अवैध कॉलोनियों को नियमित करवाने का सुनहरा अवसर, 18 जनवरी कर सकते हैं आवेदन
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1513430

अवैध कॉलोनियों को नियमित करवाने का सुनहरा अवसर, 18 जनवरी कर सकते हैं आवेदन

अवैध कॉलोनियों के निवासियों के लिए अच्छी खबर है. 18 जनवरी, 2023 तक हरियाणा नगरपालिका क्षेत्र के बाहर नागरिक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की कमी वाले क्षेत्रों के प्रबंधन (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2021 के तहत नियमितीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं. 

अवैध कॉलोनियों को नियमित करवाने का सुनहरा अवसर, 18 जनवरी कर सकते हैं आवेदन

देवेंद्र भारद्वाज/गुरुग्रामः गुरुग्राम में नगर निगम क्षेत्रों के बाहर स्थित अनधिकृत या अवैध कॉलोनियों के निवासियों के लिए अच्छी खबर है. वो 18 जनवरी, 2023 तक हरियाणा नगरपालिका क्षेत्र के बाहर नागरिक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की कमी वाले क्षेत्रों के प्रबंधन (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2021 के तहत नियमितीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं. आवेदन कॉलोनी विकसित करने वाले डेवलपर या रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (rwa) द्वारा किया जा सकता है. उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने कहा कि सरकार ने अनधिकृत या अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का अवसर दिया है.

वे 18 जनवरी, 2023 तक दिशा-निर्देशों और मानदंडों के अनुसार आवेदन कर सकते हैं, जिन अवैध कॉलोनियों में नियत तिथि तक नियमितिकरण के लिए आवेदन नहीं किया, उन्हें तोड़ने की कार्यवाही शुरू की जाएगी. गुरुग्राम के उपायुक्त निशांत कुमार यादव, जो इस उद्देश्य के लिए गठित जिला स्तरीय जांच समिति (dlsc) के अध्यक्ष भी हैं, के अनुसार गुरुग्राम जिले में अब तक 38 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 19 आवेदन समिति के समक्ष रखे जा चुके हैं और वे आगामी कार्यवाही के लिए सरकार को भेजे जा रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः कोर्ट ने कुत्ते के मालिक के खिलाफ दर्ज केस किया खारिज; याचिकाकर्ता पर लगाया 20 हजार जुर्माना, जानें क्यों

बाकि 18 अन्य कॉलोनियों के मामलों में आवेदकों को आवश्यकताओं या शर्तों को पूरा करने के लिए कुछ और दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि नियमितीकरण के उद्देश्य से सरकार ने अवैध कॉलोनियों की सुविधा के लिए उन्हें चार श्रेणियों में बांटा है. 25 प्रतिशत तक निर्मित क्षेत्र वाली कालोनियों को श्रेणी ए में रखा गया है और 25 प्रतिशत से अधिक किंतु 50 प्रतिशत तक निर्मित क्षेत्र वाली कालोनियों को श्रेणी बी में रखा गया है. इसी प्रकार श्रेणी सी में उन अवैध कालोनियों को शामिल किया गया है जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक, लेकिन 75 प्रतिशत तक निर्माण हुआ है और श्रेणी डी में 75 प्रतिशत से लगभग 100 प्रतिशत तक निर्मित क्षेत्र वाली कॉलोनियों को रखा गया है.

नवनियुक्त dtp (ई) मनीष यादव ने विभिन्न श्रेणियों का विवरण देते हुए बताया कि श्रेणी A कॉलोनियों के मामले में, सभी अनिर्मित भूखंड सड़क, गली के चौड़ीकरण, पार्कों, सुविधाओं के लिए जगह, जल कार्य और सामुदायिक भवन आदि के अधीन होंगे. 35 प्रतिशत क्षेत्र को सड़कों, पार्कों आदि के अधीन रखा जायेगा तथा कोई भी सड़क 9 मीटर से कम चौड़ी नहीं होनी चाहिये. उस कॉलोनी की ओर जाने वाली सड़क भी कम से कम 9 मीटर चौड़ी होनी चाहिए और पार्कों और खुली जगह का क्षेत्र 5 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए. वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए केवल 4 प्रतिशत तक सीमित क्षेत्र होना चाहिए. 20 एकड़ या उससे अधिक क्षेत्रफल वाली कॉलोनी के लिए सामुदायिक भवन के प्रावधान के लिए 500 वर्ग मीटर भूमि रखी जानी चाहिए.

