पार्टी चलाना इतना आसान भी नहीं है... देवेंद्र यादव और मोनाजिर हसन के इस्तीफे के बाद प्रशांत किशोर को समझ में आ गया होगा
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पार्टी चलाना इतना आसान भी नहीं है... देवेंद्र यादव और मोनाजिर हसन के इस्तीफे के बाद प्रशांत किशोर को समझ में आ गया होगा

Prashant Kishor News: पार्टी बनाने से पहले जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर बड़ी बड़ी बातें कहते थे. उन्हें स्वीकार करना चाहिए कि उपचुनावों में पार्टी का डेब्यू करवाना उनकी गलती थी. भारी भरकम कोर कमेटी पर भी उन्हें जवाब देना चाहिए. 

प्रशांत किशोर, संस्थापक, जनसुराज पार्टी (File Photo)

किसी के लिए रणनीति बनाना एक बात होती है और खुद उस रणनीति पर अमल करना या कराना दूसरी बात होती है. प्रशांत किशोर कल तक किसी के लिए रणनीति बनाते थे. आज वे खुद के लिए रणनीति बनाते हैं और खुद उस पर अमल भी करना होता है. यह काम जरा कठिन है... प्रशांत किशोर को इतनी सी बात समझ में आ गई होगी. मतलब ज्ञान देना और उस पर ज्ञान पर अमल करना अलग अलग बातें हैं. 2 अक्टूबर को धूमधड़ाके से पटना में लांच हुई जनसुराज पार्टी से दो माह के भीतर ही दो बड़े नेताओं देवेंद्र यादव और मोनाजिर हसन के इस्तीफे से यह बात जाहिर होती है. दोनों ही नेताओं ने पार्टी की रणनीति, कोर कमेटी की साइज और अन्य कई बातों को लेकर सवाल खड़े किए हैं. दोनों नेताओं ने यह बात खासतौर से कही कि पार्टी ऐसे चल रही है, जैसे कि कोई कंपनी. जानकार जनसुराज पार्टी को लेकर कुछ मूलभूत गलतियों की बात कर रहे हैं. जैसे: 

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उपचुनाव से पार्टी की शुरुआत करना

प्रशांत किशोर ​ने जिस जनसुराज पार्टी की स्थापना की, उसने अपनी चुनावी शुरुआत बिहार की 4 सीटों पर होने वाले उपचुनावों से की. यह सब जानते हैं कि उपचुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी का बोलबाला होता है तो ऐसे में जानबूझकर उसी से पार्टी की डेब्यू क्यों करवाई गई. अगर जनसुराज पार्टी थोड़ी और तैयारी करती और विधानसभा चुनाव में थोड़ी सी भी सीटें हासिल कर लेती तो उसका हौव्वा खड़ा होता और जनसुराज पार्टी चर्चा में आ जाती. लोगों को भरोसा हो जाता कि यह पार्टी लालू प्रसाद यादव की राजद और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन का बेहतर विकल्प बन सकती है. लेकिन उपचुनावों में पार्टी ने खुद को उतार दिया और सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने वाली कहावत चरितार्थ हो गई. फिर भी प्रशांत किशोर वोट प्रतिशत को लेकर खुद की पीठ थपथपाते रहे.

विधान परिषद चुनाव में नौसिखिया पार्टी

हाल ही में विधान परिषद में खाली पड़ी तिरहुत स्नातक सीट के लिए उपचुनाव हुए. जनसुराज पार्टी ने विधान परिषद उपचुनाव में भी प्रत्याशी उतार दिया. जनसुराज के प्रत्याशी को मुकाबले में बताया गया पर वे भी बुरी तरह हार गए. ऐसा लग रहा था कि जनसुराज पार्टी चुनाव लड़ने के लिए व्याकुल हो और जो भी चुनाव मिले लड़ लेना है. पता नहीं आगे चुनाव लड़ने का मौका मिले या न मिले. अरे भाई! आपने 2 साल पदयात्रा की. धैर्य दिखाया. अब आप इतना भी धैर्य नहीं दिखा सकते कि जनसुराज पार्टी को सीधे विधानसभा चुनाव मैदान में उतारते और जो भी सीटें आतीं, वो आपके लिए प्लस प्वाइंट साबित होता. चुनाव लड़ने के लिए आप इतने व्याकुल हैं कि संभव है अगर नगर निगम चुनाव भी बीच में पड़ जाएं तो आप प्रत्याशी उतार दें.

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भारी भरकम कोर कमेटी पर उठे सवाल 

इस्तीफे का ऐलान करते हुए मोनाजिर हसन ने कहा, जनसुराज की कोर कमेटी मजाक बन गई है. उन्होंने कहा, यह दुनिया की इकलौती ऐसी पार्टी है, जिसके कोर कमेटी में इतने सारे लोग भर दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि भारी भरकम कोर कमेटी बनाने से लोगों में गलत संदेश गया है. इस कमेटी में वरिष्ठ नेताओं के साथ वार्ड के कार्यकर्ताओं को भी शामिल कर लिया गया है. इससे भारी निराशा हुई है. हसन ने कहा, भारी भरकम कमेटी बनाने से राजनीतिक रूप से हम हंसी के पात्र बन गए हैं. देवगौड़ा सरकार में मंत्री रहे देवेंद्र यादव ने भी कहा कि कमेटी में वरिष्ठतता का ख्याल नहीं रखा गया है.

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