ज्योतिष के हिसाब से 30 तरह के राजयोग और 3 तरह के विपरीत राजयोग होते हैं. यह राजयोग जिस जातक की कुंडली में बनता है उनको मालामाल कर देता है. आपको बता दें कि कुंडली के यह राजयोग व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान, जीवन में पद-प्रतिष्ठा और सुख-समृद्धि से परिपूर्ण कर देता है.
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Horoscope: ज्योतिष के हिसाब से 30 तरह के राजयोग और 3 तरह के विपरीत राजयोग होते हैं. यह राजयोग जिस जातक की कुंडली में बनता है उनको मालामाल कर देता है. आपको बता दें कि कुंडली के यह राजयोग व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान, जीवन में पद-प्रतिष्ठा और सुख-समृद्धि से परिपूर्ण कर देता है. ऐसे व्यक्ति तको जीवन में अपार सफलता मिलती है.
ज्योतिष के हिसाब से जितने भी राजयोग बताए गए हैं उनमें से कुछ राजयोग को बेहद ही शक्तिशाली माना गया है. इन राजयोगों का कुंडली में निर्माण जातक को प्रभावशाली और शक्तिशाली बना देता है. ऐसे में कुछ जातकों की कुंडली में यह राजयोग जन्म के समय से ही मौजूद होता है तो कुछ लोगों को काफी मेहनत के बाद सफलता मिलती है और फिर इस राजयोग के निर्माण के साथ उनकी किस्मत खुल जाती है.
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ऐसे में किसी जातक की कुंडली में अगर दिव्य योग बन रहा हो तो जातक राजसुख भोगता है. यह व्यक्ति को हर क्षेत्र में अद्भुत सफलता दिलाता है. व्यक्ति समाज में खूब मान-सम्मान और प्रतिष्ठा पाता है. उसे पुश्तैनी संपत्ति का भी सुख मिलता है. उसपर हर समय मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. ऐसे जातक सफलता के शिखर तक पहुंचते हैं. इस योग का निर्माण तब होता है जब कुंडली में गुरु स्वराशि में यानी धनु और मीन राशि में हो और उच्च का हो.
वहीं अगर कुंडली में बुध पंचम भाव में कन्या या मिथुन राशि में हों तथा उनके साथ कोई शुभ ग्रह विराजमान हो या फिर लाभ स्थान में चंद्रमा के साथ मंगल की युति हो तो यह राजयोग बनता है. वहीं वृषभ या तुला राशि में कुंडली के 10वें भाव का स्वामी स्थित हो और सातवें भाव का स्वामी शुक्र हो तो भी इस योग का निर्माण होता है.