भारत में सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग चल रही. सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्याता देने से इनकार करने के बाद आज से एक बार फिर सुनवाई करेगा. कोर्ट ने अक्टूबर में सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था.
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Same Sex Marriage: सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट आज से एक बार फिर इस मामले में सुनवाई करेगा. दरअसल SC के फैसले के बाद अमेरिका में एक लॉ फर्म में काम करने वाले एडवोकेट उदित सूद द्वारा रिव्यू पिटीशन फाइल की गई है, जिस पर आज SC सुनवाई करेगा. CJI डीवाई चंद्रचूड़ 17 अक्टूबर सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता न देने के फैसले के बाद 23 नवंबर को इस फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए तैयार हो गए थे. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार इसलिए भी करेगा क्योंकि समलैंगिक समुदाय लगातार सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्याता देने कि मांग कर रहा है.
सेम सेक्स मैरिज क्या है?
सेम सेक्स मैरिज मामले में आज से सुप्रीम कोर्ट दोबारा विचार करेगा, दुनिया के कुछ देशों में सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता दी जा चुकी है. भारत में भी समलैंगिक विवाह को वैध करने की मांग लंबे समय से चल रही है. आपको बता दें कि समलैंगिकों के समुदाय को LGBTQ भी कहा जाता है. LGBTQ का फुल फॉर्म लेस्बियन(Lesbian) गे (Gay) बायोसेक्शुअल ( Bisexual) ट्रांसजेंडर (Transgender) क्वूर ( Queer) इंटरसेक्स( Intersex) एसेक्शुअल ( Asexual) या एलाई है.
LGBTQIA+ क्या है?
L (लेस्बियन)- इसका मतलब है जब एक लड़की या महिला का समान लिंग के लिए आकर्षण हो तो उसे लेस्बियन कहा जाता है. इसमें एक महिला की पार्टनर दूसरी महिला ही होती है. कई बार ऐसा भी होता है कि किसी पार्टनर का पूरा लुक या पर्सनालिटी पुरुष जैसा भी हो सकता है या नहीं भी हो सकता.
G (गे)- जब एक पुरुष को दूसरे पुरुष के प्रति आकर्षण होता है तो उसे गे कहा जाता है. कभी-कभी गे शब्द का इस्तेमाल पूरे समलैंगिक समुदाय के लिए भी किया जाता है, जिसमें लेस्बियन, गे, बायसेक्शुअल सभी आ जाते हैं.
B (बायसेक्शुअल)- महिला और पुरुष दोनों से आकर्षित होने वाले लोगों को बायसेक्शुअल कहा जाता है. इसमें दोनो सेक्शुअल रिलेशन भी बना सकते हैं. पुरुष और महिला दोनो बायसेक्शुअल हो सकते हैं.
T (ट्रांसजेंडर)- ये थर्ड जेंडर में आते हैं, इसमें वो लोग होते हैं जिनके पैदा होते ही जननांग( प्राइवेट पार्ट) पुरुष की तरह होता है और इन्हें लड़का भी माना जाता है. लेकिन जब ये समय के साथ बड़े होते हैं और अपने अस्तित्व को पहचानते हैं तो खुद को लड़की मानने लगते हैं. तब इनको ट्रांसवुमन कहा जाता है और इसके उलट हो जानें पर इन्हें ट्रांसमेन कहा जाता है.
Q (क्वीर)- सभी LGBTI समुदाय को क्वीयर समुदाय कहा जाता है. क्वीयर उन लोगों को कहा जाता है जो इंसान न अपनी पहचान तय कर पाए, न ही उसके अंदर शारीरिक चाहत हो. यानी वो लोग जो खुद को न आदमी, औरत या ट्रांसजेंडर मानते हैं और न ही लेस्बियन, गे या बाईसेक्सुअल. इन लोगों को क्वीयर कहा जाता है.
I( इंटरसेक्स)- इसका मतलब है वो लोग जो महिला या पुरुष के सामान्य प्रजनन अंगों के साथ पैदा नहीं होते हैं. ये वो लोग होते हैं जिनके पैदा होने के बाद उनके जननांग को देखकर ये पता नहीं लग पाता कि ये लड़का हैं या लड़की.
A(एसेक्शुअल या एलाई)- इसमें वो लोग आते हैं जो किसी भी जेंडर के प्रति सेक्शुअल अट्रैक्शन महसूस नहीं कर पाते हैं. ये लोग किसी के साथ रोमांटिक तो हो सकते हैं, लेकिन सेक्शुअल रिलेशंस नहीं बना पाते हैं. आपको बता दें कि एलाइ उन लोगों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है जो LGBTQI लोगों के दोस्त या साथी के तौर पर उनके अधिकारों के लिए भी आवाज उठाते हैं. ये जरूरी नहीं कि वो खुद इस समुदाय से संबंधित हों.
भारत में क्या है कानून
भारत में शादी सिर्फ हेट्रोसेक्सुअल कपल यानी एक महिला और एक पुरुष के बीच ही हो सकती है. इसे कानूनी तौर पर सख्ती से लागू किया जाता है. हिंदू धर्म में शादी को कई वर्गों में बाटा गया है, जिसमें हिंदू विवाह अधिनियम, ईसाई विवाह अधिनियम, मुस्लिम विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम लागू किए जाते हैं. इन सभी कानूनों में सेम सेक्स मैरिज को लेकर कोई भी अधिनियम नहीं है. भारत में सेम सेक्स मैरिज के कानूनी अधिकारों को काफी लंबे समय तक प्रतिबंधित किया गया था. साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भारत में समलैंगिकता को अपराध बनाने वाले कठोर कानून को पलट दिया था.
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सेम सेक्स मैरिज को लेकर भारत में कब क्या हुआ
भारत में सेम सेक्स मैरिज को समान अधिकार मिले इसके लिए लगातार कोशिशें चल रही है. इस मामले में संविधान के तहत उनके अधिकारों में अभी तक जो भी विस्तार हुआ है वो सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही किया गया है. धार्मिक संगठनों और केंद्र सरकार के विरोध के बाद भी लगातार इसे कानूनी मान्याता दिलाने के प्रयास जारी हैं ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि LGBTQIA को कानूनी अधिकार मिल पाते हैं या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में गैर-बाइनरी या ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को तीसरे लिंग के रुप में कानूनी मान्यता दी थी. इसके बाद 2017 में कोर्ट ने इनके निजता के अधिकार को मजबूत किया और सेक्सुअल ओरिएंटेशन को किसी व्यक्ति की निजता व गरिमा के आवश्यक गुण के तौर पर मान्यता भी दी. कोर्ट ने 2018 में सेम सेक्स मैरिज यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया और ब्रिटिश काल के कानून तो पलटकर LGBTQ लोगों के अधिकारों का विस्तार किया. यही नहीं 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक जोड़ों को सभी सामान्य परिवारों की तरह ही सामाजिक कल्याण कानूनों के तहत समान लाभ मिलने चाहिए.