हिंदी पट्टी में 'कमल' का नहीं चला जादू, आगे की राह हुई कठिन
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हिंदी पट्टी में 'कमल' का नहीं चला जादू, आगे की राह हुई कठिन

2019 के लोकसभा चुनावों से ठीक 5 महीने पहले भारतीय जनता पार्टी को हिंदी पट्टी के राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में शिकस्त का सामना करना पड़ा है.

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मिली हार का असर 2019 के लोकसभा चुनावों पर भी होगा.

नई दिल्ली : राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ बीजेपी का मजबूत गढ़ माने जाते हैं. अगर देशस्तर पर भारतीय जनता पार्टी का एक खाका खींचा जाए तो ये प्रदेश बीजेपी का दिल कहे जाते हैं. लेकिन इस बार सत्तारूढ़ बीजेपी को उसी के दिल ने जोर का झटका दिया है. इन राज्यों में मिली हार से आगामी लोकसभा चुनावों में बीजेपी की राह मुश्किल हो गई है. जो पार्टी 2014 की विजय से ही 2019 में फतह की रणनीति बनाकर काम रही थी, इस हार ने नेताओं ने फिर से नए फार्मूले तैयार करने पर मजबूर कर दिया है.

2019 के लोकसभा चुनावों से ठीक 5 महीने पहले भारतीय जनता पार्टी को हिंदी पट्टी के राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में शिकस्त का सामना करना पड़ा है. राजनीति के जानकार बताते हैं कि इन चुनावों ने बीजेपी को ऐसे जख्म दिए हैं, कि उसकी लोकसभा में वापसी में मुश्किल कर दी है, वहीं कांग्रेस की इस जीत ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की छवि को मजबूत करने का काम किया है. 

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तीन राज्यों में नई सरकार
अभी तक मिले नतीजों के मुताबिक, मध्य प्रदेश की 230 सीटों में पिछले 15 वर्षों से सत्ता में रही बीजेपी को 109 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस 113 सीटों पर कब्जा करने में कामयाब हुई है. राजस्थान की 200 में से 199 सीटों पर चुनाव हुए थे. यहां बीजेपी के खाते में 73 सीटें आई हैं, जबकि कांग्रेस ने 99 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाने का दावा किया है. छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी लंबे समय से सत्ता में रही है. यहां बीजेपी का मुकाबला किसी भी दल से नहीं माना जा रहा था, इसके बाद भी कांग्रेस ने सभी पूर्वानुमानों को ध्वस्त करते हुए 90 में 67 पर अपना परचम लहराया है. बीजेपी को महज 15 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. 

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लोकसभा चुनावों पर निश्चित ही विधानसभा चुनावों का असर पड़ेगा, क्योंकि केंद्र में इन राज्यों का एक बड़ा प्रतिनिधित्व है. मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29, राजस्थान में 25 और छत्तीसगढ़ में 11 सीटें हैं. अगर इससे पहले हुए अन्य राज्यों के चुनावों पर भी नजर डालें तो भले ही बीजेपी वहां सत्ता में हो, लेकिन सीटों के मामले में उसे नुकसान ही उठाना पड़ा है. गुजरात इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.

आम चुनाव में भी होगा असर
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मिली हार का असर 2019 के लोकसभा चुनावों पर भी होगा. जानकार बताते हैं कि इस जीत ने लोगों में कांग्रेस प्रति विश्वास को फिर से कायम किया है, जिसका सीधा असर लोकसभा चुनावों में होगा. इसके अलावा जिन-जिन सीटों पर कांग्रेस जीती है, वहां बीजेपी के वोटबैंक को कम करने का काम अगले 5 महीने में जरूर किया जाएगा. राजनीति के जानकार बताते हैं कि अभी के असर से अगर आकलन किया जाए, तो बीजेपी लोकसभा चुनावों में मध्य प्रदेश में 29 में से 17, राजस्थान में 25 में 13 और छत्तीसगढ़ में 11 में से महज 1 सीट पर ही जीत हासिल करेगी.

राजनीति के जानकर इस फार्मूले को लेकर आश्वस्त इस वजह से हैं क्योंकि 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले जहां-जहां विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहां के नतीजों ने लोकसभा को भी प्रभावित किया है. पिछले चुनावों में इन राज्यों में बीजेपी का परचम लहराया था, जिसका असर लोकसभा चुनावों में साफतौर पर दिखाई देता है.

सहयोगी दलों पर निर्भरता
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बैकफुट में आई बीजेपी की अब अपने सहयोगी दलों पर निर्भरता बढ़ जाएगी. जिस वजह से सीटों के बंटवारे को लेकर खींचातानी देखने को मिलेगी. बिहार में तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही बराबर की हिस्सेदारी की बात कह चुके हैं. अन्य सहयोगी दल भी सीटों की शेयरिंग को लेकर बीजेपी पर दबाव बनाएंगे. 

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