Uniform Civil Code Controversy: मुस्लिम धर्म गुरुओं ने यूनिफार्म सिविल कोड के विरोध का ऐलान किया, जिसपर दिल्ली हज कमेटी अध्यक्ष कौसर जहां ने यूसीसी का विरोध कर रहे मौलानाओं ने सवाल पूछे हैं.
Trending Photos
Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर दिल्ली हज कमेटी अध्यक्ष कौसर जहां का बयान सामने आया है. जहां उनका कहना है कि आखि ये समझ नहीं आ रहा कि इसका विरोध आखिर क्यों किया जा रहा है. कहा कि ये कानून इस्लाम मानने से नहीं रोकता. दिल्ली हज कमिटी अध्यक्ष कौसर जहां ने यूसीसी का विरोध कर रहे मौलानाओं ने सवाल पूछे हैं.
यूनिफॉर्म सिविल कोड! समझ में नहीं आता कि आख़िर इसका विरोध क्यों हो रहा है? जबकि यूनिफॉर्म सिविल कोड मुसलमानों को नमाज़ अदा करने से नहीं रोकता, क़ुर्बानी करने से नहीं रोकता, अज़ान पढ़ने से नहीं नहीं रोकता, धार्मिक स्वतंत्रता में कोई बाधा नहीं डालता, इबादत में ख़लल नहीं डालता। यह…
— Kausar Jahan (@Kausarjahan213) July 8, 2023
बता दें कि कल ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) की अगुवाई में देशभर के मुस्लिम धर्म गुरुओं ने यूनिफार्म सिविल कोड के विरोध का ऐलान किया. जिसको लेकर दिल्ली हज कमिटी अध्यक्ष कौसर ने ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि समझ में नहीं आता कि आखिर इसका विरोध क्यों हो रहा है. जबकि यूनिफॉर्म सिविल कोड मुस्लमानों को नमाज अदा करने से नहीं रोकता, कुर्बानी करने से नहीं रोकता, अजान पढ़ने से नहीं नहीं रोकता, धार्मिक स्वतंत्रता में कोई बाधा नहीं डालता, इबादत में खलल नहीं डालता. यह कानून आपको इस्लाम पालन करने से नहीं रोकता, लेकिन मजहब के नाम पर जो कुरीतियां मुस्लिम महिलओं पर थोपी गई हैं.
साथ ही कहा कि ये कानून उन कुरीतियों से समाज और खास तौर से मुस्लिम महिलाओं के लिए सुरक्षा कवच है. यूनिफॉर्म सिविल कोड निकाह से नहीं रोकता, हां शादी को रजिस्ट्रड कराने के लिए अनिवार्य जरूर करता है. बताएं इसमें क्या गलत है? क्या सुधारवादी कदम उठाना गलत है? क्या सुधार और समाज कल्याण के लिए कानून लाना गलत है? क्या मजहब के नाम पर चली आ रहीं कुरीतियों को रोकना ग़लत है? क्या महिलाओं को अत्याचार के खिलाफ मजबूत कानून बनाकर देना गलत है?
कौसर जहां ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड नमाज से नहीं रोकता, रोजा से नहीं रोकता, जकात से नहीं रोकता, अजान से नहीं रोकता, मजहब के जितने भी फरीजे हैं. यह कानून उनमें किसी भी तरह की बाधा नहीं है. फिर भी कुछ मठाधीश इसका विरोध कर रहे हैं. आखिर इस कानून से समस्या क्या है? जब यह कानून संविधान से मिले मौलिक अधिकारों का उल्लघन नहीं करता, तब इसका विरोध क्यों किया जा रहा है. सिर्फ राजनीति के लिए? सिर्फ इसलिए कि इस कानून को भारतीय जनता पार्टी की सरकार में लाया जा रहा है? ठीक है लोकतंत्र में आपके पास असहमति का अधिकार है, लेकिन अपनी असहमति के साथ कुछ मजबूत दलीलें तो दीजिए, या सिर्फ विरोध के लिए ही विरोध ही करना है.