Yamunanagar Hindi News: यमुनानगर के उद्योगपति एवं समाज सेवक रोशन लाल कंबोज ने फंडिंग के जरिये लाखों रुपये जमा करके यमुनानगर के रहने वाले जीतेंद्र का दिल में छेद और दोनों फेफड़े के खराब होने के चलते इलाज करवाया.
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Yamunanagar News: जाको राखो साइयां मार सके ना कोई. जिसका रखवाला ऊपर वाला हो उसका कुछ नहीं बिगड़ सकता, यह कहावत उस वक्त चरितार्थ हुई जब यमुनानगर के नया गांव में एक 30 साल के युवक को डॉक्टरों ने चंद महीने की जिंदगी बताकर उसे बोल दिया कि ज्यादा दिन नहीं जियोगे. दरअसल इस व्यक्ति के दिल में छेद और दोनों फेफड़े खराब हो चुके थे. जब यह दर-दर लोगों को अपना दुख सुना रहा था तो कुछ लोग फरिश्ते बनकर इसकी जिंदगी में आए, जिन्होंने इस युवक का इलाज करवाकर इसकी जान बचाई. हालांकि युवक के इलाज में लगभग 70 लाख रुपये लगे, जो कि समाज के लोगों ने फंडिंग के जरिये इस व्यक्ति की सहायता की.
कई लोग पर्दे के पीछे रहकर, कोई कार्य दिखावे के लिए न करके लोगों की सेवा करने में लगे रहते हैं, लेकिन कई बार समाज में जागरुकता लाने के लिए सामाजिक लोगों को भी सामने आना चाहिए, ताकि लोगों तक एक अच्छा संदेश पहुंच सके. ऐसा ही कुछ कर दिखाया यमुनानगर के उद्योगपति एवं समाज सेवक रोशन लाल कंबोज ने. इन्होंने यमुनानगर के नया गांव के एक युवक की जान बचाकर अपने आप को पर्दे के पीछे रखा और उसकी सहायता करते रहे. समाज सेवक रोशन लाल व उसकी टीम के प्रयासों से ही आज जितेंद्र के दिल में हुए छेद व दोनों फेफड़े खराब होने से उस पर 70 लाख रुपया इकट्ठा करके जान बचाई. हालांकि रोशन लाल कंबोज व उनकी टीम पर्दे से बाहर नहीं निकलना चाहती थी, लेकिन समाज में जागरुकता लाने के लिए वह मीडिया से रूबरू हुए. यह कदम उन लोगों के लिए भी है जो सोचते हैं कि बीमारी ठीक नहीं होगी, आज के युग में ऐसी कोई बीमारी नहीं है जो ला इलाज हो, लेकिन प्रयासों की कमी के चलते काफी लोग इस तरह की बीमारियों की चपेट में आकर अपनी जिंदगी से पहले ही अलविदा हो जाते है.
जितेंद्र के माता-पिता व परिवार उसके दिल में हुए छेद व दोनों फेफड़े खराब होने के चलते अपने बेटे की जिंदगी की आस ही छोड़ बैठे थे. क्योंकि डॉक्टर ने भी साफ कह दिया था कि जितेंद्र की जिंदगी सिर्फ दो से तीन महीने की रह गई है. समाज सेवक रोशन लाल कंबोज व उसकी टीम जितेंद्र और उसके परिवार के लिए फरिश्ता बनकर आए और 70 लख रुपए खर्च करके जितेंद्र की जिंदगी बचाी. आज जितेंद्र अपने परिवार में खुशहाली से अपना जीवन जी रहे हैं.
वहीं डिस्पेंसरी के सरकारी डॉक्टर ने कहा कि इस बीमारी का इलाज चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा व आसपास कहीं न होने के बाद उन्हें चेन्नई में एक निजी अस्पताल में भेज दिया. जहां तीन बार असफल ट्रांसप्लांट हुआ, लेकिन चौथी बार सफल ट्रांसप्लांट होते हुए जितेंद्र की जान बचा ली गई. यह हरियाणा में पहला केस होगा जब एक साथ किसी व्यक्ति के हार्ट और दोनों फेफड़ों को ट्रांसप्लाट करके जान बचाई हो.
अगर कोई व्यक्ति काम ठान ले तो आवश्य होता है, समाज सेवक रोशन लाल कंबोज के नेतृत्व में कुछ लोगों ने आपस में टीम बनाई और जितेंद्र को बचाने की ठान ली और लोगों से संपर्क करना शुरू कर दिया. समाज सेवक, उद्योगपति व आम जन के सहयोग से जितेंद्र को चंदा देकर उसकी जान बचाई. जितेंद्र की मां और पिता ने भी बेटे का दुख सुनाया तो आंसू छलक पड़े और समाज सेवक में उद्योगपति रोशन लाल व उनकी टीम का धन्यवाद करते हुए ताउम्र उनके एहसान की बात की.
देखने में आता है कि कई बार करोड़पति भी पैसा खर्च करने के बाद अपनी जान नहीं बचा पाते, लेकिन जिसको बचाने वाला ऊपर वाला हो तो एक गरीब व्यक्ति की जिंदगी में भी कई लोग फरिश्ते बनकर आते है ओर लाखों रुपये खर्च करके जान बचा लेते हैं.
Input: Kulwant Singh