Haryana Politics: पूर्व CM और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसानों को MSP नहीं देने के मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा है. हुड्डा ने कहा किसान अपनी फसल के लिए MSP की मांग कर रहे हैं, लेकिन BJP-JJP सरकार उनके सामने भावांतर का झुनझुना बजा रही है.
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Haryana Politics: हरियाणा के पूर्व CM और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसानों को MSP नहीं देने के मुद्दे पर BJP-JJP सरकार पर निशाना साधा. हुड्डा ने कहा कि किसान अपनी फसलों के लिए MSP की मांग कर रहे हैं, लेकिन BJP-JJP सरकार उनके सामने भावांतर का झुनझुना बजा रही है. MSP किसानों का अधिकार है और भावांतर एक धोखा है. हुड्डा ने MSP के 25 साल के आंकड़ों का लेखा-जोखा पेश करते हुए बताया कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान बीजेपी-इनेलो, बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी की सरकार के मुकाबले MSP में कहीं ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई. कांग्रेस ने MSP बढ़ोत्तरी करके किसानों को लाभकारी मूल्य दिया, जबकि BJP ने लागत में बढ़ोत्तरी जितना रेट भी नहीं बढ़ाया.
हुड्डा ने कहा कि किसानों को MSP दे पाने में नाकाम गठबंधन सरकार पीपली,हिसार, रोहतक और शाहबाद में किसानों पर लाठीचार्ज कर रही है. आज सूरजमुखी के किसान अपनी फसल का रेट लेने के लिए आंदोलनरत हैं. 6400 रुपये वाली सूरजमुखी लगभग 4000 रुपये प्रति क्विंटल में बिक रही है. सरकार कागजों में 1000 रुपये भावांतर देकर अपनी पीठ थपथपा रही है, जबकि भावांतर मिलने के बाद भी किसानों को 1000-1400 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा झेलना पड़ रहा है. आखिर किसान के इस नुकसान की भरपाई कहां से होगी? मौजूदा सरकार की MSP कागजों तक और मुआवजा पोर्टल तक सीमित है. किसानों के हिस्से सिर्फ सरकारी अत्याचार आता है.
CM द्वारा एमएसपी को लेकर किए गए दावों का जवाब देते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि 1999 से लेकर 2004 तक भाजपा-इनेलो गठबंधन की सरकार के दौरान धान के रेट में सिर्फ 14% वृद्धि यानी हर साल 2.3% की बढ़ोत्तरी हुई. वहीं, बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी के 9 साल में धान की एमएसपी में सिर्फ 54.1% यानी 6% सालाना बढ़ोत्तरी हुई. जबकि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान 2005 से 2014 तक धान की एमएसपी में कुल 143 प्रतिशत यानी हर साल 14.3% की वृद्धि हुई.
गेहूं की बात की जाए तो भाजपा-इनेलो सरकार ने कुल 10.3% यानी सालाना 1.7% ही MSP बढ़ाई. वहीं बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी सरकार ने एमएसपी को सिर्फ 39.3% यानी हर साल 4.30% ही बढ़ाया. इनके मुकाबले कांग्रेस ने कुल 126% यानी सालाना 12.7% की वृद्धि की.
गन्ने के रेट में भाजपा-इनेलो सरकार में कुल 23.1% और सालाना 3.8% बढ़ोत्तरी हुई. बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार में कुल 16.7% यानी सालाना 1.8% बढ़ोत्तरी हुई. जबकि कांग्रेस कार्यकाल में रिकॉर्ड तोड़ कुल 164% यानी सालाना यानी 16.4% की बढ़ोत्तरी हुई थी. कांग्रेस कार्यकाल के दौरान हरियाणा में किसानों को देश में सबसे ज्यादा रेट मिलता था. भाजपा और भाजपा-जजपा सरकार में बाजरे का रेट 100% यानी सालाना औसतन 11% बढ़ा. जबकि कांग्रेस के शासन में कुल 142% और सालाना 14.2% बढ़ोत्तरी हुई. मक्के की एमएसपी में मौजूदा सरकार ने 9 साल में कुल 59.5% यानी हर साल मात्र 6.6% की बढोत्तरी की, जबकि कांग्रेस ने कुल 149.5% और सालाना 14.9% वृद्धि की.
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सूरजमुखी के रेट की बात की जाए तो मौजूदा सरकार ने सिर्फ 80.2% यानी सालाना 8.9% बढोत्तरी ही की, जबकि कांग्रेस ने कुल 179.8% यानी सालाना औसतन 17.9% वृद्धि की. ज्वार के भाव में कांग्रेस ने कुल 197% और हर साल 19.7% बढ़ोत्तरी की, जबकि बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी ने कुल 107.8% और सालाना 11.9% ही बढ़ोत्तरी की.
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि किसानों को फसलों का भाव देने के साथ कांग्रेस उन्हें राहत देने में भी मौजूदा सरकार से कई कदम आगे थी. कांग्रेस ने किसानों को सस्ता ईंधन, लोन माफी और सब्सिडी उपलब्ध करवाई. वहीं बीजेपी ने खाद, बीज, दवाईयों से लेकर ट्रैक्टर पार्ट्स तक पर जीएसटी लगाकर खेती की लागत तो कई गुना बढ़ा दिया. प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने किसानों के 1600 करोड़ के बिजली के बिल माफ किए थे, लेकिन मौजूदा सरकार ने किसी का 1 पैसा भी माफ नहीं किया. कांग्रेस ने प्रदेश के किसानों का 2,136 करोड़ रुपए का कर्जा माफ किया था, लेकिन मौजूदा सरकार ने एक पैसा माफ नहीं किया. इसके अलावा कांग्रेस ने किसानों को 10 पैसे प्रति यूनिट बिजली मुहैया करवाने से लेकर जीरो ब्याज पर फसली लोन, ट्यूबवैल कनेक्शन पर सब्सिडी, फव्वारा सिंचाई पर 100 प्रतिशत सब्सिडी जैसी राहतें भी दी, लेकिन बीजेपी-जेजेपी ने किसानों की सारी राहतें खत्म कर दी.
यह सरकार किसानों को ना एमएसपी दे पा रही है और ना ही मुआवजा. पिछले दिनों 17 लाख एकड़ की फसल खराब हुई, लेकिन सरकार ने सिर्फ 3 लाख एकड़ के लिए ही मुआवजे का ऐलान किया. उनमें से भी लगभग 67 हजार किसानों को ही नाममात्र मुआवजा मिला.
बीजेपी-जेजेपी में चल रही कलह पर टिप्पणी करते हुए हुड्डा ने कहा कि दोनों दलों को आने वाले चुनाव में हार का डर सताने लगा है. स्वार्थ और भ्रष्टाचार की झूठी बुनियाद पर टिका गठबंधन अब डगमगाने लगा है. दोनों दल सरकार की विफतलाओं का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ना चाहते हैं, लेकिन जनता को पता है कि प्रदेश की दुर्दशा के लिए दोनों ही जिम्मेदार हैं. इसलिए चुनाव में जनता दोनों दलों को सबक सिखाएगी.