Rishi Panchami 2023: ऋषि पंचमी पर पाप से मुक्ति के लिए सप्त ऋषियों के पूजन का विधान, जानें सभी के नाम
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Rishi Panchami 2023: ऋषि पंचमी पर पाप से मुक्ति के लिए सप्त ऋषियों के पूजन का विधान, जानें सभी के नाम

Rishi Panchami 2023 Date: हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है, इसमें सप्तऋषियों के पूजन का विधान है. ऐसी मान्यता है कि जो भी महिला सच्चे मन से इस व्रत को रखती हैं वो पाप मुक्त हो जाती हैं. 

Rishi Panchami 2023: ऋषि पंचमी पर पाप से मुक्ति के लिए सप्त ऋषियों के पूजन का विधान, जानें सभी के नाम

Rishi Panchami 2023 Date: हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है, इस व्रत को खासतौर पर महिलाएं रखती हैं. इसमें सप्तऋषियों के पूजन का विधान है, ऐसी मान्यता है कि जो भी महिला सच्चे मन से इस व्रत को रखती हैं वो पाप मुक्त हो जाती हैं. इस साल ऋषि पंचमी का व्रत 20 सितंबर को रखा जाएगा. 

ऋषि पंचमी 2023 डेट (Rishi Panchami 2023 Date)
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 19 सितंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और 20 सितंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो जाएगी, उदयातिथि के आधार पर ऋषि पंचमी का व्रत 20 सितंबर को रखा जाएगा. 

गंगा स्नान का महत्व
ऋषि पंचमी के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और सप्तऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. अगर आप गंगा स्नान नहीं कर सकती तो नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें. 

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सप्तऋषियों की पूजा का विधान
शास्त्रों में सप्तऋषियों के महत्व को बताने के लिए कई श्लोक प्रचलित हैं. 'कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥ दहंतु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥' इस श्लोक का अर्थ है कि  कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वसिष्ठ, इन सप्तऋषियों के नाम का जाप करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं. 

कौन हैं सप्तऋषि

1. कश्‍यप- कश्यप ऋषि की 17 पत्नियां थी, जिसमें अदिति नाम की पत्नी से सभी देवताओं और दिति नाम की पत्नी से दैत्यों की उत्पत्ति मानी गई है. इसके अलावा अन्य पत्नियों से सृष्टि के अन्य जीवों की उत्पत्ति हुई. 

2. अ​त्रि- त्रेतायुग में जब भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण वनवास पर गए थे, तब वो अत्रि ऋषि के आ़़श्रम में ठहरें थे. अत्रि ऋषि की पत्नी का नाम अनसूया है. 

3. भारद्वाज- भारद्वाज ऋषि ने आयुर्वेद और कई ग्रंथों की रचना की थी, ये द्रोणाचार्य के पिता थे. 

4. विश्वामित्र- ऋषि विश्वामित्र भगवान राम के गुरु थे और इन्होंने ही गायत्री मंत्र की रचना की थी. मेनका ने ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग की थी. 

5. गौतम- पांचवें ऋषि गौतम हैं, जिन्होंने शाप देकर पत्नी अहिल्या को पत्थर का बना दिया था, बाद में भगवान राम ने अहिल्या का उद्धार किया. 

6. जमदग्नि- जमदग्नि भगवान परशुराम के पिता हैं. 

7. वशिष्ठ- ऋषि वशिष्ठ त्रेता युग में राजा दशरथ के पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के गुरु थे.

ऋषि पंचमी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऋषि पंचमी का व्रत विशेष रुप से महिलाओं के लिए होता है, जिसमें वो अपनी गलतियों की क्षमा मांगती हैं. इस व्रत में विशेष रूप से रजस्वला में हुई गलतियों की क्षमा याचना की जाती है. 

Disclaimer- इस आर्टिकल में दी गई जानकारी और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. ZEE MEDIA इनकी पुष्टि नहीं करता है.