Faridabad News: स्कूल में दवाई लेने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम के लिए प्रिंसिपल ने नहीं खोला स्कूल का गेट
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1795313

Faridabad News: स्कूल में दवाई लेने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम के लिए प्रिंसिपल ने नहीं खोला स्कूल का गेट

Faridabad Hindi News: फरीदाबाद पृथला के अरुआ गांव का जहां स्वास्थ्य विभाग की टीम को प्रिंसिपल की मनमानी के चलते घंटों स्कूल के बाहर खड़ा होना पड़ा. स्वास्थ्य विभाग की टीम से स्कूल पहुंचे डॉक्टर ने बताया कि गांव में कुछ दिन पहले बाढ़ का पानी आ गया था, जिसके चलते लोगों को वहां दवाईयां मुहैया कराई गई थी. 

Faridabad News: स्कूल में दवाई लेने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम के लिए प्रिंसिपल ने नहीं खोला स्कूल का गेट

Faridabad News: स्कूल के प्रिंसिपल की मनमानी से घंटों स्कूल के बाहर खड़े होने को मजबूर हुई स्वास्थ्य विभाग की टीम. यह टीम बाढ़ पीड़ितों तक दवाई पहुंचाने के लिए पहुंची थी, लेकिन दवाईयां स्कूल के अंदर होने के चलते और स्कूल का दरवाजा प्रिंसिपल के खोले जाने की वजह से स्वास्थ्य विभाग की टीम को परेशान होना पड़ा.

दरअसल मामला फरीदाबाद पृथला के अरुआ गांव का जहां स्वास्थ्य विभाग की टीम को प्रिंसिपल की मनमानी के चलते घंटों स्कूल के बाहर खड़ा होना पड़ा. स्वास्थ्य विभाग की टीम से स्कूल पहुंचे डॉक्टर ने बताया कि गांव में कुछ दिन पहले बाढ़ का पानी आ गया था, जिसके चलते लोगों को वहां दवाईयां मुहैया कराई गई थी. इन दवाईयों को सरकारी स्कूल में रखा गया था. अब जब स्वास्थ्य विभाग की टीम दवाईयां लेने वापस स्कूल पहुंची क्योंकि यमुना के किनारे बसे गांव में फिर से यमुना का पानी बढ़ने लगा है. ऐसे में बाकी गांव में दवाईयां उपलब्ध करवानी थी, जिसके चलते टीम यहां पहुंची तो प्रिंसिपल के रवैया के वजह से टीम को कई घंटे तक स्कूल के बाहर इंतजार करना पड़ा. टीम में मौजूद डॉक्टर राजेश कुमार ने बताया कि उन्होंने कई बार मैसेज प्रिंसिपल तक पहुंचाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद वहां गांव के लोग आसपास के गांव के सरपंच भी पहुंचे. तब बड़ी मुश्किल से स्कूल का दरवाजा खुलवाया गया और स्वास्थ्य विभाग की टीम अपनी दवाईयां वहां से ले पाई.

ये भी पढ़ें: Clerk Strike: हरियाणा में 21 दिनों से हड़ताल पर क्लर्क, तिरंगा यात्रा निकालकर किया विरोध प्रदर्शन

अन्य लोगों (सरपंच और स्कूल का स्टाफ ) से बात करने उन्होंने बताया कि वह सभी लोग प्रिंसिपल की मनमानी से पीड़ित हैं. वह जब भी स्कूल पहुंच जाती है उसके बाद स्कूल का लॉक लगवा देती है, जिससे कई बार न तो बच्चे स्कूल में दाखिल हो पाते हैं, न ही अभिभावक, न ही जनता के प्रतिनिधि ही स्कूल में अंदर घुस पाते हैं.

वहीं दोनों गांव के सरपंचों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल नाम ज्योति रावत है. वह स्कूल में अपनी मनमानी चलाती है. खुद चाहे कितने भी बजे आए, लेकिन उसके बाद गेट बंद कर देती है. कोई सरपंच प्रतिनिधि भी अगर प्रिंसिपल से बात करने के लिए आता है तो उसे भी डांट फटकार कर भगा देती है. स्कूल का गेट तक नहीं खोलती. कई बार इसकी शिकायत पर की गई है. बावजूद इसके अभी तक इसके खिलाफ प्रशासनिक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई.

वहीं जब इस पूरे मामले को लेकर स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति रावत से बात की गई तो ज्योति रावत ही मीडिया के सवालों का उलूल जुनून जवाब देने लगी. प्रिंसिपल ने बताया कि उसने जहां भी ड्यूटी की है वह स्कूल का अंदर से गेट बंद कर देती है और किसी को भी आने नहीं देती. चाहे वह गांव का सरपंच हो या कोई और हो उसका रिकॉर्ड है. इससे साफ जाहिर होता है कि स्कूल में प्रिंसिपल की मनमानी किस हद तक है.