Vehicle Scrappage Policy in Haryana: हरियाणा में इस दिन से लागू होगी स्क्रैप पॉलिसी
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Vehicle Scrappage Policy in Haryana: हरियाणा में इस दिन से लागू होगी स्क्रैप पॉलिसी

Vehicle Scrappage Policy in Haryana : स्क्रैप पॉलिसी की लाने पर सरकार ने प्रमुख कारणों में सबसे सुरक्षा का हवाला दिया था. कहा था कि 15 से 20 साल पुराने वाहनों में सीट बेल्ट और एयरबैग आदि नहीं होते. इससे दुर्घटना होने पर गाड़ी सवार लोगों की जान जा सकती है. जबकि नए वाहनों में सुरक्षा मानकों पर खूब ध्यान दिया जा रहा है.

प्रतिकात्म तस्वीर

साक्षी शर्मा/चंडीगढ़: हरियाणा में जल्द स्क्रैप पॉलिसी (Vehicle Scrappage Policy in Haryana) की शुरुआत हो सकती है. इस नीति की तर्ज पर परिवहन विभाग, हरियाणा ने इसका प्रारूप तैयार कर लिया है. 10 दिनों में संबंधित विभागों द्वारा अध्ययन कर मुख्य सचिव को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी. हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने गुरुवार को चंडीगढ़ में वाहन स्क्रैप नीति को हरियाणा में लागू करने के संबंध में समीक्षा बैठक में इसके संकेत दिए हैं.

मुख्य सचिव ने कहा कि इस नीति के माध्यम से राज्य में इस क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा. इसलिए नीति को जल्द अंतिम रूप दिया जाए और प्रदेश में सभी आवश्यक व्यवस्था की जाएंगी. बैठक में बताया गया कि व्हीकल स्क्रैपिंग नीति का मुख्य उद्देश्य प्रदूषण फैलाने और खराब गुणवत्ता वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से इस्तेमाल से हटाने की व्यवस्था तैयार करना है. हालांकि यह कब तक लागू होगी, इस पर अभी किसी तरह का निर्णय नहीं लिया गया है.

नूंह में बन रहा हाई टेक प्लांट
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नूंह जिले के फतेहपुर गांव में नई पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा का उद्घाटन किया था. यह देश का पहला ऐसा प्लांट है जो आधुनिक तकनीक का उपयोग कर वाहनों से अधिकतम संख्या में घटकों को उबारने और पुन: उपयोग करने के लिए तैयार करता है. 

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कितने साल तक चल सकते हैं वाहन
बैठक में मुख्य सचिव ने बताया कि पंजीकरण अवधि के अंत में वाहनों को फिटनेस परीक्षण से गुजरना पड़ता है. जहां वाणिज्यिक वाहनों को 10 वर्षों के बाद अनिवार्य परीक्षण की आवश्यकता होती है, जबकि यात्री वाहनों के लिए इसे 15 वर्ष निर्धारित किया गया है. वाहनों की सुविधा के लिए ही व्हीकल स्क्रैपिंग नीति को जल्द लागू किया जाएगा.

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क्या है केंद्र सरकार की स्क्रैप पॉलिसी?
स्क्रैप पॉलिसी के मुताबिक 15 और 20 साल पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप (कबाड़) कर दिया जाएगा. कमर्शियल गाड़ी जहां 15 साल बाद कबाड़ घोषित हो सकेगी, वहीं निजी गाड़ियों के लिए यह समय 20 साल का है. मतलब अगर आपकी कार 20 साल पुरानी है तो रद्दी माल की तरह कबाड़ में बेच दिया जाएगा. इसके पीछे सरकार का दावा है कि स्क्रैपिंग पॉलिसी से वाहन मालिकों का न केवल कम आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि सेफ्टी भी होगी. सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी होगी. साथ ही प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी. 

क्यों लाई जा रही है यह पॉलिसी?
स्क्रैप पॉलिसी की लाने पर सरकार ने प्रमुख कारणों में सबसे सुरक्षा का हवाला दिया था. कहा था कि 15 से 20 साल पुराने वाहनों में सीट बेल्ट और एयरबैग आदि नहीं होते. इससे दुर्घटना होने पर गाड़ी सवार लोगों की जान जा सकती है. जबकि नए वाहनों में सुरक्षा मानकों पर खूब ध्यान दिया जा रहा है. नए वाहनों से होने वाले एक्सीडेंट में हेड इंजरीज की दर भी कम है. इस पॉलिसी के जरिए 15 से 20 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप्ड कर नए वाहन लेने के लिए लोगों को प्रेरित करने का मकसद है. सरकार ने तब कहा था कि पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगाने के लिए राज्यों को प्रेरित किया जा रहा है.

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