1.09 करोड़ रुपये प्रॉपर्टी टैक्स जमा नहीं करने पर MCD ने DLF का फार्महाउस किया सील
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1.09 करोड़ रुपये प्रॉपर्टी टैक्स जमा नहीं करने पर MCD ने DLF का फार्महाउस किया सील

Property Tax Last Date: निगम का कहना है कि बकायेदारों को सलाह दी जाती है कि वे 31 मार्च से पहले अपने बकाया संपत्ति कर का भुगतान करें और एमसीडी द्वारा शुरू की गई समृद्धि आम माफी योजना का लाभ उठाएं. यह योजना केवल 31 मार्च 2023 तक लागू रहेगी.

जसोला क्षेत्र में निगम की कार्रवाई

नई दिल्ली: संपत्ति कर (Property Tax) के बकायेदारों के खिलाफ दिल्ली नगर निगम ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है. इसी कड़ी में दिल्ली नगर निगम ने आज छतरपुर क्षेत्र में 1.09 करोड़ रुपये संपत्ति कर के रूप में भुगतान न करने पर डीएलएफ के फार्म हाउस को सील कर दिया है. वहीं दिल्ली नगर निगम ने जसोला क्षेत्र में 6.50 करोड़ रुपये संपत्ति कर भुगतान न करने पर दो बड़ी संपत्तियों सील कर दिया. 

निगम ने संपत्ति कर दाताओं से अनुरोध किया है कि वे अपना बकाये प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान करें और समृद्धि आम माफी योजना (Samriddhi Aam Mafi Yojana) का लाभ उठाएं. 

दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) द्वारा संपत्ति कर बकायेदारों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के अंतर्गत आज निगम ने दक्षिण दिल्ली स्थित डीएलएफ छतरपुर क्षेत्र में एक फार्म हाउस को सील/अटैच किया है. संपत्ति पर करीब 1.09 करोड़ रुपये का संपत्ति कर बकाया है.

दरअसल छतरपुर क्षेत्र में 1.09 करोड़ रुपये का प्रॉपर्टी टैक्स अदा करने के लिए एमसीडी ने पर्याप्त अवसर दिए, लेकिन करदाता ने वर्ष 2004-05 से टैक्स का भुगतान नहीं किया. इसके बाद एमसीडी ने यह कदम उठाया. 

दिल्ली नगर निगम विभिन्न क्षेत्रों में फार्म हाउस व अन्य संपत्तियों द्वारा बकाया संपत्ति कर भुगतान न करने पर उन्हें सील / कुर्की जैसी सख्त कार्रवाई कर रही है. निगम का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से बचने के लिए बकायेदारों को सलाह दी जाती है कि वे 31 मार्च से पहले अपने बकाया संपत्ति कर का भुगतान करें और एमसीडी द्वारा शुरू की गई समृद्धि आम माफी योजना का लाभ उठाएं. यह योजना केवल 31 मार्च 2023 तक लागू रहेगी.

इस योजना से कैसे मिलता है लाभ 
दिल्ली के उपराज्यपाल ने 26 अक्टूबर 2022 को समृद्धि आम माफी योजना शुरू किया था. इस योजना के तहत रेजीडेंशियल प्रॉपर्टी के मालिकों को पिछले पांच वर्षों की केवल मूल संपत्ति कर का भुगतान करना होगा यानी बकायेदारों से ब्याज नहीं लिया जाएगा. वहीं कमर्शियल प्रॉपर्टी के मालिक पिछले छह वर्षों की मूल राशि का भुगतान कर सकते हैं. 

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