Delhi News: ग्रीनपीस इंडिया के सैंपल सर्वे के मुताबिक बेशक दिल्ली में महिलाएं फ्री बस सेवा का लाभ उठा रही हैं, लेकिन शाम को बसों की कमी, उससे होने वाली भीड़ और रोशनी के अभाव में उन्हें सफर करने में डर लगता है.
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Greenpeace India Report: दिल्ली में विधानसभा चुनाव को अब कुछ महीने ही शेष हैं. राजनीतिक दलों के बीच खुद को जनहितैषी दिखाने की कवायद और जुबानी जंग पहले से ही जारी है. आम आदमी पार्टी दिल्ली के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में पदयात्रा कर लोगों से संवाद कर रही है और फ्री बस, फ्री बिजली-पानी, तीर्थ यात्रा समेत कई सुविधाओं की दुहाई दे रही है. इस बीच दिल्ली की बस सेवा पर एक सर्वे रिपोर्ट सामने आई है, जिसके मुताबिक कई बस स्टैंड पर बस की फ्रीक्वेंसी काफी कम है. ये समस्या देर शाम को सफर कर रही महिलाओं के लिए परेशानी का सबब बन रही है. हालांकि मुफ्त बस यात्रा से उनकी बचत में इजाफा हो गया है.
दिल्ली में मुफ्त बस यात्रा योजना अक्टूबर 2024 में पांच साल पूरे करेगी. सरकारी अनुमान के मुताबिक 7,600 सार्वजनिक बसों में 175 करोड़ सवारी इस योजना का लाभ उठा चुकी हैं. ग्रीनपीस इंडिया ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की. इसके मुताबिक दिल्ली में योजना शुरू होने के बाद महिलाओं की बचत बढ़ गई, जिसकी वजह से वे 23% अधिक यात्रा करती हैं. वहीं 77 फीसदी महिलाएं शाम 5 बजे के बाद बसों में असुरक्षित महसूस करती हैं. उनके इस डर की वजह रोशनी की कमी, बसों का कम आना और बसों में होने वाली भीड़ है. हालांकि 21% लोगों ने यह भी महसूस किया कि बसें समय पर आती हैं.
'राइडिंग द जस्टिस रूट: फ्री बस ट्रेवल एज अ स्टेप टुवर्ड्स जेंडर' शीर्षक वाली रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में मुफ्त बस यात्रा मिलने से महिलाओं की सेविंग बढ़ गई है. रिपोर्ट के मुताबिक 75% महिलाओं ने माना कि मुफ्त बस यात्रा से उनकी अच्छी खासी बचत हो रही है. 67% के मुताबिक दिल्ली में कहीं आने जाने पर वह हर महीने 1,000 रुपये से भी कम खर्च करती हैं और बचा हुआ पैसा वह इमरजेंसी फंड, स्वास्थ्य, शिक्षा और घरेलू कामों पर खर्च कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक बस यात्रा से बचने वाले पैसे का इस्तेमाल घरेलू खर्चों पर 54%, आपात स्थितियों पर 50%, व्यक्तिगत खरीद पर 33% और स्वास्थ्य देखभाल व शिक्षा पर 15% खर्च किया जा रहा है.
ग्रीनपीस इंडिया के कार्यकारी आकिज फारूक के मुताबिक ये सर्वे 510 महिलाओं के साथ किया गया.इसके अलावा फरवरी से अप्रैल के बीच 30 महिला बस यात्रियों से भी इस बारे में बात की गई.