करोड़ों की ठगी में 7 साल बाद भी चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी पुलिस, सवाल- कब मिलेगा न्याय
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करोड़ों की ठगी में 7 साल बाद भी चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी पुलिस, सवाल- कब मिलेगा न्याय

अपराध से पीड़ित शख्स को जल्द से जल्द न्याय मिलने की उम्मीद होती है, लेकिन कई बार कार्यपालिका की लापरवाही की वजह से धूमिल हो जाती है.

फाइल फोटो

मुकेश राणा/दिल्ली: अपराध से पीड़ित शख्स को जल्द से जल्द न्याय मिलने की उम्मीद होती है, लेकिन कई बार कार्यपालिका की लापरवाही की वजह से धूमिल हो जाती है. ऐसा ही एक मामला बाहरी दिल्ली के कंझावला डीएम ऑफिस के ठीक सामने स्थित MTNL सोसाइटी का है, जहां फ्लैट देने का भरोसा देकर 225 लोगों के साथ करीब 15 करोड़ रुपये की ठगी की गई. यह केस 7 अप्रैल 2015 में दर्ज हुआ था, लेकिन आज तक केएन काटजू थाना पुलिस रोहिणी कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है. हद तो तब हो गई, जब इस लापरवाही का फायदा उठाकर आरोपियों ने 2021 में एक और 4.60 करोड़ की ठगी हो गई. इस मामले में तो गिरफ्तारी भी हो गई.

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एमटीएनएल के पूर्व कर्मचारी 2015 के मामले में आज तक पुलिस के चक्कर लगा रहे हैं इस उम्मीद में कि उनके साथ न्याय होगा. इस मामले में रोहिणी जिले के डीसीपी ने पुलिस की इस कार्यशैली पर बात करने से मना कर दिया. महासचिव और शिकायतकर्ता जीपी जैन ने बताया कि 2015 के मामले में मुख्य आरोपी प्रकाश के बेटा सहित तीन लोग आज तक जेल में है, लेकिन हैरत की बात है की पुलिस अभी तक उनके मामले में चुप और शांत है. 

कंझावला डीएम ऑफिस के ठीक सामने स्थित इस जमीन का है. एमटीएनएल के कुछ पूर्व अधिकारियों ने 2007 में एक सोसाइटी बनाई. महज कुछ महीनों में ही इस सोसाइटी के पहले प्रधान ने इस्तीफा दे दिया और सोसाइटी पर प्रकाश चंद सहित कुछ लोगों का कब्जा हो गया. उन्होंने कंझावला में 5 एकड़ जमीन भी खरीद ली और यही जमीन दिखाकर ताबड़तोड़ सदस्य बनाए. लेकिन बाद में पता चला कि यह तो कृषि भूमि है और उस पर फ्लैट बन ही नहीं सकते, लेकिन यह जानते हुए भी उन्होंने बिल्डर को 4 करोड़ रुपये दे दिए. बाकी लाखों रुपया इस सोसाइटी का प्रकाश चंद और उसके साथियों ने एक अलग सोसाइटी बनाकर उसमें ट्रांसफर कर दिया.

मामला उजागर हुआ तो उन्होंने तत्कालीन महासचिव पर इसका ठीकरा फोड़ दिया और जेपी जैन को महासचिव बना दिया और भरोसा दिया कि जल्द ही फ्लैट मिल जाएंगे, लेकिन यहां भी वे धोखा खा गए तो महासचिव जेपी ने 2013 में EOW में इसकी शिकायत की. वहां से 2015 में मामला केएन काटजू मार्ग थाने में दर्ज हो गया. सोसाइटी के बैंक खाते सीज हो गए, लेकिन इस बीच प्रकाश चंद ने अपने बेटे की एंट्री कर दी. इसी सोसाइटी के रजिस्ट्रेशन नंबर से अलग से बैंक खाता खोलकर ठगी शुरू कर दी. इस बार शिकायत किसी प्रभावशाली शख्स की थी, लिहाजा इस मामले में EOW ने तेजी दिखाई और प्रकाश के बेटे सहित तीन लोगों को जेल भेज दिया. पीड़ितों का कहना है कि यदि पहली एफआईआर पर करवाई हो जाती तो दूसरी बार ठगी नहीं होती. 

हद तो यह है कि मुख्य आरोपी प्रकाश का बेटा जतिन अब भी जेल में है, लेकिन फिर भी इसी सोसाइटी के नाम पर लोगों को फ्लैट देने का झांसा देकर ठगी का काम जारी है. इस मामले में रोहिणी जिला डीसीपी से भी बात की लेकिन वे भी चुप्पी साधे हुए है ,पुलिस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि आज सात साल बात भी ठगी के आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल क्यों नहीं की. इतने साल से ये लोग अड्रेस बदलाकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की आंखें बंद क्यों है ? यही सवाल लेकर ये बुजुर्ग थाना और डीसीपी ऑफिस चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन पुलिस इनके सवालों का जबाब देना तो दूर मिलने तक को तैयार नहीं है.

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