Talaq-e Hasan: मुस्लिम समुदाय में मर्दों को तलाक के एकाधिकार देने वाले तलाक-ए हसन को लेकर दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. इस को लेकर पीड़ित और आठ महीने के बच्चे की मां बेनजीर ने याचिका में तलाक-ए-हसन और एकतरफा तलाक के सभी तरीकों को गैर कानूनी घोषित करने की मांग की है. साथ जानें कि क्या होता है तलाक-ए हसन?
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अरविंद सिंह/नई दिल्लीः तलाक-ए हसन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि- पहली नजर में ये गलत नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पहली नजर में तलाक-ए हसन गलत नहीं लगता. मुस्लिम समुदाय में महिलाओं के पास भी तलाक का अधिकार है.
कोर्ट ने कहा कि- वो 'खुला' के जरिये तलाक ले सकते हैं. हम नहीं चाहते कि यह किसी और तरह का एजेंडा बने. तलाक-ए हसन में पति एक-एक महीने के अंतराल पर तीन बार मौखिक तौर पर या लिखित रूप में तलाक बोलकर निकाह रद्द कर सकता है.
SC में दायर याचिका
तलाक-ए हसन पीड़ित बेनजीर हिना ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. उनका कहना है कि मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तलाक का ये तरीका संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन है. इस प्रक्रिया में पति एकतरफा तलाक देता है. महिला की सहमति-असहमति का कोई मतलब नहीं रह जाता. इसके तहत सिर्फ पति को ही तलाक का अधिकार है, लेकिन पत्नी को नहीं.
बेनज़ीर को मिल चुके तलाक के तीन नोटिस
बता दें कि बेनज़ीर ने जब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, तब उन्हें तलाक का पहला नोटिस मिला था. इसके बाद उनकी ओर से कई बार मामले में जल्द सुनवाई की मांग की गई. लेकिन, उनका मामला सुनवाई पर नहीं लग पाया. इसी बीच बेनजीर को 23 अप्रैल और 23 मई को स्पीड पोस्ट के जरिये और 23 को मेल पर तलाक के तीनों नोटिस मिल चुके थे.
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मेहर की रकम बढ़ाई जा सकती है- SC
आज जैसे ही ये मामला सुनवाई पर आया, तो जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि ये एक साथ तीन तलाक का मामला तो नहीं है. मुस्लिम समुदाय में महिलाओं को भी 'खुला' के जरिए तलाक का अधिकार है. अगर दो लोग साथ रहकर खुश नहीं है, तो वो तलाक ले सकते है. कोर्ट भी उन्हें इसकी इजाजत देता रहा है. अगर मसला मेहर की रकम का है तो कोर्ट इसे बढ़ाने का आदेश दे सकता है.
कोर्ट का याचिकाकर्ता से सवाल
कोर्ट ने याचिकाकर्ता बेनज़ीर हिना ने पूछा कि- अगर आपको मेहर से अधिक मुआवजा दिलाया जाए तो क्या आप आपसी सहमति से इस तरह तलाक लेना चाहेंगी? इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पिंकी आनंद ने जवाब देने करने के लिए और वक्त की मांग की है. मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी.
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क्या है तलाक-ए-हसन?
आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक को बैन कर चुका है. लेकिन, तलाक-ए हसन एक अलग प्रक्रिया है. इसमें पति अपनी पत्नी को पहली बार तलाक बोलने के बाद एक महीने तक इंतजार करता है. इसके बाद महीना पूरा होने के बाद दूसरी बार तलाक बोलता है. एक महीना इंतजार करने के बाद वो तीसरी बार तलाक बोलता है.
इस 3 महीने की प्रक्रिया के दौरान अगर पति-पत्नी में किसी भी तरह का कोई सुलह नहीं होता तो यह तलाक मान लिया जाता है. लेकिन, पहली बार तलाक बोलने से लेकर तीसरी बार तलाक बोलने तक पति-पत्नी एक साथ एक ही घर में रहते हैं.