BJP ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को बनाया प्रत्याशी, क्यों खास है गुना लोकसभा सीट
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BJP ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को बनाया प्रत्याशी, क्यों खास है गुना लोकसभा सीट

Jyotiraditya Scindia: बीजेपी ने पहली लिस्ट में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी टिकट दिया है. वह भाजपा में आने के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. गुना सीट सिंधिया की परंपरागत सीट मानी जाती है. 

ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से लड़ेंगे चुनाव

BJP Candidates List: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी ने गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी ने यहां सिटिंग सांसद केपी यादव की जगह सिंधिया को टिकट दिया है. खास बात यह है कि बीजेपी में शामिल होने के बाद सिंधिया पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें इसी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन पांच साल बाद वह इसी सीट से बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे. सिंधिया परिवार का गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से खास नाता रहा है. 

सिंधिया ने जताया पार्टी का आभार 

गुना सीट से टिकट मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी नेतृत्व का आभार जताया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा 'बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने मुझे गुना के बहनों-भाईयों की सेवा का जो अवसर दिया है, वो मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है. इस विश्वास के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का का हार्दिक धन्यवाद करता हूं. मुझे आशा और विश्वास है कि गुना की मेरी भगवान समान जनता मुझे अपना आशीर्वाद देगी. मैं अपनी तरफ से उनकी उम्मीदों पर हर प्रकार से खरा उतरने का पूरा प्रयास करूंगा. 

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चार गुना से सांसद रहे हैं सिंधिया 

बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से चार बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. अपने पिता माधवराव सिंधिया की मौत के बाद वह पहली बार 2002 के उपचुनाव में यहां से चुनाव लड़कर संसद पहुंचे थे. सिंधिया 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में भी इसी सीट से चुनाव जीते थे. जिसके बाद उन्हें मनमोहन सरकार की यूपीए-2 में मंत्री भी बनाया गया था. 2019 का चुनाव हारने के बाद वह 2020 में बीजेपी में शामिल हो गए थे. 

मोदी सरकार में पॉवरफुल मंत्री हैं सिंधिया 

2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से बगावत करके बीजेपी में शामिल हो गए थे. उनके साथ कांग्रेस के 22 विधायक भी इस्तीफा देकर भाजपा में चले गए थे. जिससे मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई थी. बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्हें भाजपा ने राज्यसभा भेज दिया था, जबकि मोदी मंत्रिमंडल में उन्हें मंत्री भी बनाया गया था. सिंधिया फिलहाल मोदी सरकार में दो अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, वह नगर विमानन के साथ इस्पात मंत्री भी हैं. बीजेपी में शामिल होने के बाद वह पहली बार सीधे चुनाव में उतरेंगे. 

गुना सीट से 13 चुनाव जीत चुका है सिंधिया परिवार 

गुना लोकसभा सीट सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है. अब तक इस सीट पर 17 आम चुनाव हुए हैं, जिनमें से 13 बार सिंधिया परिवार ने ही जीत दर्ज की है. गुना सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा उनके पिता माधवराव सिंधिया और दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी सांसद चुनी गई हैं. 2019 का लोकसभा चुनाव छोड़कर जब भी सिंधिया परिवार का कोई सदस्य इस सीट पर चुनाव लड़ा उसे जीत हासिल हुई है. इसलिए बीजेपी ने पहली लिस्ट में ही अपने सिटिंग सांसद का टिकट काटकर सिंधिया के नाम पर मुहर लगा दी. 

सिंधिया के की दादी और पिता भी रहे सांसद 

गुना लोकसभा सीट से सिंधिया परिवार के तीन सदस्य अलग-अलग पार्टियों से सांसद रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा चार बार उनके पिता माधवराव सिंधिया भी गुना से सांसद रहे हैं. माधवराव सिंधिया 1971 में पहली बार जनसंघ के टिकट पर यहां से चुनाव जीते, जबकि 1977 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीता था, 1980 और 1999 में माधवराव सिंधिया कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे. जबकि राजमाता विजयाराजे सिंधिया 1957 में गुना लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुनी गई थी. इसके अलावा उन्होंने 1967 में वह स्वतंत्र पार्टी से चुनाव जीते थी. 1989 में पहली बार जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीती थी. 1991, 1996 और 1998 में वह बीजेपी के टिकट पर उन्होंने गुना से जीत हासिल की थी. विजयाराजे सिंधिया इस सीट से 6 बार लोकसभा की सदस्य चुनी गई थी. 

गुना लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण 

बात अगर गुना लोकसभा सीट के जातिगत समीकरणों की जाए तो यहां धाकड़ और यादव वोटर निर्णायक माने जाते हैं. गुना संसदीय सीट पर तीन जिलों की आठ विधानसभा सीटें शामिल हैं. विधानसभा चुनाव 2023 में आठ में से 6 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है, जबकि 2 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है. 

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