Jharkhand News: झारखंड के चक्रधरपुर में साल 2025 की शुरुआत नेत्रदान की एक नयी परम्परा से हुई है. चक्रधरपुर के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व में से एक प्रहलाद दास मोहता ने अपने निधन के बाद नेत्रदान किया. बता दें कि प्रहलाद दास मोहता ने अपनी मृत्यु से पहले यह इच्छा जताई थी.
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चक्रधरपुर: झारखंड के चक्रधरपुर में साल 2025 की शुरुआत नेत्रदान की एक नयी परम्परा से हुई है. चक्रधरपुर के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व में से एक प्रहलाद दास मोहता ने अपने निधन के बाद नेत्रदान किया. बता दें कि प्रहलाद दास मोहता ने अपनी मृत्यु से पहले यह इच्छा जताई थी. उनके निधन के बाद उनकी आँखें जरूरतमंद को दान कर दिए जाएं. ताकि नेत्रहीन व्यक्ति के अंधकार जीवन को आँखों की रौशनी का प्रकाश मिल सके. इसके लिए उन्होंने रांची रिम्स आई बैंक में मरणोपरांत नेत्रदान के लिए निबंधन कराया था.
साल 2025 के पहले दिन 1 जनवरी को प्रहलाद दास मोहता का अचानक निधन हो गया. उनके निधन के बाद परिवार वालों को याद आया कि उन्हें मरणोपरांत नेत्रदान की आखिरी इच्छा रखी थी. उनकी इस इच्छा की पूर्ति के लिए परिवार वालों ने रांची आई बैंक के पदाधिकारियों से संपर्क किया. जिसके बाद सूचना मिलते ही रांची आई बैंक से पदाधिकारी सुमन प्रसाद साहू अपनी टीम के साथ चक्रधरपुर बाटा रोड में स्थित मोहता परिवार के घर पहुंच गई. टीम के द्वारा प्रहलाद दास मोहता के मृत शरीर से नेत्र को निकाला गया और उसे रांची आई बैंक ले जाया गया. इससे पहले नेत्रदान के उल्लेखनीय कार्य हेतु रांची आई बैंक के द्वारा स्वर्गीय प्रहलाद दास मोहता के बेटे और परिवार को सम्मान पूर्वक प्रशस्ति पत्र प्रदान कर नेत्रदान के लिए धन्यवाद किया गया.
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चक्रधरपुर के लिए यह पहला मौका है जब किसी ने नेत्रदान किया है. साल के पहले दिन की शुरुआत अंगदान के बड़े सामाजिक कार्य से होने से चक्रधरपुर वासियों को भी एक नयी ऊर्जा मिली है. मालूम रहे कि चक्रधरपुर जैसे छोटे से शहर में बड़ी संख्या में लोग रक्तदान करते हैं और यही वजह है की रक्तदान के लिए झारखंड में चक्रधरपुर की एक अलग पहचान है. अब चक्रधरपुर में अंगदान से भी लोगों को जीवन दान देना का उल्लेखनीय कार्य शुरू हो चुका है.
आई बैंक रांची के पदाधिकारी सुमन प्रसाद साहू ने बताया कि नेत्रदान वह दान है. जिससे आप किसी के अंधकार जीवन को रोशन कर सकते हैं. इसलिए नेत्रदान लोगों को जरूर करना चाहिए. स्वर्गीय प्रहलाद दास मोहता के बेटे अर्पित मोहता ने कहा कि उनके पिता की आखिरी इच्छा थी कि उनकी आंखें किसी जरूरतमंद के अन्धकार जीवन को रोशन करे. इसलिए मरणोपरांत उनके द्वारा नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी की गयी. इस उल्लेखनीय कार्य से मोहता परिवार गर्वित महसूस कर रहा है.
नेत्रदान के इस कार्य में चक्रधरपुर भगोरिया फाउंडेशन का अहम योगदान रहा. भगोरिया फाउंडेशन के मनोज भगोरिया के द्वारा मोहता परिवार और रांची रिम्स आई बैंक के साथ समन्वय स्थापित कर नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी कराइ गयी. मालूम रहे कि अंगदान के के लिए भगोरिया फाउंडेशन लगातार लोगों को जागरूक और प्रेरित करती आ रही है ताकि हर एक दिव्यांग जीवन को अंगदान से नया जीवन मिल सके. मनोज भगोरिया ने नेत्रदान करने के लिए मोहता परिवार और आई बैंक का धन्यवाद किया है.
इनपुट- आनंद प्रियदर्शी
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