Delhi Nursery Admission: दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने जारी की गाइडलाइंस, EWS कोटे के तहत ले सकेंगे एडमिशन
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Delhi Nursery Admission: दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने जारी की गाइडलाइंस, EWS कोटे के तहत ले सकेंगे एडमिशन

Delhi में अपने बच्चे  Nursery में Admission कराना एक बहुत ही तेड़ी खीर है. इस बात का खुलासा बॉलीवुड की फिल्म हिंदी मीडियम में हुआ था. इस फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे स्कूल गरीब बच्चों का हक मारते हैं.

Delhi Nursery Admission: दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने जारी की गाइडलाइंस, EWS कोटे के तहत ले सकेंगे एडमिशन

Delhi Nursery Admission: दिल्ली में EWS And DG Quota के तहत निजी स्कूलों में नर्सरी, केजी और फर्स्ट क्लास में एडमिशन के लिए गाइडलाइंस जारी कर दी गईं हैं. दिल्ली शिक्षा निदेशालय (Delhi Directorate of Education) ने गाइडलाइंस जारी कर बताया कि आवेदन की प्रक्रिया 10 फरवरी से शुरू होकर 25 फरवरी तक चलेगी. वहीं इसको लेकर 3 मार्च को ड्रॉ आयोजित किया जाएगा.  

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बता दें कि इसमें एडमिशन के लिए आपको शिक्षा निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट www.edudel.nic.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. वहीं ईडब्ल्यूएस और डीजी श्रेणी के लिए नर्सरी में 3-5 साल, प्री प्राइमरी यानि केजी के लिए 4-6 साल और पहली कक्षा के लिए 5-7 साल आयु सीमा तय की गई है. वहीं अगर बच्चा विकलांग है तो उसके लिए विशेष आरक्षण के तहत दिव्यांग श्रेणी के लिए नर्सरी में दाखिले की आयु सीमा 3-9 साल, केजी की 4 से 9 साल और पहली कक्षा में दाखिले के लिए आयु सीमा 5 से नौ साल है.

बता दें कि दिल्ली में नर्सरी की 75 फीसदी सामान्य श्रेणी की सीटों पर एडमिशन के लिए 20 जनवरी को पहली मेरिट लिस्ट जारी की गई थी, जिसकी दाखिला प्रक्रिया अभी जारी है. दिल्ली के 1700 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 1 दिसंबर 2022 से शुरू हो चुकी है. वहीं सामान्य श्रेणी के बच्चों के दाखिले के लिए दूसरी सूची 6 फरवरी को जारी होनी है. 

दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में हर साल 25% सीटों पर गरीब बच्चों के दाखिले होते हैं. इसको लेकर एक फिल्म भी आई थी हिंदी मीडियम, इसमें दिखाया गया था कि छोटी क्लासों में एडमिशन को लेकर कितनी मारा-मारी होती है. वहीं इस आवेदन प्रक्रिया के तहत एक लाख सालाना आय से कम वाले EWS के बच्चे, DG Quota के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग अनाथ, ट्रांसजेंडर और एचआईवी प्रभावित बच्चों की 22% सीटों पर दाखिला ले सकते हैं. वहीं 3% सीटें दिव्यांग श्रेणी के बच्चों के लिए हैं.