निकाय चुनाव में सिर्फ 26% वोट मिलना सरकार के घटते जनाधार का प्रतीक : दीपेंद्र हुड्डा
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निकाय चुनाव में सिर्फ 26% वोट मिलना सरकार के घटते जनाधार का प्रतीक : दीपेंद्र हुड्डा

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा निकाय चुनावों में पड़े कुल 12,71,782 वोटों में से 3,33,873 वोट लेकर यदि भाजपा खुशफहमी में है तो ये उसकी राजनीतिक गलतफहमी है और यह उसके राजनीतिक पतन की शुरुआत है.

निकाय चुनाव में सिर्फ 26% वोट मिलना सरकार के घटते जनाधार का प्रतीक : दीपेंद्र हुड्डा

चंडीगढ़ : सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा निकाय चुनावों में पड़े कुल 12,71,782 वोटों में से 3,33,873 वोट लेकर यदि भाजपा खुशफहमी में है तो ये उसकी राजनीतिक गलतफहमी है और यह उसके राजनीतिक पतन की शुरुआत है. उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव में प्रदेश की करीब 75 प्रतिशत जनता ने भाजपा को नकार दिया है यानी शहरी इलाकों में हर 4 में से 3 वोटर ने भाजपा सरकार को खारिज कर दिया. इससे पहले भाजपा को निकाय चुनावों में इतना कम वोट कभी नहीं मिला था. 26% वोट भाजपा सरकार के घटते जनाधार का प्रतीक है. 

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि निकाय चुनाव से विधानसभा चुनाव का कोई सरोकार नहीं है. जब 2014 का विधानसभा व लोकसभा चुनाव हुआ तो प्रदेश के नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं पर कांग्रेस का कब्जा था.  इसके बावजूद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस चुनाव हार गई थी. भाजपा को शहरों में जब 26 प्रतिशत वोट मिला है तो गांवों में इनकी क्या गत बनेगी ये अच्छी तरह से समझा जा सकता है. 

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा के गांव से लेकर शहरों तक गठबंधन सरकार से लोगों का मोहभंग हो चुका है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री समेत सरकार में बैठे कई मंत्री भी अपने हलकों में सारी ताकत झोंकने के बावजूद पार्टी प्रत्याशियों को नहीं जिता पाए. प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के जिले करनाल में चार में से तीन नगर पालिकाओं में भाजपा को हार मिली. वहीं उप मुख्यमंत्री के हलके उचाना में जजपा प्रत्याशी कहीं मुकाबले में भी नहीं दिखाई दिए.  हरियाणा सरकार के कई मंत्री भी अपने-अपने हलकों तक में पार्टी उम्मीदवारों को जीत दिला नहीं पाए.

उन्होंने कहा कि हरियाणा निकाय चुनावों में कुल पड़े 12,71,782 वोटों में से भाजपा को 3,33,873 वोट तब मिले जब सामने कांग्रेस पार्टी चुनावी मैदान में नहीं थी. हालांकि कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ने की खुली छूट दे रखी थी. आजाद उम्मीदवारों में जिनमें अधिकांश कांग्रेस कार्यकर्ता थे, उनको 6,63,669 वोट मिले और भाजपा को इसके करीब आधे वोट ही मिले.  

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