Delhi Ordinance: राघव चड्ढा का बड़ा बयान, बोले- 'दिल्ली में डेमोक्रेसी नहीं बाबूक्रेसी होगी', की अपील- अध्यादेश के खिलाफ BJP भी करें वोट
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Delhi Ordinance: राघव चड्ढा का बड़ा बयान, बोले- 'दिल्ली में डेमोक्रेसी नहीं बाबूक्रेसी होगी', की अपील- अध्यादेश के खिलाफ BJP भी करें वोट

Delhi Ordinance: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि अध्यादेश एक बिल के रूप में आज सदन में लाया जा रहा है. इससे देश में और खासतौर पर दिल्ली में डेमोक्रेसी को बाबूक्रेसी में बदल देना मकसद है यानि दिल्ली को अब दिल्ली की चुनी हुई सरकार नहीं चलाएगी बल्कि चंद यूपीएफसी और उपराज्यपाल चलाएंगे.

Delhi Ordinance: राघव चड्ढा का बड़ा बयान, बोले- 'दिल्ली में डेमोक्रेसी नहीं बाबूक्रेसी होगी', की अपील- अध्यादेश के खिलाफ BJP भी करें वोट

Delhi Ordinance: दिल्ली में लागू किए गए अध्यादेश को केंद्र सरकार आज लोकसभा में पेश करने वाली है. उससे पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का बड़ा बयान सामने आया है. राघव चड्ढा ने अपने बयान में कहा है कि अध्यादेश एक बिल के रूप में आज सदन में लाया जा रहा है. इससे देश में और खासतौर पर दिल्ली में डेमोक्रेसी को बाबूक्रेसी में बदल देना मकसद है यानि दिल्ली को अब दिल्ली की चुनी हुई सरकार नहीं चलाएगी बल्कि चंद यूपीएफसी और उपराज्यपाल चलाएंगे.

राघव चड्ढा ने अपने बयान में आगे कहा कि सारी शक्तियां चुनी हुई सरकार से छीन कर बीजेपी द्वारा अपॉइंटेड उपराज्यपाल में लीन करने का प्रयास बिल के माध्यम से किया जा रहा है. यह जो बिल लाया गया है ऑर्डिनेंस को रिप्लेस करने के लिए वह बिल ऑर्डिनेंस से भी ज्यादा खतरनाक है. देश के लोकतंत्र और देश के संविधान के लिए यह बिल कई सारी चीजें कहता है. मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूं. यह सारी शक्तियां सरकार चलाने की अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग और डिसिप्लिन प्रोसीडिंग की और कौन सा अफसर कौन सा विभाग संभालेगा.

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1. पहला यह कहता है कि मंत्रिमंडल के कोई भी फैसले हो अफसरशाही लागू करने से मना कर सकती है और गलत ठहरा सकती हैं,

2. दूसरी यह कहता है कि मंत्रियों का जो भी फैसला लिया जाएगा उस पर अफसरों का एक ऑडिट होगा कि यह फैसला सही है या गलत.

3. तीसरा यह कहता है कि जितनी चेयरमैनशिप है वोट है उन सब की नियुक्तियां उपराज्यपाल करेंगे यानि कि जल बोर्ड से लेकर बिजली बोर्ड की नियुक्ति उपराज्यपाल करेंगे मतलब आप आपका बिजली का बिल आएगा या नहीं आएगा. पानी आपके घर आएगा या नहीं. इसका फैसला भी उपराज्यपाल करेंगे.

राघव चड्ढा ने अपने बयान में आगे कहा कि यह सारी शक्तियां उपराज्यपाल को दे दी गई है. दिल्ली की चुनी हुई सरकार से जितनी लोकतांत्रिक ढंग के साथ चुनी हुई सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए वह सारी आज इस एक बिल के माध्यम से भाजपा ने छीन ली है और यह इसलिए किया क्योंकि बीजेपी से अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की सफलता देखी नहीं जाती. 25 साल से दिल्ली में लगातार चुनाव हो रहे हैं. पिछले 6 बार विधानसभा के मुख्यमंत्री चुनने के चुनाव हुए दिल्ली में 6 बार भाजपा वह चुनाव हार गई, एक बार नहीं जीत पाई.

राघव चड्ढा ने आगे कहा कि उनकी सियासी जमीन खिसक गई है, तो अब उन्होंने सोचा कि न रहेगी बांस और न बजेगी बासुरी. सरकार ही खत्म कर दो तो दिल्ली की सियासत ही नहीं रहेगी, न भारतीय जनता पार्टी की हार होगी चुनाव में. जब राज्यसभा के भीतर यह बिल को पेश किया जाएगा तो उस समय चर्चा करना उचित रहेगा और कौन सी पार्टी का मत लेती है और कौन सी पार्टी संविधान को बचाने के लिए सामने आती है वह फैसला जब पार्टी के द्वारा लिया जाएगा, तो उस समय विस्तार से चर्चा करना उचित रहेगा.

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उन्होंने आगे कहा कि हम यह बात जरूर समझ ले कि यह एक धर्म युद्ध है. धर्म हमारे साथ है सच्चाई हमारे साथ है. बुराई झूठ और असत्य भाजपा के खेमे में है. इसलिए जीतेंगे हम और अधर्म की हार होगी. एक महत्वपूर्ण चीज मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि मैं भाजपा के सांसदों को भी अपील करना चाहता हूं कि आप सभी संविधान की शपथ लेकर संसद भवन के अंदर बैठे हैं सांसदों ने कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया को प्रोटेक्ट करने की शपथ ली है. अगर सविधान को सही मायने में बचाना चाहते हैं तो इस बार इस दिल्ली के बिल पर लोकतंत्र और संविधान का साथ दो और बिल को हराने में हमारा साथ दें.

राघव चड्ढा ने अपने बयान में आगे कहा कि इंडिया घटक दल के जितने भी सांसद लोकसभा या राज्यसभा में है. वह जरूर विरोध करेंगे इस अध्यादेश को जो लाया गया है. जो बिल लाया गया अध्यादेश को रिप्लेस करने के लिए वह बिल तो अध्यादेश से भी ज्यादा खतरनाक है. इस बिल को हराने में हम सब साथी मिलकर काम करेंगे और हम एकजुट हैं. यह बिल इतना असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है कि आज बीजेपी के भीतर बैठे भी कई लोग हो सकता है सविधान को बचाने के लिए हमारा साथ दें.

(इनपुटः बलराम पांडेय)

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