Delhi News: मुक्त कराए गए बच्चों की उम्र 10 से 17 साल के बीच है. उत्तर प्रदेश और बिहार के ये बच्चे कुपोषित, नींद की कमी और थकान से जूझते मिले. पूछताछ में पता चला कि रोजाना 12-12 घंटे से भी ज्यादा उनसे काम कराया जा रहा था.
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Child Labor: राजौरी गार्डन इलाके में ढाबों और ऑटो पार्ट्स की दुकानों से 16 बच्चों को मुक्त कराया गया. पुलिस ने ये कार्रवाई एसडीएम आशीष कुमार की अगुआई में एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन के सहयोग से की गई. इस दौरान श्रम विभाग के अधिकारियों के अलावा राजौरी गार्डन और हरि नगर थानों के प्रभारी मौजूद थे. छापों के बाद एसडीएम ने थाना प्रभारियों को नियोक्ताओं के खिलाफ बाल श्रम (रोकथाम एवं नियमन अधिनियम, 1986), किशोर न्याय (संरक्षण एवं सुरक्षा) कानून, 2015 के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया. सभी बच्चों की चिकित्सा जांच कराने के बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया.
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मुक्त कराए गए बच्चों की उम्र 10 से 17 साल के बीच है. उत्तर प्रदेश और बिहार के ये बच्चे कुपोषित, नींद की कमी और थकान से जूझते मिले. पूछताछ में पता चला कि रोजाना 12-12 घंटे से भी ज्यादा उनसे काम कराया जा रहा था.
छापेमारी के दौरान मुक्त कराया गए एक बाल मजदूर की उम्र महज दस साल है. राजौरी गार्डन इलाके की एक दुकान से जब उसे मुक्त कराया गया तो वह डर से कांप रहा था और मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी. जब बचपन बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगों ने जब बच्चे से बात की तो उसने बताया कि वह ऑटो के कलपुर्जे बेचने वाली एक दुकान में सालभर से काम कर रहा था. बच्चे ने पिता का नाम तो बताया पर उनका फोन नंबर या गांव का नाम नहीं बता पाया.
बचपन बचाओ आंदोलन के निदेशक मनीष शर्मा ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सख्त कानूनों और सतत चौकसी के बावजूद बाल दुर्व्यापार जारी है. ऐसे लोग दूसरे राज्यों से बच्चों को यहां ले आ रहे हैं और नियोक्ता इन बाल मजदूरों का शोषण कर रहे हैं. अपने लालच के चलते कुछ लोग एक पूरी पीढ़ी के भविष्य को रौंद रहे हैं और देश के आर्थिक विकास पर बुरा असर डाल रहे हैं. इसे रोकने के लिए एंटी ट्रैफिकिंग विधेयक को जल्द से जल्द पारित जाना चाहिए.