Delhi Mumbai Expressway : देश के पहले हाईटेक दिल्ली-मुम्बई ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे की शुरुआत से दिल्ली से जयपुर का 228 किलोमीटर का सफर सिर्फ 2 घंटे में तय हो जाएगा.
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नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली को आर्थिक राजधानी मुंबई से जोड़ने वाला एक्सप्रेसवे दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को देश की इकोनॉमी के लिए गेम चेंजर माना जा रहा है. एक्सप्रेसवे का पहला फेज तैयार हो गया है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को करेंगे. एक्सप्रेसवे का यह पहला फेज हरियाणा के सोहना से राजस्थान के दौसा को जोड़ेगा. खास बात है कि देश के पहले हाईटेक दिल्ली-मुम्बई ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे की शुरुआत से दिल्ली से जयपुर का 228 किलोमीटर का सफर सिर्फ 2 घंटे में तय हो जाएगा.
देश में तो ऐसे कई एक्सप्रेसवे बनाए जा चुके हैं, लेकिन इसकी बात ही कुछ और है. आखिर इस एक्सप्रेसवे में ऐसा क्या खास है कि पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है. एक्सप्रेसवे की संकल्पना कुछ तरह की गई थी ताकि पिछड़े क्षेत्र जो मुख्य मार्ग से दूर हैं, उन्हें जोड़ा जा सके. सड़क को इस तरह बनाया जाए, जिसमें आधुनिक तकनीक का समावेश हो. कम लागत में एक ऐसा उम्दा मार्ग तैयार किया जाए, जो समय और ईंधन दोनों की बचत करेगा.
ज़ी मीडिया की टीम सोहना से राजस्थान के दौसा तक एक्सप्रेसवे का जायजा लिया.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा. इसकी कुल लंबाई लगभग 1,390 किलोमीटर है. अभी यह एक्सप्रेस आठ लेन का है, लेकिन भविष्य में इसे बढ़ाकर 12 लेन का किया जा सकता है. इस एक्सप्रेसवे पर 120 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से गाड़ियां चलेंगी और दिल्ली से मुंबई का सफर 12 घंटे में पूरा होगा. अभी इसमें 24 घंटे का समय लगता है.
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छह राज्यों से गुजरेगा एक्सप्रेसवे
8 लेन वाली यह एक्सप्रेसवे देश का पहला एनिमल पास और स्ट्रैचबल हाईवे है, जिसे जरूरत पड़ने पर 12 लेन में बढ़ाया जा सकता है. यह छह राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरेगा.
50 साल तक नहीं पड़ेगी मेंटेनेंस की जरूरत
एक्सप्रेसवे बनने के बाद अब दिल्ली से मुंबई का सफर आधा हो जाएगा. समय बचने के साथ यात्रा में फ्यूल भी कम लगेगा. इसे जर्मन तकनीक से बनाया जा रहा है और अगले 50 साल तक इसमें कोई टूटफूट नहीं होने का दावा किया गया है. देश का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे भी इस पर ही बन रहा है. इसमें गाड़ियां चलते-चलते रिचार्ज होंगी.
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यह एशिया का पहला ऐसा हाईवे है, जिसके निर्माण में वन्यजीवों के लिए ग्रीन ओवरपास (Green Overpass) की सुविधा दी जाएगी. जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा जैसे आर्थिक केंद्रों से कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इससे इन शहरों में आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा.
एक्सप्रेसवे पर हैलीपैड बनाने की योजना
NHAI ने इस पूरे स्ट्रेच पर करीब डेढ़ लाख पौधे लगाए हैं. पूरे स्ट्रेच पर सीसीटीवी सर्विलांस है, जिसके जरिए ट्रैफिक उल्लंघन से लेकर किसी तरह के हादसे और क्राइम पर नजर रखी जा सकेगी. सकेगी. एक्सप्रेसवे पर हैलीपैड भी बनाने की योजना है. इससे दुर्घटना की स्थिति में पीड़ितों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा.
32 करोड़ लीटर बचेगा ईंधन
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे की आधारशिला 9 मार्च 2019 को रखी गई थी. यह एक्सप्रेसवे एक्सेस कंट्रोल है. इसका मतलब है कि हाईवे के बीच में एक तरफ से दूसरी तरफ कोई भी आ-जा नहीं सकेगा. एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा होने के बाद फ्यूल की खपत में 32 करोड़ लीटर की कमी भी आएगी. साथ ही कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन में 85 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी जो कि चार करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है. यह पर्यावरण के लिए काफी फायदेमंद होगा. हाईवे पर हर 500 मीटर पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होगा.
इसके अंतर्गत आठ लेन की दो सुरंग बनाई जाएगी. इनमें से एक सुरंग पहले राजस्थान के मुकुंदरा सेंक्चुरी के नीचे से बनाई जा रही है. दूसरी सुरंग महाराष्ट्र के माथेरान ईको सेंसिटिव जोन में बनाई जाएगी. इसकी लंबाई भी चार किलोमीटर है. इस एक्सप्रेसवे का 160 किमी हिस्सा हरियाणा में, 374 किमी हिस्सा राजस्थान में, 245 किमी हिस्सा मध्य प्रदेश में और 423 किमी लंबा हिस्सा गुजरात में है. वहीं जानवरों को रोड पास करने के लिए जगह-जगह पर एनिमल पास बनाया गया है, ताकि, जानवर सड़कों पर न आ सकें और संभावित दुर्घटना से बचा जा सके.
100 किलोमीटर पर एक ट्रामा सेंटर
एक्सप्रेसवे पर प्रत्येक 100 किलोमीटर पर एक ट्रामा सेंटर मिलेगा, जहां इमरजेंसी के दौरान जरूरतमंद का इलाज होगा. वहीं दिल्ली से मुंबई तक पूरे 93 जगहों पर स्टॉपेज सुविधा मिलेगी, जहां यात्री गाड़ी को ठंडा कर सकते हैं, रेस्ट और जलपान भी कर सकते हैं. दिल्ली से मुंबई तक जाने में हर 50 किलोमीटर पर एक स्टॉपेज जरूर मिलेगा.
जगह-जगह नहीं मिलेगा टोल प्लाजा
इस पूरे एक्सप्रेसवे पर कहीं भी टोल गेट नहीं लगे हैं यानी सफर के दौरान यात्रियों को बार-बार टोल के लिए रुकना नहीं पड़ेगा. हाईवे पर चढ़ने और उतरने की जगह पर इंटरचेंज टोल लगाए गए हैं. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर यात्रा शुल्क किलोमीटर की संख्या के आधार पर लिया जाएगा. प्रत्येक 50 किलोमीटर पर एंट्री और एग्जिट के लिए गेट हैं जहां टोल ऑटोमैटिकली कट जाएगा.