Zee न्यूज़ की खबर का हुआ बड़ा असर, भगवान गणेश पिंजरे से हुए आज़ाद, दीदार कर सकेंगे पर्यटक
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Zee न्यूज़ की खबर का हुआ बड़ा असर, भगवान गणेश पिंजरे से हुए आज़ाद, दीदार कर सकेंगे पर्यटक

Zee न्यूज़ की खबर का हुआ बड़ा असर, भगवान गणेश पिंजरे से हुए आज़ाद, दीदार कर सकेंगे पर्यटक. पूजा नहीं, क्योंकि ASI के नियम आपको दीदार करने की इजाजत देते हैं, पूजा की नहीं. 

Zee न्यूज़ की खबर का हुआ बड़ा असर, भगवान गणेश पिंजरे से हुए आज़ाद, दीदार कर सकेंगे पर्यटक

पूजा मक्कड़/नई दिल्लीः 31 मई को हमारे शो DNA में हमने आपको कुतुब परिसर में मौजूद हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियों के अपमान की खबर दिखाई थी. हमने आपको दिखाया था कि कैसे कुतुब परिसर में कुवततुल इस्लाम मस्जिद की बाहरी दीवार पर मौजूद 12वीं सदी के भगवान गणेश की मूर्ति पिंजरे में ऐसे बन्द है जैसे भगवान गणेश को कैद किया गया हो. आपके भरोसे की ही यह ताकत है कि Archeological Survey of India ने अब भगवान गणेश को पिंजरे से बाहर निकाल कर ग्लास के फ्रेम में ससम्मान के साथ रख दिया है, जिससे कुतुब परिसर में आने वाले लोग भगवान गणेश का ठीक से दीदार कर सकें.

ये दोनों तस्वीरें आप अपनी टीवी स्क्रीन पर भी देख सकते हैं. एक तस्वीर 31 मई की है जब भगवान गणेश पिंजरे में हैं, वहीं दूसरी 4 अक्टूबर की है जब भगवान गणेश की यही मूर्ति ग्लास के फ्रेम में है. हालांकि, लोग सिर्फ भगवान गणेश की मूर्ति जो अब तक पिंजरे में ही उसका दीदार कर सकेंगे, पूजा नहीं. आज हमारी टीम फिरसे कुतुब मीनार परिसर गए  और वहां की स्थिति का जायजा लिया. हमने पाया कि पिंजरे में रखे भगवान गणेश को तो सम्मान दे दिया गया लेकिन परिसर में मौजूद बाकी मूर्तियां अभी भी अपमान का घूंट पी रही हैं.

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72.5 मीटर की ऊंचाई वाली कुतुब मीनार यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित है. हजारों की भीड़ रोजाना कुतुब मीनार परिसर में कुतुब मीनार और बाकी की मौजूद ऐतिहासिक धरोहरों को देखने आती है. कोई कुतुब मीनार परिसर में सेल्फी लेकर खुश हो जाता है, तो कोई इमारतों को निहारने के बाद. वर्षों बाद कुतुब मीनार में एक ऐतिहासिक बदलाव हुआ. कुवततुल इस्लाम मस्जिद की दीवार के निचले भाग में मौजूद भगवान गणेश की 12वीं सदी की मूर्ति जो अब तक पिंजरे में बंद थी उसे अब ग्लास के फ्रेम से कवर कर दिया गया है ताकि परिसर में आने वाले पर्यटक इस सैकड़ों सालों पुरानी मूर्ति का ठीक से ससम्मान दीदार कर सकें.

कुतुब परिसर में सिर्फ एक भगवान गणेश की मूर्ति नहीं है बल्कि 27 हिन्दू जैन मन्दिरों के विध्वंस की साक्षी कई मूर्तियां या तो जमीन में बिखरी पड़ी हैं या फिर कुवततुल इस्लाम मस्जिद के किसी खंबे में लगी हुई हैं, आक्रमणकारियों के दमन की दास्तान सुनाने के साथ-साथ इंतजार कर रही हैं कब उन्हें उनके हिस्से का सम्मान मिल पायेगा. सैकड़ों वर्ष पुरानी पिंजरे वाले गणेश जी नाम से मशहूर मूर्ति को तो पिंजरे से निकाल कर कथित सम्मान दे दिया गया.

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लेकिन, भगवान गणेश की एक दूसरी मूर्ति अलाई दरवाजा के निकट, कुवततुल इस्लाम मस्जिद के दक्षिणी मुख वाले दरवाजे के सामने है जिसे उल्टे गणेश जी नाम से आम तौर पर पुकारा जाता है. इस मूर्ति का सम्मान तो छोड़िये, बच्चा हो या बड़ा हर कोई परिसर का चक्कर काटने के बाद भगवान की मूर्ति पर ही बैठ रहा है. ऐसा लग रहा है जैसे अब उल्टे गणेश जी मूर्ति ASI से पूछ रही है कि उसे कब उसका सम्मान मिलेगा.

कुतुब परिसर का रखरखाव करने वाली ASI के मुताबिक भगवान गणेश को पिंजरे से मुक्त करके ग्लास के फ्रेम से कवर रखने के बाद अब लोग आसानी से भगवान गणेश की सैकड़ों साल पुरानी इस मूर्ति का दीदार कर सकेंगे. वर्षों तक पिंजरे में रहने की वजह से पिंजरे वाले गणेश जी नाम से मशहूर इस ऐतिहासिक मूर्ति को कवर करने के लिए Tuffon glass का प्रयोग किया गया है, जिससे मूर्ति पर कोई विपरीत असर ना पड़े और मजबूती भी बनी रहे.

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कुतुब मीनार परिसर में मौजूद सभी मूर्तियों का केस लड़ने वाला हिन्दू पक्ष भी ASI के भगवान गणेश को पिंजरे से मुक्त करने पर खुश है लेकिन हिन्दू पक्ष के मुताबिक असली खुशी तब मिलेगी जब पूरे परिसर में सैकड़ों वर्ष पहले की तरह हिन्दू सर उठा कर पूजा कर सकेंगे. कुतुब मीनार में अब लोग सिर्फ कुतुब मीनार या इस्लामी इमारतों का दीदार नहीं कर रहे, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भगवान की मूर्ति को हाथ जोड़ कर आशीर्वाद भी ले रहे.

हालांकि, खंडित मूर्तियों और ध्वसत मंदिर के अवशेषों से भरे पड़े कुतुब परिसर में क्या इन्हें इनका सम्मान वापस मिल पायेगा यह बड़ा सवाल है. कुतुब मीनार में मौजूद भगवान गणेश की इन दोनों मूर्तियों उल्टे गणेश जी और पिंजरे वाले पर इससे पहले भारत सरकार दो संस्थायें ASI और राष्ट्रीय संग्रहालय प्राधिकरण (NMA) आमने सामने आ चुके हैं,  जिसमे मूर्तियों के अपमान का मुद्दा उठाते हुए NMA ने अप्रैल महीने में मूर्तियों की अपमानित अवस्था का मुद्दा उठाते हुए.

इसे राष्ट्रीय संग्रहालय में रखने के लिए कहा था, लेकिन दिल्ली के साकेत कोर्ट के दोनों मूर्तियों पर यथास्थिति बनाने का फैसला देकर इसे कुतुब परिसर में ही रखने का आदेश दिया था. हम अपने चैनल के माध्यम से ASI से फिरसे मांग करते हैं कि वो परिसर में मौजूद बाकी मूर्तियों के अपमान को रोके और बाकी की मूर्तियों को भी उनका सम्मान प्रदान करें.

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