आलू की कीमत गिरने से किसान परेशान, हुड्डा ने हरियाणा सरकार को सुझाया रास्ता
Advertisement

आलू की कीमत गिरने से किसान परेशान, हुड्डा ने हरियाणा सरकार को सुझाया रास्ता

कांग्रेस कार्यकाल के दौरान भी एक बार आलू की कीमत नीचे चली गई थी. ऐसे में किसानों को उचित मूल्य दिलवाने के लिए उस वक्त सरकार ने आलू का निर्यात शुरू किया था. इसी तरह कांग्रेस कार्यकाल के दौरान जब धान के भाव गिरने लगे तो उसका निर्यात शुरू किया गया, जिसकी वजह से उस वक्त किसानों को धान का रिकॉर्ड उच्चतम रेट मिला- हुड्डा  

आलू की कीमत गिरने से किसान परेशान, हुड्डा ने हरियाणा सरकार को सुझाया रास्ता

कुरुक्षेत्रः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज पीपली अनाज मंडी का दौरा कर किसान, मजदूरों और आढ़तियों से मुलाकात की. हुड्डा ने उनकी समस्याएं सुनी और उनके मुद्दों को विधानसभा में प्रमुखता से उठाने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि आज किसानों का आलू 50 पैसे से लेकर सवा रुपये प्रति किलो रेट पर पिट रहा है. जबकि उसे उगाने की लागत 7 से 8 रुपये है. इसकी वजह से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

उन्होंने बीजेपी-जेजेपी सरकार को याद दिलाया कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान भी एक बार आलू की कीमत नीचे चली गई थी. ऐसे में किसानों को उचित मूल्य दिलवाने के लिए उस वक्त सरकार ने आलू का निर्यात शुरू किया था. इसी तरह कांग्रेस कार्यकाल के दौरान जब धान के भाव गिरने लगे तो उसका निर्यात शुरू किया गया, जिसकी वजह से उस वक्त किसानों को धान का रिकॉर्ड उच्चतम रेट मिला.  

भूपेंद्र सिंह हुड्डा इससे पहले जयराम आश्रम द्वारा स्थापित किए जा रहे स्कूल के भूमि पूजन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने पहुंचे थे. इस मौके पर उन्होंने बड़ी जनसभा को भी संबोधित किया. साथ ही उन्होंने संस्था और विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दीं. इसके बाद अनाज मंडी पहुंचे हुड्डा ने कहा कि किसानों को उनकी फसलों का उचित रेट देने के  बजाए गठबंधन सरकार भावांतर भरपाई योजना झुनझुना बजा रही है.

उन्होंने आगे कहा कि इस योजना के जरिए एक औसत निकाल कर कभी कभार चंद किसानों के नुकसान की थोड़ी बहुत भरपाई की जाती है, लेकिन ज्यादातर किसान सरकार का मुंह ताकते रह जाते हैं. सरकार को चाहिए कि वह किसान को हुए कुल नुकसान की भरपाई करे, ना कि उसे औसत के जंजाल में फंसाकर अपने हाल पर छोड़ दे.

हुड्डा ने कहा कि बीजेपी ने किसानों की आय डबल करने का वादा किया था, लेकिन इसके विपरीत उसने किसान की लागत डबल कर दी. कांग्रेस कार्यकाल के दौरान डीजल पर जो वेट महज 8.9% था. उसे बीजेपी ने बढ़ाकर दोगुने से ज्यादा कर दिया. इसी तरह कांग्रेस कार्यकाल के दौरान खेती संबंधी वस्तुओं पर किसी तरह का टैक्स नहीं लिया जाता था.

ये भी पढ़ेंः नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट किस तरह होगा बाकियों से अलग, स्विस कंपनी के इस दावे से युवाओं के चेहरे खिले

लेकिन, बीजेपी-जेजेपी ने ट्रैक्टर पार्ट्स से लेकर खाद, दवाई और कीटनाशकों तक पर टैक्स लगा दिया. इस तरह सरकार खेती की लागत को बढ़ाती जा रही है, लेकिन फसलों के रेट में गन्ने के भाव की तरह मामूली बढ़ोतरी होती है. पूर्व मुख्यमंत्री ने एक पत्रकार वार्ता को भी संबोधित किया. इसमें उन्होंने सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए उसे पूरी तरह विफल करार दिया.

उन्होंने कहा कि किसान, मजदूर, कर्मचारी, दुकानदार और व्यापारी समेत हर वर्ग इस सरकार से परेशान है. जनता की परेशानियों को बढ़ाने के लिए सरकार प्रॉपर्टी आईडी और परिवार पहचान पत्र जैसे नए-नए प्रयोग करती रहती है. परिवार पहचान पत्र के नाम पर गरीबों के बीपीएल कार्ड और बुजुर्गों की पेंशन काटी जा रही है. पिछले सवा 8 साल में इस सरकार ने आज तक कोई भी जनहित का फैसला नहीं लिया. 

उन्होंने आगे कहा कि यह प्रदेश के इतिहास की पहली ऐसी सरकार है जो स्कूल खोलने की वजाए बंद करने का काम कर रही है. भर्तियां करने की बजाय खाली पदों को खत्म कर रही है. यही वजह है कि आज हरियाणा में लगभग 2 लाख सरकारी पद खाली पड़े हुए हैं. कौशल निगम के नाम पर ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है और युवाओं का शोषण हो रहा है. 

यही वजह है कि जो हरियाणा 2014 से पहले प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति निवेश और विकास में अव्वल था, वह आज बेरोजगारी, महंगाई और अपराध में नंबर वन बन गया है. बीजेपी-जेजेपी ने प्रदेश पर कर्जा, बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार को बढ़ाने के अलावा कोई काम नहीं किया. लोन और देनदारियां मिलाकर प्रदेश पर सवा 3 लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है.

ई-टेंडरिंग पर पूछे गए सवाल के जवाब में हुड्डा ने एक बार फिर सरपंचों के समर्थन का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि सरकार चुने हुए प्रतिनिधियों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें शक्तिविहीन करना चाहती है. सरकार द्वारा ई-टेंडरिंग के नाम पर घोटाले का नया जरिया तलाशा जा रहा है. जबकि सरकार को गांव के विकास की कमान सरपंचों के हवाले करनी चाहिए.

Trending news