Private Schools: EWS कोटे पर दिल्ली HC का बड़ा फैसला, कहा- वंचित वर्ग को मिले समान अवसर
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1750165

Private Schools: EWS कोटे पर दिल्ली HC का बड़ा फैसला, कहा- वंचित वर्ग को मिले समान अवसर

Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक निजी स्कूल को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) श्रेणी के तहत तीन छात्रों को दाखिला देने का निर्देश दिया है. यह देखते हुए कि वंचित समूहों के छात्रों को अन्य बच्चों के साथ समाज की मुख्यधारा में शामिल करने और शिक्षा प्राप्त करने के लिए समान अवसर जरूरी हैं. 

Private Schools: EWS कोटे पर दिल्ली HC का बड़ा फैसला, कहा- वंचित वर्ग को मिले समान अवसर

Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक निजी स्कूल को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) श्रेणी के तहत तीन छात्रों को दाखिला देने का निर्देश दिया है. यह देखते हुए कि वंचित समूहों के छात्रों को अन्य बच्चों के साथ समाज की मुख्यधारा में शामिल करने और शिक्षा प्राप्त करने के लिए समान अवसर जरूरी हैं. न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा तीन छात्रों द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थीं, जिन्होंने दिसंबर 2021 के आदेश का अनुपालन करने की मांग की थी, जिसमें स्कूल को उन्हें EWS, वंचित समूह (डीजी) श्रेणी के तहत प्रवेश देने का निर्देश दिया गया था.

अदालत ने कहा कि ईडब्ल्यूएस/डीजी छात्रों के लिए उपलब्ध सीमित सीटें खाली नहीं छोड़ी जानी चाहिए, क्योंकि प्रत्येक खाली सीट आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित करने का प्रतिनिधित्व करती है. अदालत ने कहा कि ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत किसी बच्चे को प्रवेश देने से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 21ए और शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम 2009 के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन होगा.

याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा आयोजित लॉटरी में भाग लिया था और उन्हें प्रतिवादी स्कूल में सीटें आवंटित की गई थीं. हालांकि, स्कूल ने विभिन्न आपत्तियों का हवाला देते हुए उन्हें प्रवेश देने से इनकार कर दिया. छात्रों में से एक के लिए स्कूल ने दावा किया कि उनका पता भौतिक सत्यापन के दौरान अप्राप्य था. न्यायाधीश ने यह कहते हुए जवाब दिया कि बच्चे की वंचित पृष्ठभूमि की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए और ग्रामीण क्षेत्र या किराए के आवास में रहने वाले बच्चे को केवल इसलिए प्रवेश से वंचित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि डीओई का नामांकित व्यक्ति सत्यापन के दौरान अपना पता नहीं ढूंढ सका.

ये भी पढ़ेंः PM Modi US Visit: वॉशिंगटन में PM मोदी का संबोधन, तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठा अमेरिकी संसद, बोले- लोकतंत्र हमारे DNA में

इसके अलावा, अदालत ने कहा कि डीओई ने पुष्टि की है कि याचिकाकर्ताओं को सौंपी गई सीटों के मुकाबले किसी अन्य बच्चे को संबंधित स्कूल में ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत सीटें आवंटित नहीं की गई हैं. इसमें कहा गया है कि आरटीई अधिनियम के तहत स्कूल में प्रवेश स्तर की कक्षाओं के लिए अपनी 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का दायित्व था. अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि स्कूल के पास याचिकाकर्ताओं को प्रवेश देने से इनकार करने का कोई वैध कारण नहीं था और कहा कि स्कूल संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है, जो 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मौलिक अधिकार के रूप में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है.

अदालत ने तीनों बच्चों को ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत कक्षा 1 में प्रवेश के लिए स्कूल से संपर्क करने का निर्देश दिया और साथ ही स्कूल को उनके जमा किए गए दस्तावेजों पर तुरंत कार्रवाई करने और उन्हें वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2023-2024 के लिए प्रवेश देने का निर्देश दिया.

(इनपुटः IANS)