ऑस्कर और ग्रैमी जैसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड से सम्मानित मशहूर संगीतकार एआर रहमान ने संगीत की दुनिया में 25 साल पूरे कर लिए हैं. अपनी आवाजा और म्युजिक के दम पर ढेर सारा नाम कमाया है. मगर कम ही लोग जानते हैं कि रहमान ने अपनी जिंदगी में काफी उतार चढ़ाव का सामना किया है.
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Happy Birthday AR Rahman: पूरी दुनिया और करोड़ों दिलों पर अपनी आवाज का जादू चलाने वाले AR रहमान आज अपना 56वां जन्मदिन मना रहे हैं. आवाज के साथ-साथ लोग उनके म्युजिक के भी काफी दिवाने हैं और अपनी आवाजा और म्युजिक के दम पर ढेर सारा नाम कमाया है. मगर कम ही लोग जानते हैं कि रहमान ने अपनी जिंदगी में काफी उतार चढ़ाव का सामना किया है. लेकिन, सायरा बानो के साथ उनकी कहानी काफी दिलचस्प रही है.
तो चलिए, आज हम आपको 'मोजार्ट ऑफ मद्रास' नाम से चर्चित एआर रहमान की जिंदगी से जुड़ी कुछ बाते बताते हैं और कौन हैं सायरा बानो और एआर रहमान से उनकी शादी किन शर्तों पर हुई थी. रहमान ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक गाने कंपोज किए हैं, जो लोगों की जुबां पर सिर चढ़कर बोलते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूरी दुनिया मशहूर संगीतकार का असली नाम दिलीप कुमार है. उन्होंने ने इस्लाम धर्म अपनाकर अपना नाम दिलीप से बदलकर एआर रहमान रख दिया, जिसका मतलब अल्लाह रक्खा रहमान है.
अपनी पसंद की लड़की से शादी करना चाहते थे रहमान
बता दें कि एआर रहमान की शादी भी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है. वैसे तो उन्होंने अरेंज मैरिज ही की था, लेकिन शादी से पहले उन्होंने अपनी मां से अपनी पसंद की लड़की के बारे में जिक्र किया था. उन्होंने अपने परिवार वालों से पहले ही साफ कर दिया था कि उन्हें कैसी लड़की चाहिए. रहमान स्नातक तक ही पढ़ पाए थे, मगर उन्हें पत्नी उनसे भी ज्यादा पढ़ी-लिखी चाहिए थी. दूसरा उसे संगीत से प्रेम हो और वह शालीन होने के साथ ही खूबसूरत भी हो और उनकी मां की तलाश सायरा बानो से मिलने के बाद पूरी हुई.
रहमान की मां उनका रिश्ता लेकर चेन्नई के एक बिजनस मैन के घर लेकर पहुंचीं. उनकी दो बेटियां थीं- मेहर और सायरा. करीमा बेगम देखने को मेहर को गईं थीं, लेकिन अपने बेटे की पसंद के अनुसार उन्हें वह सारे गुण सायरा में मिले. लिहाजा उन्होंने सायरा बानो का हाथ उनके पिता से मांगा और इस तरह से 1995 में एआर रहमान और सायरा बानो की शादी हो गई.
खुद के मुसलमान होने पर क्या बोले एआर रहमान?
आपको बता दें कि ऑस्कर और ग्रैमी जैसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड से सम्मानित मशहूर संगीतकार एआर रहमान ने संगीत की दुनिया में 25 साल पूरे कर लिए हैं. उन्होंने इस खास मौके पर अपनी धार्मिक आस्था को लेकर समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा कि उन्हें इससे करियर को आकार देने और पारिभाषित करने में मदद मिली है. रहमान ने 23 साल की उम्र में 1989 में इस्लाम कबूल किया था. रहमान ने कहा कि उनके लिए इस्लाम का मतलब साधारण तरीक़े से जीवन जीना और मानवीयता सबसे अहम हैं.
उन्होंने कहा कि इस्लाम एक महासागर है. इसमें 70 से ज्यादा संप्रदाय हैं. मैं सूफी दर्शन का पालन करता हूं जो प्रेम के बारे में है. जो भी हूं वो उस दर्शन की वजह से हूं जिसका मैं और मेरा परिवार पालन करता है. जाहिर है कई चीजें हो रही हैं और मैं महसूस करता हूं कि ये ज्यादातर राजनीतिक हैं. भारत में सूफी का गौरवशाली इतिहास रहा है. भारत में सूफी दर्शन इस्लाम का एक अहिंसक स्वरूप है जो धर्म के आध्यात्मिक शक्तियों को रेखांकित करता है.
रहमान ने आगे कहा कि अगर आप एक ऑर्केस्ट्रा में होते हैं तो एक किस्म का विशेषाधिकार भी होता और नहीं भी होता है क्योंकि आप साथ में परफॉर्म कर रहे होते हैं. एक साथ परफॉर्म करने का मतलब है अलग-अलग रेस में दौड़ना. हमलोग अलग-अलग मजहब के होते हैं और एक साथ परफॉर्म करते हैं. हमारे भीतर से एक ही आवाज आती है. आप एक लय के साथ काम करते हैं.