Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में जल्द ही होने वाली एक शादी का आमंत्रण पत्र यानी शादी का कार्ड इन दिनों लोगों के बीच खूब चर्चित हो रहा है. इसकी वजह है कि यह कार्ड छत्तीसगढ़ी भाषा में छपा है. इस कार्ड को पढ़ने के बाद लोगों को अपनापन फील हो रहा है. देखें तस्वीरें-
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में इन दिनों एक शादी के कार्ड की खूब चर्चा हो रही है. लोगों की जुबान पर उसी को लेकर बात हो रही है. कार्ड जल्द ही जशपुर में होने वाली एक शादी का है. इस कार्ड में छत्तीसगढ़ी भाषा में लोगों के लिए आमंत्रण लिखा हुआ है, जो यहां के लोगों को खूब पसंद आ रहा है. साथ ही इसमें आगामी चुनाव के लिए वोट की अपील भी की गई है.
छत्तीसगढ़ी भाषा में शादी का कार्ड: ये अनोखा कार्ड जशपुर जिले के पत्थलगांव से सामने आया है. पालीडीह गांव निवासी आदिवासी युवक विमल सिदार ने अपनी शादी का कार्ड छत्तीसगढ़ी भाषा में छपवाया है. साथ ही इसमें आगामी 7 मई को होने वाले तीसरे चरण के चुनाव में मतदान करने की अपील भी की है.
आकर्षक है शादी का कार्ड: छत्तीसगढ़ी भाषा में छपा ये शादी का कार्ड बेहद ही आकर्षक है. इसे पढ़ने के बाद लोगों को अपनेपन का एहसास हो रहा है. यही वजह है कि लोग इसकी चर्चाएं कर रहे हैं.
अलग अंदाज में छपवाया कार्ड: छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देने के लिए युवक विमल सिदार ने ऐसा शादी कार्ड का छपवाया है. उन्होंने बताया कि वे लोगों के बीच छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देना चाहते हैं. यही वजह है कि उन्होंने अपनी शादी के कार्ड में ये प्रयोग किया है.
कार्ड में हैं छत्तीसगढ़िया शब्द: शादी के कार्ड में लिखे गए सारे शब्द छत्तीसगढ़ी भाषा के हैं. इसमें दुलउरिन लिखा है, जिसका मतलब दुल्हन, दुलरवा बाबू का मतलब दूल्हा और दुल्हन, रद्दा जोहईया-मतलब राह निहारत नयन, अगोरा म-आपके इंतजार में, सुआगत करईया-स्वागताकांक्षी आदि शब्द हैं.
लोग कर रहे जमकर तारीफ: इस कार्ड को पढ़ने के बाद लोग युवक की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. लोगों का कहना है कि आज लोग आधुनिकता की होड़ में अपनी संस्कृति और स्थानीय भाषा भूलने लगे हैं. अमूमन निमंत्रण कार्ड पर अंग्रेजी या हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं. इस बीच एक छोटे से गांव निवासी इस युवक ने अपनी स्थानीय छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शादी कार्ड में सराहनीय प्रयोग किया है.
ये कार्ड सुदूर वनांचल क्षेत्र जशपुर जिले के पत्थलगांव के एक छोटे से गांव पालीडीह में रहने वाले आदिवासी युवक विमल सिदार का है. उनका ये प्रयोग हर किसी को पसंद आ रहा है.
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