Sarv Pitru Amavasya Kab Hai: कब है सर्व पितृ अमावस्या, जानें इसका महत्व

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Oct 10, 2023

14 अक्टूबर 2023

आश्विन माह की अमावस्या 14 अक्टूबर 2023 को सुबह 4.48 मिनट से शुरू होकर15 अक्टूबर 2023 सुबह 7.09 मिनट पर खत्म होगी.

पितृलोक से आए पितर वापस

अमावस्या के दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है और पितृलोक से आए पितर वापस अपने लोक में लौट जाते हैं.

अमावस्या के अगले दिन से ही नवरात्रि शुरू

आश्विन अमावस्या के अगले दिन से ही नवरात्रि शुरू हो जाते हैं और अगले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है.

ब्राह्मण भोजन और पितरों के नाम दान

अमावस्या के दिन श्राद्ध की अंतिम तिथि होती है. इस दिन ब्राह्मण भोजन और पितरों के नाम दान किया जाता हैं.

भगवान सूर्य को जल अर्पित करें

आश्विन अमावस्या के दिन गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है. स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें और पितरों को तिल और जल से तर्पण करें.

दीपक से रोशनी कर

पितर भूखे ना जाएं, इसलिए दीपक से रोशनी कर उनको जाने का रास्ता दिखाएं.

पीपल के पेड़ की पूजा

पीपल के पेड़ में सभी देवता का वास होता है. इस कारण से पीपल के पेड़ की पूजा करें.

काला तिल और दूध मिलाकर पीपल को जल दें

आश्विन अमावस्या के दिन तांबे के लोटे में जल, काला तिल और दूध मिलाकर पीपल के पेड़ को जल दें.

पितरों की विदाई

पितृपक्ष के दौरान सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस तिथि पर सभी पितरों की विदाई की जाती हैं.

शिक्षा दान,रक्त दान, भोजन दान,वृक्षारोपण

पूर्वजों के नाम पर करें ये काम जैसे -शिक्षा दान,रक्त दान, भोजन दान,वृक्षारोपण ,चिकित्सा संबंधी दान आदि अवश्य करना चाहिए।

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