ये भी पढ़ेंः Tax Collection: 40 हजार करोड़ का टैक्स भरेगा NCR का ये शहर, तोड़ेगा अपना रिकॉर्ड

इसी प्रकार, श्रेणी B में आने वाली अवैध कॉलोनियों के मामले में, सड़क, गली, पार्कों, सुविधाओं के लिए जगह, जल कार्य,  सामुदायिक भवन आदि के लिए सभी अनिर्मित भूखंडों का सीमांकन किया जाना चाहिए. बिक्री योग्य क्षेत्र पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए और कोई भी सड़क 6 मीटर से कम चौड़ाई की नहीं होनी चाहिए. कॉलोनी को जाने वाली एप्रोच रोड की चौड़ाई 9 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए. पार्कों के अंतर्गत क्षेत्र 3 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए और वाणिज्यिक घटक 4 प्रतिशत तक सीमित होना चाहिए. इस श्रेणी में भी 20 एकड़ या उससे अधिक क्षेत्रफल वाली कॉलोनियों में सामुदायिक भवन के लिए 500 वर्ग मीटर जगह होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि श्रेणी C में आने वाली अवैध कॉलोनियों के मामले में बिक्री योग्य क्षेत्र पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए और सड़कों की चौड़ाई 6 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए. यदि सड़क की चौड़ाई 6 मीटर से कम है तो भूखण्ड धारकों को सड़क की चौड़ाई 6 मीटर बनाये रखने के लिये अपने भूखण्डों से भूमि पट्टी को छोड़ना आवश्यक है. कॉलोनी तक पहुंच मार्ग के लिए कोई न्यूनतम मानदंड नहीं होगा और वाणिज्यिक घटक 4 प्रतिशत तक सीमित होना चाहिए. श्रेणी D में, बिक्री योग्य क्षेत्र पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा और कॉलोनी तक पहुंच मार्ग के लिए कोई न्यूनतम मानदंड नहीं होगा.

ये भी पढ़ेंः  Kanjhawala Case: पीड़िता के परिवार को 10 लाख का मुआवजा, CM बोले बड़े से बड़ा वकील करेंगे खड़ा

डेवलपर या आरडब्ल्यूए को संबंधित अग्निशमन अधिकारी से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) सुनिश्चित करना आवश्यक है. डेवलपर या आरडब्ल्यूए उपयुक्त स्थानों पर और संबंधित अग्निशमन अधिकारी द्वारा निर्देशित अग्नि हाइड्रेंट सुनिश्चित करेगा. इस मामले में वाणिज्यिक घटक भी 4 प्रतिशत तक सीमित रहेगा. कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए जमा करवाए जाने वाले विकास शुल्क की जानकारी देते हुए डीटीपी ने बताया कि निर्मित क्षेत्र के लिए एकमुश्त शुल्क कलेक्टर रेट का 5 प्रतिशत और खाली क्षेत्रों के लिए 10 प्रतिशत की दर से विकास शुल्क जमा करवाना होगा.

अधिनियम के तहत अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के उद्देश्य के लिए उपायुक्त की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय डीएलएससी समिति का गठन किया गया है. डीटीपी को समिति का सदस्य (संयोजक) नामित किया गया है. अन्य सदस्यों में जिला परिषद का मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी, लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्यकारी अभियंता, जिला अग्निशमन अधिकारी, पंचायती राज विभाग के कार्यकारी अभियंता तथा तहसीलदार शामिल हैं.

Trending news