात यह है कि नौ में से सात बार बीजेपी की जीत का अंतर एक लाख से ज्यादा और लगभग रहा है. बस 1998 और 2009 के चुनाव में बीजेपी की बढ़त 50 हजार से भी कम रही थी. वहीं, पिछले दोनों चुनावों में जीत का अंतर चार लाख से अधिक था.
साल | जीत का अंतर |
---|---|
2019 | 5,47,754 |
2014 | 4,66,901 |
2009 | 11,480 |
2004 | 1,93,936 |
1999 | 1,31,315 |
1998 | 49,852 |
1996 | 1,04,433 |
1991 | 80,594 |
1989 | 1,11,614 |
इंदौर के सांसदों की सूची (List of Parliament Members of Indore)
साल | विजेता | पार्टी |
---|---|---|
1952 | नंदलाल जोशी | कांग्रेस |
1957 | कन्हैयालाल खादीवाला | कांग्रेस |
1962 | होमी एफ. दाजी | निर्दलीय |
1967 | प्रकाश चंद्र सेठी | कांग्रेस |
1971 | प्रकाश चंद्र सेठी | कांग्रेस |
1972 (उपचुनाव) | राम सिंह भाई | कांग्रेस |
1977 | कल्याण जैन | जनता पार्टी |
1980 | प्रकाश चंद्र सेठी | कांग्रेस |
1984 | प्रकाश चंद्र सेठी | कांग्रेस |
1989 | सुमित्रा महाजन | BJP |
1991 | सुमित्रा महाजन | BJP |
1996 | सुमित्रा महाजन | BJP |
1998 | सुमित्रा महाजन | BJP |
1999 | सुमित्रा महाजन | BJP |
2004 | सुमित्रा महाजन | BJP |
2009 | सुमित्रा महाजन | BJP |
2014 | सुमित्रा महाजन | BJP |
2019 | शंकर लालवानी | BJP |