जिन हाथों पर लगा है खून, उनकी कला के मुरीद हैं कई लोग!
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जिन हाथों पर लगा है खून, उनकी कला के मुरीद हैं कई लोग!

रंजीत ने कुछ साल पहले पारिवारिक विवाद में अपने दादा की हत्या कर दी थी. इस मामले में रंजीत को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. साल 2019 में रंजीत को अंबिकापुर सेंट्रल जेल लाया गया था. 

जिन हाथों पर लगा है खून, उनकी कला के मुरीद हैं कई लोग!

सुशील कुमार बक्सला/अंबिकापुरः कला किसी की मोहताज नहीं होती, ये बात सच साबित हुई है रंजीत सारथी के मामले में. बता दें कि रंजीत सारथी हत्या के मामले में अंबिकापुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है लेकिन रंजीत के जिन हाथों पर खून लगा है, उन हाथों की कला के मुरीद दिनों दिन बढ़ रहे हैं. दरअसल रंजीत पेंटिंग बनाता है और उसकी पेंटिंग की काफी मांग होने लगी है. 

जशपुर जिले के निवासी रंजीत ने कुछ साल पहले पारिवारिक विवाद में अपने दादा की हत्या कर दी थी. इस मामले में रंजीत को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. साल 2019 में रंजीत को अंबिकापुर सेंट्रल जेल लाया गया था. रंजीत को पेंटिंग करना पसंद था. सेंट्रल जेल अंबिकापुर आने के बाद जेल प्रशासन ने रंजीत और अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया. जिसका असर ये हुआ कि रंजीत के हाथ का जादू चल गया. रंजीत अब अपने हाथों से शानदार पेंटिंग बना रहा है. रंजीत की पेंटिंग कितनी शानदार होती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जेल कार्यालय की दीवारों पर भी रंजीत की बनाई पेंटिंग ही लगाई गई है.  

रंजीत की पेंटिंग की लोग खूब तारीफ करते हैं. जब उन्हें पता चलता है कि यह पेंटिंग हत्या के दोषी और उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी ने बनाई है तो लोग रंजीत से मिलने की इच्छा जाहिर करते हैं. रंजीत ना केवल कागज पर बल्कि चिकने पत्थरों पर भी ब्रश के जरिए शानदार पेंटिंग बनाता है. जेल अधीक्षक राजेंद्र गायकवाड़ ने बताया कि जेल में जो भी कैदी आते हैं, उन्हें उनकी दक्षता के अनुसार काम दिया जाता है. कैदियों को जिन सामानों की जरूरत होती है, वह भी जेल प्रशासन द्वारा दिया जाता है. 

कैदियों को मेहनताना के तौर पर 60 रुपए रोजाना दिए जाते हैं. सजा पूरी होने के बाद कैदी को उसकी पूरी कमाई दी जाती है. इस तरह कैदियों को भविष्य के लिए दक्ष करने के साथ ही जेल प्रशासन कैदियों को उनके कमाए पैसे भी देता है जिससे उन्हें रोजगार के लिए नहीं भटकना पड़ता. 

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