Kargil Vijay Diwas 2023: देश में जब भी करगिल के शहीदों को याद किया जाएगा तो पलवल के जाकिर हुसैन का नाम जरूर लोगों के जुबान पर आएगा. हरियाणा के पलवल जिले के रहने वाले जाकिर हुसैन ने कैसे दुश्मनों के दांत खट्टे कर शहादत को गले लगा लिया. इस बात की जिक्र आज भी बड़े गर्व के साथ उनके गांववाले करते हैं.
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Palwal Jakir Hussain News: आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस की खुशियां मना रहा है. हमारे देश के जवानों ने अपने प्राणों की आहुती देकर हमें कई मुश्किलों से निकाला और देशवासियों पर दुशमनों का साया भी नहीं पड़ने दिया. न जाने कितने ही सौनिकों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए शहादत की चादर ओठ ली. उन्हीं में से एक हैं हरियाणा के पलवल जिले के रहने वाले शहीद जाकिर हुसैन. पलवल के लोग आज भी डबडबाई आंखों से उनकी वीर गाथा कहते हुए गर्व महसूस करते हैं.
पाक के मंसूबों पर फेरा था पानी
देश में जब भी करगिल के शहीदों को याद किया जाएगा तो पलवल के जाकिर हुसैन का नाम जरूर लोगों के जुबान पर आएगा. हरियाणा के पलवल जिले के रहने वाले जाकिर हुसैन ने कैसे दुश्मनों के दांत खट्टे कर शहादत को गले लगा लिया. इस बात की जिक्र आज भी बड़े गर्व के साथ उनके गांववाले करते हैं. करगिल युद्ध के दौरान भारत के वीर सैनिकों ने वीरता और गौरव की अद्भुत मिशाल पेश थी. भारतीय वीरों ने अपने बलिदान और शौर्य से पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया था. भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय चलाकर कारगिल क्षेत्र से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया था. करीब दो महीने तक चली इस लड़ाई में देश के करीब 500 सैनिकों ने अपना बलिदान दिया था, जिनमें पृथला के गांव सोफता के रहने वाले जाकिर हुसैन भी शामिल थे.
पाकिस्तानी सैनिक के आंख में मारी थी गोली
जाकिर हुसैन लांस नायक थे. बचपन से ही उन्हें फौज में जाने का शौक था. 1988 में वे सेना में भर्ती हुए. 3 जुलाई 1999 को जब कारगिल युद्ध में लड़ाई करने का ऑर्डर आया तो उस समय शाम हो चुकी थी. 22 फौजियों की टीम पहाड़ी पर जब दुश्मन से 1 किमी की दूरी पर पहुंची तो फायरिंग शुरू हो गई. इसी दौरान जाकिर हुसैन ने सटीक निशाना लगाते हुए एक पाकिस्तानी सिपाही की आंख में गोली दाग दी. गोली मारने के बाद जैसे ही वे चट्टान की ओट से बाहर निकले, दुश्मन की एक गोली सीधे उनके माथे में लगी और जाकिर वीरगति को प्राप्त हो गए. आज भी न सिर्फ शहीद जाकिर हुसैन का परिवार बल्कि उनका पूरा गांव उन्हें हर साल याद कर नमन करता है.
अब सेना में जाने के लिए छोटा बेटा तैयार
परिवार में आज भी शहीद जाकिर की कमी हमेशा खलती है. उनकी पत्नी रजिया बेगम बताती हैं कि जाकिर और उनकी शादी 1982 में हुई थी. 1988 में वे सेना में भर्ती हो गए और 1999 में करगिल युद्ध के दौरान उन्होंने देश के लिए कुर्बानी दे दी. रजिया बेगम अब अपने छोटे बेटे को फौज में भेजने की तैयारी कर रही हैं. शहीद के बेटों को अपने अब्बू पर गर्व है. 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी. इस युद्ध में सेना के 26 अधिकारी, 21 जेसीओ और 452 सैनिकों ने अपनी शहादत देकर भारत को विजय दिलाई थी. इसके साथ ही इस दौरान युद्ध में 66 अधिकारी, 60 जेसीओ और 1085 सैनिक घायल हो गए थे. देश शहीद जाकिर हुसैन के सर्वोच्च बलिदान को कभी नहीं भूल सकता.
स्कूल में बनी थी कब्रगाह
जाकिर हुसैन जिस समय शहीद हुए उनके सबसे बड़े बेटे की उम्र केवल 9 साल से जबकि उनका सबसे छोटा बेटा 2 महीने के गर्भ में था. जाकिर हुसैन अपने पीछे पत्नी और 5 बच्चों को छोड़कर गए हैं. आज उनके बेटों के बच्चे हो चुके हैं और अपने पिता की वीरता के किस्से सुनते हैं जाकिर हुसैन की पत्नी रजिया बेगम बड़े गर्व के साथ में अपने पति की वीरता के किस्से सुनाती हैं. जाकिर हुसैन के सम्मान के लिए गांव के मिडिल स्कूल में ही उनकी कब्रगाह बनाई हुई है.
INPUT- RUSHTAM JAKHAR