Brijmohan Agarwal: रायपुर से बड़ी खबर, अपने इस पद से इस्तीफा देंगे बृजमोहन अग्रवाल
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Brijmohan Agarwal: रायपुर से बड़ी खबर, अपने इस पद से इस्तीफा देंगे बृजमोहन अग्रवाल

Brijmohan Agarwal:  रायपुर से नवनिर्वाचित भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल 19 जून को विधायक पद से इस्तीफा देंगे. आपको बता दें कि हालिया लोकसभा चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस के विकास उपाध्याय को हराया था.

Brijmohan Agarwal Resignation

Brijmohan Agarwal Resignation:  छत्तीसगढ़ के रायपुर से बड़ी खबर सामने आई है. जल्द ही बृजमोहन अग्रवाल अपने विधायक पद से इस्तीफा देंगे. वो 19 जून को विधायक के पद से इस्तीफा देंगे. फिलहाल बृजमोहन अग्रवाल मंत्री पद पर बने रहेंगे. बता दें कि बृजमोहन अग्रवाल रायपुर से भाजपा के नवनिर्वाचित सांसद हैं. 

सूत्रों के अनुसार रायपुर से नवनिर्वाचित BJP सांसद बृजमोहन अग्रवाल 19 जून को अपने विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे, जबकि फिलहाल कैबिनेट मंत्री के रूप में अपनी भूमिका बरकरार रखेंगे. बता दें कि हाल ही में बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस के विकास उपाध्याय को करीब 6 लाख वोटों से मात देकर शानदार जीत हासिल की थी.

बृजमोहन अग्रवाल का इस्तीफा चर्चा का विषय
छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का इस्तीफा इस समय राज्य में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है. संविधान के अनुसार, उन्हें चुनाव आयोग द्वारा सांसद के रूप में उनके निर्वाचन के नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिनों के भीतर किसी एक सदन से इस्तीफा देना होगा. यदि वे इस अवधि के भीतर इस्तीफा नहीं देते हैं, तो लोकसभा में उनकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी, हालांकि उनकी विधानसभा सदस्यता बरकरार रहेगी. सूत्रों से पता चला है कि बृजमोहन अग्रवाल 19 जून को विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे.

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गौरतलब है कि मंत्री होने के बावजूद पार्टी ने बृजमोहन अग्रवाल को लोकसभा चुनाव में उतारा था. जहां उन्होंने चुनावी मैदान में रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की. उन्होंने कांग्रेस के विकास उपाध्याय को करीब छह लाख मतों से हराया.

क्या कहता है नियम?
संविधान के अनुच्छेद 101 के खंड 2 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति भारत के दोनों सदनों में से किसी एक के लिए चुना जाता है, तो उसे किसी एक सदन से इस्तीफा देना होगा. “समसामयिक सदस्यता प्रतिषेध नियम 1950“ (“Prohibition of Concurrent Membership Rules, 1950”) निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को यह निर्णय लेने के लिए 14 दिन का समय प्रदान करता है.

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