होली आने से 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं. माना जाता है कि इन दिनों कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है. इसके पीछे 2 पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें बताया गया है कि क्यों इन दिनों कोई भी शुभ कार्य नहीं करता हैं.
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Holashtak 2023: हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक होली 7 और 8 मार्च को मनाई जाएगी. वहीं होली से 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं. मान्यता है कि इन दिनों में कोई भी शुभ और मांगलिक काम नहीं करने चाहिए. आज से यानी 27 फरवरी से होलाष्टक लग रहे हैं. वहीं 2 पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि कैसे होलाष्टक की शुरुआत हुई और क्यों इन दिनों में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित है. आइये जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों और कैसे हुआ?
1. मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा से वरदान से तारकासुर तीनों लोकों में तबाही कर रहा था. तारकासुर ने भगवान ब्रह्मा से वरदान लिया था कि उसका वध केवल भगवान भोलेनाथ का पुत्र ही कर सकता है. वहीं भोलेनाथ उस समय तपस्या में लीन थे. उन्हें तपस्या से उठाने का साहस किसी में भी नहीं था. वहीं देवताओं को भगवान शिव की शादी माता पार्वती से करानी थी. इसके लिए देवताओं ने इसका जिम्मा कामदेव को दिया. कामदेव ने लगातार 8 दिन तक भगवान शिव की तपस्या भंग करने की कोशिश की, जिसके बाद 8वें दिन भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया. कामदेव 8 दिनों तक हर तरह से भगवान भोलेनाथ की तपस्या भंग करने के प्रयास में लगे थे. आखिर में भगवान शिव ने क्रोध में आकर कामदेव को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भस्म कर दिया था. यह एक कारण है, जिसकी वजह से इन आठ दिनों तक कोई शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते.
2. वहीं दूसरी कथा के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे को होलिका दहन से 8 दिन पहले प्रताड़ना देना शुरू कर दिया था. ताकि वो भगवान श्री हरि विष्णु की भक्ति न करे. इस दौरान राजा हिरण्यकश्यप ने आठ दिनों तक कठिन यातनाएं दी थीं. इसके बाद 8वें दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था. वो भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर बैठी और खुद जल गई थी, लेकिन भक्त प्रह्लाद बच गए थे. इसलिए भी ये 8 दिन अशुभ माने जाते हैं. इस कारण भी लोग कोई मागलिक काम नहीं करते हैं.