Sawan 2023: सावन के पहले दिन उमड़ा भक्तों का सैलाब, जय श्री महाकाल के जयकारों से गूंजा मंदिर
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Sawan 2023: सावन के पहले दिन उमड़ा भक्तों का सैलाब, जय श्री महाकाल के जयकारों से गूंजा मंदिर

Sawan 2023: देशभर में आज से सावन का महीना शुरू हो गया है. हिंदू धर्म में सावन के पावन महीने का खास महत्व है. सावन का पूरा महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए बेहद ही खास माना जाता है. पूरे सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि कोई अगर दिल से भगवान शिव को जल अर्पित करें तो मनचाहा फल प्राप्त होता है.

Sawan 2023: सावन के पहले दिन उमड़ा भक्तों का सैलाब, जय श्री महाकाल के जयकारों से गूंजा मंदिर

Sawan 2023: देशभर में आज से सावन का महीना शुरू हो गया है. हिंदू धर्म में सावन के पावन महीने का खास महत्व है. सावन का पूरा महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए बेहद ही खास माना जाता है. पूरे सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि कोई अगर दिल से भगवान शिव को जल अर्पित करें तो मनचाहा फल प्राप्त होता है.

इस साल का सावन का महीना बाकी सावन से थोड़ा अलग और खास होने वाल है. 19 सालों के बाद ऐसा संयोग बना है कि इस साल सावन 2 महीने का पढ़ने वाला है. यानी कि इस साल कुल 59 दिनों तक सावन का महीना चलेगा. इसको लेकर भक्तों के अंदर भी खास तरीके का उत्साह देखने को मिल रहा है.

बड़ी संख्या में उमड़े भक्त जय श्री महाकाल के जयकारों से गूंज उठा मंदिर

श्रावण माह की आज मंगलवार से शुरुआत हो गई है. शिवालयों में भक्तों का जनसैलाब आज से उमड़ने लगा है क्योंकि शिव पूजा का श्रावण माह में अधीक महत्व होता है. आज से "श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेष भस्म आरती दर्शन" कर सकते हैं. मंदिर में सुबह से ही बड़ी संख्या में भक्तों का जय श्री महाकाल के जयकारों के साथ सैलाब उमड़ रहा है, जिससे मंदिर परिसर व अवंतिका नगरी गूंज उठी है. आज पहले दिन मंदिर के द्वार प्रात: 3 बजे खोले गए और अब प्रत्येक सोमवार प्रात: 2.30 बजे खोले जाएंगे.

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जानें, भगवान शिव की पूजा  के पूजन का क्रम कैसा रहा आज।

मंदिर में आम दिनों की तुलना में श्रावण में 1 घंटे पहले द्वार खुल जाते है. यहां फुट पांति व जनेऊ पाती के वंशा वली अनुसार पूजन का कार्यक्रम होता है. ये समय फुट पांति के पुजारियों के लिए है उन्हीं ने आज द्वार खोले है. सबसे पहले बाल भद्र की पूजा होती है उसके बाद भगवान के डेली का पूजन और घंटा बजाकर भगवान को संकेत दिया जाता है. हम आपके द्वार खोल रहे है. आज और प्रवेश करना चाहते हैं फिर मान भद्र का पूजन कर भगवान के गर्भ गृह की डेली का पूजन होता है इस तरह गर्भ गृह में हर रोज प्रवेश का कार्य पूरा होता है.

श्रृंगार होने के बाद होती है भस्मार्ती

पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि श्रृंगार होने के बाद भस्म से स्नान करवाया जाता है जिसे भस्म आरती मंगला आरती कहा जाता है, जिसके बाद रजत मुकुट आभूषण, वस्त्र भगवन को अर्पण किए जाते है, जिसके बाद भगवान दिव्य स्वरूप में निराकार से साकार रूप में भक्तों को दर्शन देते है. दिव्यता के साथ धूप दी जाती है फिर दीप दर्शन, नैवेद्य चढ़ाया जाता है. इसके बाद सब आरती लेते है और इस प्रकार अल सुबह की ये प्रक्रिया समाप्त हो जाती है.

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कुल 5 आरती होती है मंदिर में

पहली भस्मार्ती जो वंश परंपरा के पुजारी करते है, जिसके बाद 7 बजे आरती होती है जिसमें चावल, दही, शक्कर का भोग लगाया जाता है सामान्य पूजन और श्रृंगार होता है, जिसके बाद पुनः 10 बजे पंचमर्त पूजा होती है और पूर्ण भोग भगवान को लगता है, जिसमे दाल, चावल, सब्जी, रौती भजिए लड्डू बनते है जिसे भोग आरती कहते है. अब शाम में 5 बजे भगवन का स्नान होकर जल चढ़ना बंद हो जाता है. श्रृंगार होकर भगवान दूल्हा स्वरूप में विराजमान रहते है.

निराकार से साकार स्वरूप में आ जाते है. इसके बा 7 बजे संध्या आरती, जिसमें दूध का भोग होता है उसके पश्चात शयन आरती रात 10:20 बजे जिसमें मेवे का प्रसाद और फिर द्वारा बंद कर दिए जाते है. इसके बाद भगवान का आराम का वक्त हो जाता है. भस्मार्ती और शयन आरती मंदिर की परंपरा है और दिन की तीन आरती शासकीय आरती है सुख समृद्धि व अन्य के लिए जो ग्वालियर स्टेट के समय से चली आ रही है.

मंदिरों में दर्शन का खास महत्व

ज्योंतिषों के अनुसार, श्रावण माह में शिव दर्शन करने से अनेक पापों का नाश होता है. साथ ही इस माह में जो भी भक्त शिव को जलधारा, दुग्ध धारा व बैल पत्र चढ़ाता है तो उसके तीन जन्मों के पापों का विनाश हमेशा-हमेशा के लिए हो जाता है और उसको अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति होती है. बता दें कि इन दिनों जितने भी व्रत आते है वो सती और माता पार्वती ने किए है ये व्रत दोनों ने अपने-अपने समय में शिव को मनाने व शिव को पाने के लिए किए थे. शिव जैसे पति की कामना लिए वे व्रत करती थी. इसलिए हमारे सनातन में महत्व है कि जो महिलाएं चार पहर की पूजा, व्रत, उपवास आदी करती है उससे उन्हें सौभग्य के फल की प्राप्ति होती है. कुंवारी बच्चियों को मनचाहा वर प्राप्त होता है.

(इनपुटः विकास राउत, राहुल राठौड़)

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