SYL नहर का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. इसको लेकर दिल्ली में आज बैठक का आयोजन किया गया, बैठक खत्म होने बाद पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा कहा कि किस बात का फैसला करेंगे, सुप्रीम कोर्ट हरियाणा के पक्ष में फैसला दे चुका है.
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विनोद लांबा/हरियाणाः पिछले कई सालों से सतलुज-यमुना लिंक(SYL) नहर का विवादित मुद्दा लगातार चर्चा में बना हुआ है. इसी को लेकर दिल्ली में चल रही हरियाणा, कांग्रेस की बैठक रखी गई था जो अब खत्म हो गई है. बैठक के बाद पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा SYL मुद्दे पर बोले किस बात का फैसला करेंगे, सुप्रीम कोर्ट हरियाणा के पक्ष में फैसला दे चुका है.
उन्होंने कहा कि सरकार को उसे इंप्लीमेंट करना है, मुझे समझ नहीं आ रहा कि अब किस बात का फैसला करेंगे. ऐसी सरकारों का नीतिगत गठबंधन नहीं होता, स्वार्थ का गठबंधन होता है, चुनाव के टाइम में एक कह रहा था 75 पार, दूसरा कह रहा था इनको करो यमुना पार, अब बन गए दोनों यार. जल्द कांग्रेस का प्रत्याशी का नाम सामने आएगा.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस में हाईकमान है. कांग्रेस में प्रोसीजर होता है. 14 तारीख को नामांकन लास्ट है. उससे पहले नाम सामने आ जाएगा, स्टार प्रचारक में 30 से 40 आदमी होंगे. सरकार की विफलता मुद्दे होंगे, स्वार्थ की वजह से अदला-बदली होगी. इसी के साथ भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दिवाली पर लोगों से आग्रह करते हुए कहा कि पटाखे न चलाएं ताकि प्रदूषण ना हो और आदमपुर कांग्रेस का गढ़ है कांग्रेस जीतेगी.
SYL विवादित में हल निकालने के लिए हरियाणा और पंजाब के CM की मीटिंग
हरियाणा औप पंजाब के बीच चल रही सतलुज-यमुना लिंक(SYL) नहर का विवादित मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. इसी को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री 14 अक्टूबर को सुबह 11:30 बजे बैठक करने जा रहै हैं. इस बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान हिस्सा लेने वाले हैं. मगर केंद्र की तरफ से इस बैठक में कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा.
सुप्रीम कोर्ट के ये हैं आदेश
खबरों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों SYL के मुद्दे की सुनवाई की थी, कोर्ट ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय को इसका हल निकालने को कहा था. इसको लेकर केंद्र ने आरोप लगाया था कि पंजाब के सीएम भगवंत मान इस मामले में मीटिंग के लिए समय नहीं दे रहे. इस पर सीएम भगवंत मान ने कहा था कि केंद्र इस मामले को सुलझाए. पंजाब और हरियाणा, दोनों को पानी की जरूरत है.
जानें, क्या है SYL नहर का पूरा विवाद
आपको बता दें कि पंजाब ने हरियाणा से 18 नवंबर, 1976 को 1 करोड़ रुपये लिए और 1977 को SYL निर्माण मंजूरी दी थी. लेकिन, बाद में पंजाब सरकार ने SYL के निर्माण को लेकर टालना शुरू कर दिया. इसके बाद हरियाणा सरकार ने 1979 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इसके बाह पंजाब ने 11 जुलाई, 1979 को पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी.
इन सब विवाद के बाद 1980 पंजाब सरकार हटने के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौजूदगी में दोनों राज्यों का समझौता करवाया गया. 1982 में इंदिरा गांधी ने पटियाला के गांव कपूरी में नहर का निर्माण शुरू करवाया. तो वहीं, दूसरी तरफ इसके विरोध में शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने SYL की खुदाई के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया. SYL के निर्माण का विवाद इतना बड़ गया था कि 1990 में 3 जुलाई को इससे जुड़े दो इंजीनियरों की भी हत्या कर दी गई थी.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को 1 साल में SYL नहर बनवाने के निर्देश दिया और 2015 में हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के लिए संविधान पीठ बनाने का अनुरोध किया.
2015 में हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के लिए संविधान पीठ बनाने का अनुरोध किया. बताते चले कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कि दोनों राज्य नहर का निर्माण नहीं करते हैं तो कोर्ट खुद नहर का निर्माण कराएगा. अभी 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए नोटिस जारी किया है.