छत्तीसगढ़ में इन दिनों आदिवासी आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है. विपक्ष लगातार सरकार पर आदिवासियों के साथ धोखा करने का आरोप लगा रहा है. इस बीच भूपेश सरकार के दिग्गज मंत्री कवासी लखमा का बड़ा बयान सामने आया है, जिसकी सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी है.
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रायपुर: छत्तीसगढ़ में भानुप्रतापपुर उपचुनाव की सियासी गर्माहट के बीच आदिवासी आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है. विपक्ष भूपेश बघेल सरकार पर लगातार हावी हो रहा है और आदिवासियों से दगा करने का आरोप लगा रहा है. वहीं सरकार के मंत्रियों का कई जगहों पर विरोध भी हो रहा है. इस बीच प्रदेश के दिग्गज मंत्री कवाली लखमा ने बड़ा बयान दिया है, जिसकी अब सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी है.
लखमा बोले दे दूंगा इस्तीफा
रायपुर में मीडिया से बात करते हुए मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि आरक्षण लागू नहीं होने पर सन्यास की बात कही. लखमा ने कहा कि आदिवासियों को आरक्षण का लाभ नही दिला पाया तो अपने आपको राजनीति से अलग कर लूंगा. आदिवासियों के लिए हमारी सरकार हर जरुरी कदम उठाएगी. राष्ट्रपति से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे. अगर उसके बाद भी सफलता नहीं मिली तो अपने आपको राजनीति से अलग कर लूंगा.
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प्रचार के दौरान लखमा का हुआ था विरोध
कवासी लखमा की भानुप्रतापपुर में हुई सभा में उन्हें आदिवासियों के विरोध का सामना करना पड़ा था. प्रचार के दौरान लोगों ने सावित्री मंडावी और लखमा को घेर लिया था. इस दौरान उन्होंने आदिवासियों के आरक्षण में हुई कटौती को लेकर नारेबाजी भी की थी. कवासी लखमा ने भी 2 दिसंबर तक आदिवासी समाज से शांत रहने की अपील की और आरक्षण वापस दिलाने का वादा किया, तब कहीं जाकर सभा पूरी हो सकी थी.
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विरोध को लेकर क्या बोले लखमा
प्रदेश में कई स्थानों पर हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों को लेकर कवासी लखमा ने कहा कि वे लोग नारेबाजी नहीं कर रहे थे. वो अपनी बात सुना रहे थे. आदिवासियों का अधिकार है. वो मुझे नहीं बोलेंगे तो पाकिस्तान जाकर तो नहीं बोलेंगे. उन लोगों ने नाराजगी व्यक्त की है, उनमें बीजेपी का सरपंच भी था. बीजेपी के लोग तो ऐसे ही करते हैं, फुट डालो और राज करो.