New Parliament Building: मिर्जापुर का कालीन, राजस्थान की नक्काशी, जानिए नए संसद भवन का सभी राज्यों से कनेक्शन
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New Parliament Building: मिर्जापुर का कालीन, राजस्थान की नक्काशी, जानिए नए संसद भवन का सभी राज्यों से कनेक्शन

New Parliament Building Inside photos: नए संसद भवन के निर्माण में सभी राज्यों की कला का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें मिर्जापुर की कालीन, त्रिपुरा के बांस से बने फर्श, राजस्थान के पत्थर की नक्काशी, महाराष्ट्र के सागौन सहित देश के सभी राज्यों की प्रमुख चीजें शामिल हैं. 

New Parliament Building: मिर्जापुर का कालीन, राजस्थान की नक्काशी, जानिए नए संसद भवन का सभी राज्यों से कनेक्शन

New Parliament Building Inside photos: विपक्षी पार्टियों की विरोध के बीच कल PM नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. पुराने संसद भवन के ठीक सामने 10 दिसंबर 2020 को PM मोदी ने नए संसद भवन का पहला पत्थर रखा था, जो लगभग 29 महीने बाद बनकर तैयार हो गया है. नए संसद भवन की तस्वीरें सामने आने के बाद इसकी भव्यता ने लोगों का दिल जीत लिया.

गुजरात के आर्किटेक्ट ने किया डिजाइन
नए संसद भवन को गुजरात के आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने डिजाइन किया है, विमल इससे पहले भी कई फेमस इमारतों को डिजाइन कर चुके हैं. पुराना संसद भवन गोल है, लेकिन नए संसद भवन में जगह का पूरा इस्तेमाल करने के लिए इसे त्रिकोण आकार में बनाया गया है. 

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सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत हुआ निर्माण
देश के सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले नए संसद भवन का निर्माण सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत किया गया है. नए संसद भवन की इमारत 4 मंजिला है और पूरा कैंपस लगभग 64,500 वर्ग मीटर के दायरे में फैला हुआ है. इसमें तीन मुख्य दरवाजे हैं, जिन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्मा द्वार नाम दिया गया है. नए संसद भवन में VIP, सांसदों और विजिटर्स सभी की एंट्री अलग-अलग दरवाजे से होगी.टाटा लिमिटेड प्रोजेक्ट्स द्वारा बनाए गए इस भवन के निर्माण में लगभग  973 करोड़ रुपए का खर्च आया है. 

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बैठक व्यवस्था
नए संसद भवन में अगर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होती है तो एक साथ 1,280 सांसद बैठ सकेंगे. वहीं लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 300 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है. 

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सभी राज्यों की कला का समागम
नए संसद भवन के निर्माण में सभी राज्यों की कला का इस्तेमाल किया गया है. नए संसद भवन में मिर्जापुर की कालीन, त्रिपुरा के बांस से बने फर्श, राजस्थान के पत्थर की नक्काशी, महाराष्ट्र के सागौन, लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में फाल्स सीलिंग के लिए दमन और दीव से स्टील, राजस्थान के राजनगर से पत्थर की जाली, अशोक चिह्न के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान से, बाहरी हिस्सों में लगी सामग्री को मध्य प्रदेश के इंदौर से, फर्नीचर मुंबई से, फ्लाई ऐश की ईंटें हरियाणा से और पीतल के काम के लिए सामान गुजरात से मंगाया गया है.  

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