सरकार ने विधानसभा में खुद माना है कि पिछले 5 सालों में 900 से अधिक लोग बेसहारा पशुओं के कारण सड़क हादसे में अपनी जान गंवा चुके है और 3000 से ज्यादा लोग इन दुर्घटनाओं में घायल हो चुके हैं. वहीं, हैरानी की बात ये है कि हरियाणा को कागजों पर 2019 से ही बेसहारा पशु मुक्त राज्य घोषित किया जा चुका है- दीपेंद्र हुड्डा
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सोनीपतः सांसद दीपेंद्र हुड्डा आज गांव मुंडलाना में श्री कृष्ण वासुदेव गौशाला के एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए गौशालाओं में मौजूद गायों की देख-रेख के लिए सरकार को गौशालाओं में प्रति गाय के हिसाब से प्रतिदिन के आधार पर अनुदान बढ़ाकर देना चाहिए. केवल गौमाता की जय बोलने से गौवंश नहीं बचेगा इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे. गौवंश की जो दुर्गति इस सरकार के दौरान हुई है इससे पहले कभी नहीं हुई.
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा सरकार गौवंश के लिए नाम मात्र का अनुदान देती है जो प्रति गौवंश के हिसाब से ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. आज के जमाने में इतनी कम राशि से गौवंश का पेट नहीं भरा जा सकता. उन्होंने बताया कि हरियाणा से लगते पड़ोसी राज्यों राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की सरकारें गौवंश के लिए गौशालाओं को प्रतिदिन प्रति गाय के हिसाब से अनुदान राशि देती है.
दीपेंद्र हुड्डा आज सोनीपत में आयोजित कई सामाजिक कार्यक्रमों में भी शिरकत करने पहुंचे. उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में बेसहारा पशुओं की समस्या भी बढ़ती जा रही है. सरकार ने विधानसभा में खुद माना है कि पिछले 5 सालों में 900 से अधिक लोग बेसहारा पशुओं के कारण सड़क हादसे में अपनी जान गंवा चुके है और 3000 से ज्यादा लोग इन दुर्घटनाओं में घायल हो चुके हैं. वहीं, हैरानी की बात ये है कि हरियाणा को कागजों पर 2019 से ही बेसहारा पशु मुक्त राज्य घोषित किया जा चुका है.
उन्होंने आगे कहा कि लेकिन, प्रदेश भर में सड़कों पर घूम रहे छुट्टा पशु प्रदेश सरकार के खोखले दावों की पोल खोल रहे हैं. उन्होंने मांग करी कि हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में छुट्टा पशुओं के चारे व रहने की व्यवस्था सुनिश्चित करे और पर्याप्त बजट दे. गांव से लेकर शहरों के गली मोहल्लों में बेसहारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है, जिस कारण रोजाना कोई ना कोई शहरवासी या वाहन चालक इनकी चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो रहा है.
उन्होंने कहा कि कई बार छुट्टा पशु झगड़ते हुए दुकानों में घुस जाते है और दुकानों में रखे सामान को तहस-नहस कर देते है. बेसहारा पशुओं की समस्या से किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में सरकार को इस समस्या के स्थायी समाधान के लिये ठोस कदम उठाना चाहिए.
(इनपुटः राजेश खत्री)