गरीबों पर महंगाई की दोहरी मार: बढ़ गए चावल, आटे के दाम, छत्तीसगढ़ में विरोध
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गरीबों पर महंगाई की दोहरी मार: बढ़ गए चावल, आटे के दाम, छत्तीसगढ़ में विरोध

जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक में लिए गए निर्णय के मुताबिक अब अनब्रांडेड और प्री-पैक्ड वस्तुओं पर पांच फीसदी जीएसटी लगेगा. छत्तीसगढ़ में इस फैसले का व्यापारी संगठनों ने विरोध किया है. वहीं चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज ने इसे वापस लेने की मांग की है.

गरीबों पर महंगाई की दोहरी मार: बढ़ गए चावल, आटे के दाम, छत्तीसगढ़ में विरोध

रायपुर: महंगाई के इस दौर में एक बार फिर से लोगों की जेब ढीली होने वाली है. जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक में लिए गए निर्णय के मुताबिक अब अनब्रांडेड और प्री-पैक्ड वस्तुओं पर पांच फीसदी जीएसटी लगेगा. इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. जो 18 जुलाई यानी सोमवार से लागू होगा. इसके अनुसार अब चावल, आटा, मैदा, सूजी, पोहा, दही, छाछ, लस्सी, मुर्रा, चपटा या पीटा हुआ चावल, बीज-अनाज महंगा होने जा रहा है.

ये वस्तुएं हो जाएंगी महंगी
केंद्रीय माल एवं सेवाकर अधिनियम-2017 के मुताबिक अब चावल, आटा, गेहूं, मैदा, सूजी, दही, छाछ, लस्सी जैसे अन ब्रांडेड और प्री-पैक्ड अनाज, बीज जैसी मार्का वस्तुओं पर 5 फीसदी जीएसटी लगेगा. इस संबंध में मोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. बता दें ये वस्तुएं अभी तक जीएसटी के दायरे में नहीं थी, जिनमें अब 5 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला लिया गया है.

ऐसे समझें कितनी बढ़ेगी महंगाई
इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि जीएसटी लगने के बाद कितना महंगे होंगे सामान. अब बाजार में 1000 रुपये में आने वाली 25 किलो की चावल बोरी 1050 रुपये में आयेगी. मतलब 50 रुपये एक बोरी पर इजाफा होगा. इसी तरह आटा की 20 किलो की बारी जो 600 रुपये में मिलती है वो 630 रुपये में मिलेगी. यानी इसमें भी तीस रुपए की बढ़ोतरी होगी.

छत्तीसगढ़ में शुरू हुआ विरोधा
छत्तीसगढ़ में इस फैसले का व्यापारी संगठनों ने विरोध किया है. छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने इसका विरोध किया है और प्रदेश के सभी विधायकों को इसे लेकर पत्र लिखा है कि वो भी केंद्र पर इसे वापस लेने का दबाव बनाए. कारोबारियों की मानें तो प्रदेश में 85 प्रतिशत घरों में अनब्रांडेड या प्री-पैक्ड सामानों का उपयोग होता है. ऐसे में एक-एक सामानों की कीमतें बढ़ेगी.

चैंबर आफ कामर्स ने फैसला वापस लेने की मांग
छत्तीसगढ़ चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव का कहना है कि सरकार को ये फैसला वापस लेना चाहिए. क्योंकि आम उपभोक्ताओं और छोटे व्यापारियों पर इसका काफी असर पड़ेगा. इसलिए चेम्बर विरोध भी कर रहा है. अनाज का व्यवसाय करने वाले दुकानदारों का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद बिक्री पर प्रभाव पड़ेगा. वहीं बीजेपी का कहना है कि ये फैसला जीएसटी कॉन्सिल का था, जिसमें सभी राज्यों की सहभागिता है. ऐसे में सबको सामूहिक तौर पर इसे देखना होगा.

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