अभिषेक सांख्यायन/नई दिल्ली : बढ़ते बाजार में खुद को सही या गलत तरीके से सर्वश्रेष्ठ दिखाने के लिए कंपनियां अपने विज्ञापनों पर भारी भरकम दावे करती हैं. इस दौरान भ्रामक विज्ञापनों की शिकायतें भी साल दर साल बढ़ रही हैं. पिछले 5 साल में ऐसी 15000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने सिर्फ 3 कंपनियों पर ही जुर्माना लगाया है. ऐसे में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने भ्रामक विज्ञापनों को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. उम्मीद है इनका असर भी जल्द देखने को मिलेगा.
5 साल में 15000 से ज्यादा शिकायतें
एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) में पिछले 5 साल में भ्रामक विज्ञापन के 15000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए है. जहां साल 2016-17 में भ्रामक विज्ञापनों की संख्या 2320 थी. इसके अलावा 2017-18 में 2641, 2018-19 में कुल 2898 शिकायतें दर्ज की गई थीं. साल 2019-20 में 62 % बढ़कर यह आंकड़ा 3773 तक जा पहुंचा. हालांकि कोविड आने के बाद साल 2020-21 में इसमें मामूली कमी आई और 3402 शिकायतें दर्ज की गईं.
90 % से ज्यादा आरोप सही मिले
देश में भ्रामक विज्ञापनों की भरमार है. ASCI की साल 2020-21 की रिपोर्ट देखें तो पता चलता है कि कुल भ्रामक विज्ञापनों के दावों में से महज 7 प्रतिशत दावों को खारिज किया जाता है. बाकी करीब 90 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में किसी न किसी सुधार की गुंजाइश होती है. साल 2020-21 में सामने आईं कुल 3402 शिकायतों में सिर्फ 247 ही ख़ारिज की गईं.
33 % शिकायतें Education इंडस्ट्री से
देश में पिछले कई वर्षो में Edutech Industry में कई स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन गए. इस क्षेत्र में भारी निवेश हुआ. आपकी नजरों के सामने भी आपके बच्चों को टॉपर और कोडर बना देने के कई दावे पेश किए गए होगें. कुल शिकायतों का एक तिहाई (1121) शिक्षा के क्षेत्र में पाई गईं. वहीं ड्रग और मेडिसन के क्षेत्र में कुल शिकायतों के करीब 15 % विज्ञापनों पर भ्रामक होने का आरोप लगा. इसके बाद क्लीनिक/ अस्पताल की 332 , खाद्य और पेय पदार्थों से जुड़ीं 285 और पर्सनल केयर सेगमेंट की 147 शिकायतें दर्ज की गई.
WATCH LIVE TV
प्रिंट मीडिया में आए सबसे ज्यादा भ्रामक विज्ञापन
अगर इन भ्रामक विज्ञापनों के मीडिया माध्यम की बात की जाए तो साल 2020-21 में सामने आईं कुल 3402 शिकायतों में से आधे से ज्यादा शिकायतें प्रिंट (51.8 %) से आईं. 1841 भ्रामक विज्ञापन प्रिंट मीडिया के माध्यम से किए गए. दूसरे नंबर पर डिजिटल मीडिया रहा, जहां से 1241 (34.9 %) शिकायतें मिलीं. वहीं टीवी पर ऐसे विज्ञापनों का हिस्सा महज 11.3 % (404) था. इसके अलावा प्रोडक्ट पैकेजिंग के माध्यम से 32, प्रमोशनल मैटेरियल से 19 और होर्डिंग के माध्यम से 11 भ्रामक विज्ञापनों की शिकायतें मिलीं.
3 में 2 लोगों का मानना भ्रामक प्रचार
Local Circles के एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि 42% भारतीय उपभोक्ताओं ने COVID महामारी के दौरान भोजन / जड़ी-बूटी / न्यूट्रास्युटिकल उत्पाद खरीदे, क्योंकि इनमें ब्रांड द्वारा प्रतिरक्षा प्रक्रिया (Immunity) को बढ़ाने का दावा किया गया था. 3 में से 2 उपभोक्ताओं को कोविड 19 महामारी के दौरान कम से कम तीन भ्रामक विज्ञापन मिले हैं. सर्वे में पाया गया कि लोगों का मानना है कि मौजूदा कानून पूरी तरह से अप्रभावी है. अध्ययन में कहा गया है कि पिछले 24 महीनों में 47% लोगों ने गैर-खाद्य उत्पादों या सेवाओं को एक विज्ञापन के आधार पर खरीदा और बाद में उन्हें भ्रामक पाया.
महज तीन विज्ञापनों पर लगा जुर्माना
लोकसभा में मंत्रालय द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की स्थापना के बाद मार्च 2022 तक 13 कंपनियों ने भ्रामक विज्ञापनों को वापस ले लिया है और 3 कंपनियों ने भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ CCPA द्वारा जारी नोटिस के आधार पर सुधारात्मक विज्ञापन के लिए सहमति व्यक्त की है. CCPA ने 3 कंपनियों पर उनके भ्रामक विज्ञापनों के लिए जुर्माना भी लगाया और उपभोक्ताओं को घरेलू सामान खरीदने के बारे में सचेत करने के लिए दो सुरक्षा नोटिस भी जारी किए, जो बीआईएस (BIS) मानकों के अनुरूप नहीं हैं.
कैसे दर्ज करवाएं शिकायत
उपभोक्ता किसी भी मीडिया माध्यम में देखे गए भ्रामक विज्ञापनों के बारे में गामा पोर्टल (
https://gama.gov.in/) पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसके बाद शिकायत को ASCI को भेज दिया जाता है. जो आगे चलकर कंपनियों को एडवाइजरी जारी कर सकती है. इसके अलावा आप सीधे ASCI को 7710012345 नंबर पर वाट्सऐप मैसेज के जरिए शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
Source: ADSC Annual Report-2020-21